प्रारंभिक परीक्षा के लिए - भारत में कुपोषण की स्थिति, ग्लोबल हंगर इंडेक्स, फूड फोर्टिफिकेशन मुख्य परीक्षा के लिए, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र:2 - गरीबी एवं भूख से संबंधित विषय |
सन्दर्भ:
भारत में बौनेपन में कमी ; लेकिन दुर्बलता और मोटापे में वृद्धि:रिपोर्ट
संयुक्त कुपोषण अनुमान जेएमई (Joint child malnutrition estimates):
यूनिसेफ, डब्ल्यूएचओ और विश्व बैंक द्वारा जारी संयुक्त कुपोषण अनुमान जेएमई (Joint child malnutrition estimates) के अनुसार, वैश्विक और क्षेत्रीय रुझानों के अनुरूप, भारत में बौनेपन कमी आई है जिससे 2012 की तुलना में 2022 में पांच साल से कम उम्र के कद में कमी वाले बच्चों की संख्या में 16 लाख कम दर्ज की गई है।
हालांकि, वजन का कम होना और मोटापे का बढ़ता स्तर अभी भी चिंता का विषय बना हुआ है।
भारत में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में बौनापन 2012 में 41.6% से गिरकर 2022 में 31.7% हो गई, जिसकी संख्या 52 लाख से घटकर 36 लाख हो गई।
इसके साथ ही पिछले एक दशक में बच्चों में बौनापन के वैश्विक आंकड़े में भारत की हिस्सेदारी 30% से घटकर 25% हो गई।
2022 में दुर्बलता का समग्र प्रसार भारत में 18.7% था, जिसमें वैश्विक स्थिति में 49% की हिस्सेदारी थी।
मोटापे की व्यापकता एक दशक में मामूली रूप से 2012 में 2.2% से बढ़कर 2022 में 2.8% हो गई, जिसकी संख्या 27.5 लाख से बढ़कर 31.8 लाख हो गई, जिससे भारत की वैश्विक हिस्सेदारी 8.8% हो गई है।
दुनिया भर में वजन के मुद्दे पर कोई सुधार नहीं हुआ, क्योंकि इसकी व्यापकता दर 5.5% से बढ़कर 5.6% हो गई।
जेएमई (Joint child malnutrition estimates) की रिपोर्ट कहती है कि 2025 विश्व स्वास्थ्य संगठन वैश्विक पोषण लक्ष्यों और 2030 सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 2 लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए अपर्याप्त प्रगति की है और सभी देशों में से केवल एक तिहाई देश ही पीड़ित बच्चों की संख्या को आधा करने के लिए 'ट्रैक' पर हैं।
एनएफएचएस के अनुसार:
भारत में बौनेपन में गिरावट राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)-5 (2019-2021) के आंकड़ों के अनुरूप है, जिसने एनएफएचएस-4 (2016) में 38% और एनएफएचएस-3 (2006) में 48% की तुलना में 35.5% का अनुमान लगाया।
यूनिसेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कुपोषण के तीन प्रमुख लक्षण होते हैं-
कुपोषण से निपटने के लिये सरकार की वर्तमान पहलें
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