(मुख्य परीक्षा सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 एवं 4 - लोकतंत्र में सिविल सेवाओं की भूमिका।शासन, पारदर्शिता के महत्वपूर्ण पहलू और जवाबदेही, लोक प्रशासन में सार्वजनिक/सिविल सेवा मूल्य और नैतिकता : स्थिति और समस्याएं) |
संदर्भ
भारत आर्थिक विकास और नवाचार में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है, लेकिन आय असमानता, महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कम निवेश और नौकरशाही की अक्षमता इसके आर्थिक विकास में बाधा उत्पन्न कर रहे है। भारत की शासन संबंधी चुनौतियों से निपटने तथा नौकरशाही को आधुनिक बनाने के लिए तत्काल सुधार की आवश्यकता है।
प्रशासनिक सेवाओं में विद्यमान चुनौतियाँ
प्रशासनिक सेवाओं में राजनीतिक हस्तक्षेप
प्रशासनिक सेवाओं का राजनीतिकरण भी एक प्रमुख चुनौती है। जिसमें योग्यता के बजाय राजनीतिक निष्ठा से प्रभावित स्थानांतरण, निलंबन और पदोन्नति ने सिविल सेवकों के मनोबल और व्यावसायिकता को कमजोर कर दिया है।
विशेषज्ञता की कमी
विभागों में बार-बार रोटेशन के कारण अधिकारी प्राय: विशेषज्ञता विकसित करने के लिए संघर्ष करते हैं, जिससे वे तेजी से जटिल होते शासन परिदृश्य में प्रभावी नीति विशेषज्ञ बनने से वंचित रह जाते हैं।
भ्रष्टाचार एवं अकुशलता
- भ्रष्टाचार और अकुशलता नौकरशाही भी मुख्य समस्या बनी हुई है। विश्व बैंक के सरकारी प्रभावशीलता के माप के अनुसार, भारत नीति कार्यान्वयन और प्रशासनिक स्वतंत्रता की खराब गुणवत्ता को दर्शाता है। ये प्रणालीगत अकुशलताएँ भारत के आर्थिक विकास और शासन उद्देश्यों को बाधित करती हैं।
- केंद्रीकृत सत्ता संरचना प्राय: नौकरशाहों की अंतर्दृष्टि और विशेषज्ञता को दरकिनार कर देती है, जिससे प्रभावी नीति निष्पादक के रूप में कार्य करने की उनकी क्षमता कम हो जाती है।
सुधार के लिए सरकार का प्रयास
- भारतीय प्रशासनिक सेवा-केंद्रित प्रशासनिक मॉडल की सीमाओं को पहचानते हुए, सरकार ने वरिष्ठ नौकरशाही पदों पर पार्श्व प्रवेश (Lateral Entry) शुरू करके शासन में विविधता लाने का प्रयास किया है।
- इस कदम का उद्देश्य निजी क्षेत्र और अन्य सरकारी सेवाओं से डोमेन विशेषज्ञों को प्रमुख नीति निर्माण भूमिकाओं में लाना है, ताकि नए दृष्टिकोण और विशेष ज्ञान का संचार हो सके।
- संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने हाल ही में पार्श्व प्रवेश के लिए 45 पदों का विज्ञापन दिया, जिसमें विभिन्न मंत्रालयों में संयुक्त सचिव और निदेशकों के पद शामिल हैं।
- इस बदलाव ने IAS के पारंपरिक प्रभुत्व को बाधित कर दिया है, अब केंद्र में केवल 33% संयुक्त सचिव IAS से संबंधित हैं, जबकि एक दशक पहले लगभग पूर्ण प्रभुत्व था।
केस स्टडी : अमेरिका
- अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका द्वारा प्रस्तावित सरकारी दक्षता विभाग (DOGE) भारत के प्रशासनिक तंत्र में सुधार के लिए एक विशेष मॉडल पेश करता है।
- DOGE का उद्देश्य सरकारी कार्यों को सुव्यवस्थित करना, अक्षमता को कम करना और अनावश्यक एजेंसियों को समाप्त करना है।
- यह एलन मस्क और विवेक रामास्वामी जैसे नेताओं की विशेषज्ञता का लाभ उठाना है।
- DOGE का फिजूलखर्ची कम करने और जवाबदेही तंत्र शुरू करने पर ध्यान देने वाला मॉडल भारतीय नौकरशाही के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने में सहायक हो सकता है।
- यह भारत में एक सलाहकार निकाय की स्थापना के माध्यम से सिविल सेवा के भीतर अक्षमताओं की पहचान करने, डाटा-संचालित निर्णय लेने को बढ़ावा देने और नौकरशाही के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए मीट्रिक विकसित करने में मदद कर सकता है।
|
क्या किया जाना चाहिए
- भारत की नौकरशाही की चुनौतियों का समाधान करने के लिए प्रशासनिक सुधार के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है।
- भर्ती में योग्यता और डोमेन विशेषज्ञता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, साथ ही पदोन्नति वरिष्ठता के बजाय मापनीय प्रदर्शन से जुड़ी होनी चाहिए।
- नौकरशाहों को राजनीतिक रूप से प्रेरित स्थानांतरण से बचाना और नीति निर्माण भूमिकाओं में विशेषज्ञता को बढ़ावा देना जवाबदेही एवं दक्षता को बढ़ाएगा।
- सरकार को नौकरशाही के प्रदर्शन को ट्रैक करने के लिए एक मजबूत डाटा संरचना में निवेश करना चाहिए, जिससे नियुक्तियों, पदोन्नति और नीति कार्यान्वयन पर सूचित निर्णय लेने में मदद मिले।
- शासन द्वारा प्रभावी रूप से अपने नागरिकों की सेवा करने और भारत की आर्थिक आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सुधारात्मक उपाय आवश्यक है।