भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा रेपो दर में कमी : निहितार्थ एवं प्रभाव
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3 : भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय)
संदर्भ
हाल ही में, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee : MPC) ने लगभग पाँच वर्षों में पहली बार रेपो दर में 25 आधार अंकों (BPS) की कमी करते हुए 6.50% से घटाकर 6.25% कर दिया है।
इसके अतिरिक्त एम.पी.सी. पैनल ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर का अनुमान 6.7% और खुदरा मुद्रास्फीति का अनुमान 4.2% लगाया है।
RBI द्वारा रेपो दर में कमी के कारण
रेपो दर में कटौती के पीछे मुख्य कारण व्यक्तियों एवं व्यवसायों के लिए ऋण लागत को सस्ता करके आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना है। इससे व्यय एवं निवेश में वृद्धि होगी।
वर्तमान में मुद्रास्फीति RBI के लक्ष्य सीमा के भीतर है। इसलिए रेपो दर में कटौती से विकास को समर्थन देते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखने में मदद मिल सकती है।
रेपो दर में कमी का प्रभाव
रेपो दर में कटौती से बैंकों को अपनी ऋण दरों को कम करने में मदद मिल सकती है, जिससे उधारकर्ताओं के लिए ऋण अधिक सुलभ एवं किफ़ायती हो जाएगा।
निम्न ब्याज दरों से व्यय, ऋण एवं निवेश में वृद्धि हो सकती है जो अंततः रोजगार सृजन को बढ़ावा देती है।
इस कटौती से भारत को वैश्विक आर्थिक प्रवृत्तियों के साथ संरेखित होने और तालमेल स्थापित करने में सहायता मिलेगी क्योंकि कई केंद्रीय बैंकों ने उदार मौद्रिक नीतियां अपनाई है।
इससे संभवतः ब्याज दरों एवं गृह व व्यक्तिगत ऋण (होम व पर्सनल लोन) पर समान मासिक किस्तों (Equated Monthly Instalment : EMI) में कमी आएगी।
गृह एवं वाहन ऋण पर EMI कम हो जाएगी, जिससे व्यक्तियों के लिए अपने ऋण चुकाना आसान हो जाएगा।
निम्न ब्याज दरों के साथ बैंकों द्वारा ऋण देने की संभावना अधिक होती है जिससे उपभोक्ताओं एवं व्यवसायों के लिए ऋण अधिक सुलभ हो जाता है।
हालाँकि, रेपो दर में कमी से मुद्रा आपूर्ति में वृद्धि और निम्न ब्याज दर के कारण कीमतों में बढ़ोत्तरी हो सकती हैं जिससे मुद्रास्फीति बढ़ सकती है।
यह बचत पर अर्जित ब्याज को कम कर सकता है जिससे व्यक्तियों के लिए बचत करना कम आकर्षक हो जाता है।
जी.डी.पी. वृद्धि और मुद्रास्फीति अनुमानों का परिदृश्य
दिसंबर 2024 की मौद्रिक नीति में आर.बी.आई. ने वित्त वर्ष 2025 के लिए जी.डी.पी. वृद्धि दर अनुमान को घटाकर 6.6% कर दिया जबकि पहले यह अनुमान 7.2% था।
हालिया मौद्रिक नीति बैठक में वर्ष 2025-26 में 6.7% की जी.डी.पी. वृद्धि दर का अनुमान लगाया गया है।
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MOSPI) द्वारा जारी प्रथम अग्रिम अनुमान के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत की जी.डी.पी. वृद्धि दर 6.4% रहने का अनुमान है।
यह अनुमान आर्थिक सर्वेक्षण में 6.5% से 7% वृद्धि के अनुमान से थोड़ा कम है।
आर.बी.आई. गवर्नर के अनुसार वित्त वर्ष 2025-26 में खुदरा मुद्रास्फीति 4.2% रहने का अनुमान है।