प्रारंभिक परीक्षा – क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर-2 |
चर्चा में क्यों
श्रीलंका, बांग्लादेश क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी(RCEP) में शामिल होने पर विचार कर रहे हैं।
प्रमुख बिंदु
- भारत के क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) समझौते से बाहर निकलने के चार साल बाद पड़ोसी देश श्रीलंका और बांग्लादेश अब 15 देशों के व्यापार ब्लॉक में सदस्यता की अपनी संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं।
- श्रीलंका ने सदस्यता के लिए आवेदन कर दिया है एवं बांग्लादेश निर्णय प्रक्रिया में है।
- भारत सेवाओं की गतिशीलता और चीनी सामानों की बाढ़ से चिंतित होकर भारत 2019 में आरसीईपी वार्ता से बाहर हो गया था।
- दोनों देश अद्यतन मुक्त व्यापार समझौतों (FTAs) के लिए भी भारत के साथ बातचीत कर रहे हैं और 2006 के दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार समझौते (SAFTA) का भी हिस्सा हैं।
- हालाँकि आरसीईपी में शामिल होने से वे उपमहाद्वीपीय व्यापार से बाहर हो जाएंगे और एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशंस (आसियान) के नेतृत्व वाले समूह तक पहुंच प्राप्त कर सकेंगे।
चिंता का विषय
- यदि भारत के पड़ोसी आरसीईपी में शामिल होते हैं, तो यह चिंता का विषय हो सकता है क्योंकि भारत के आसपास के बाजारों को चीनी व्यापार के प्रभुत्व वाले समूह के लिए खोलने से भारत पर इसका प्रभाव नकारात्मक हो सकती है ।
- वे बाज़ार भारत के लिए अधिक प्रतिस्पर्धी हो सकते हैं। इससे भरतीय बाजार प्रभावित हो सकती है।
क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी(Regional Comprehensive Economic
Partnership)(RCEP):
- क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) आसियान के दस सदस्य देशों एवं ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूज़ीलैंड द्वारा अपनाया गया एक मुक्त व्यापार समझौता (FTA) है।
- इस समझौते पर 15 नवंबर 2020 को हस्ताक्षर किये गए।
- क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) में सम्मलित देशों का विश्व के एक-तिहाई आबादी और वैश्विक जीडीपी के 30% (लगभग 26 ट्रिलियन से अधिक) का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) की स्थापना का विचार नवंबर 2011 में आयोजित 11 वें आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान प्रस्तुत की गई एवं नवंबर 2012 में कंबोडिया में आयोजित 12वें आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान इस समझौते की प्रारंभिक वार्ताओं की शुरुआत की गई।
- भारत के साथ अन्य 15 सदस्यों द्वारा इस समझौते पर वर्ष 2019 में हस्ताक्षर किये जाने का अनुमान था।
- परन्तु भारत द्वारा नवंबर 2019 में इस समझौते से अलग करने के निर्णय के बाद 15 देशों द्वारा RCEP पर हस्ताक्षर किए गए ।
भारत RCEP डील से बाहर क्यों रहा?
- भारत आसियान और एशिया के कुछ देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते के परिणामस्वरूप भारत का द्विपक्षीय व्यापार घाटे में ही रहा।
- केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2018-19 में RCEP के 11 देशों के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार घाटे में रहा।
- मुक्त और वैश्वीकृत अर्थव्यवस्था के नाम पर भारत में विदेशों से सब्सिडी युक्त उत्पादों के आयात और अनुचित उत्पादन लाभ की गतिविधियों की भी अनुमति दे दी गई।
- इस समझौते में शामिल होने के पश्चात् भारत में स्थानीय और छोटे उत्पादकों को कड़ी प्रतिस्पर्द्धा का सामना करना पड़ सकता है।
- क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) समझौते के तहत सदस्य देशों के बीच वस्तुओं के आयात पर लगने वाले टैरिफ को 92% तक कम कर दी गई।
- आयात शुल्क में कटौती होने से भारत के कृषि, डेयरी उत्पाद और अन्य ‘सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम’ (MSMEs) जैसे अन्य संवेदनशील क्षेत्रों को क्षति हो सकती थी।
- भारत द्वारा उठाए गए कई मुद्दों जैसे-आयात की सीमा, उत्पाद की उत्पत्ति का स्थान, डेटा सुरक्षा और आधार वर्ष आदि पर भी सहमति नहीं बन सकी।
- भारत द्वारा ‘रूल्स ऑफ ओरिजिन’ (Rules of Origin) को सख्त बनाने और ऑटो ट्रिगर तंत्र को मज़बूत करने पर ज़ोर दिया गया था, हालाँकि समझौते में इन मुद्दों पर भारत की चिंताओं को दूर करने का अधिक प्रयास नहीं किया गया।
- रूल्स ऑफ ओरिजिन, किसी उत्पाद की राष्ट्रीयता या राष्ट्रीय स्रोत के निर्धारण के लिये एक महत्त्वपूर्ण मापदंड है। कई मामलों में आयात की गई वस्तुओं पर शुल्क और प्रतिबंध का निर्धारण उनकी राष्ट्रीयता के आधार पर किया जाता है।
- ऑटो ट्रिगर तंत्र (auto trigger mechanism) आयात शुल्क में कमी या उसे पूर्णतया समाप्त करने की दशा में आयात में होने वाली अप्रत्याशित वृद्धि को रोकने के लिये एक व्यवस्था है।
- पिछले कुछ वर्षों में चीन द्वारा दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार समझौता (SAFTA) और बांग्लादेश के ड्यूटी फ्री रूट का लाभ लेकर भारत में कपड़ों के साथ अन्य कई उत्पादों को अत्यधिक मात्रा में पहुँचाया गया है। ऐसे में रूल्स ऑफ ओरिजिन और ऑटो ट्रिगर तंत्र के माध्यम से चीनी उत्पादों के आयात पर नियंत्रण लगाया जा सकता है।
- इसके अतिरिक्त भारत द्वारा टैरिफ कटौती के लिये वर्ष 2013 की बजाय वर्ष 2019 को आधार वर्ष के रूप में स्वीकार करने की मांग की गई थी। क्योंकि वर्ष 2014-19 के बीच भारत द्वारा कई उत्पादों पर आयात शुल्क में बढ़ोतरी की गई है।
- भारत द्वारा अपने बाज़ार को खोलने के बदले अन्य देशों को भारतीय श्रमिकों और सेवा क्षेत्र के लिये नियमों में ढील देने की मांग की गयी थी परन्तु अंतिम रूप से कोई सहमति नहीं बन पाई।
- इस समझौते में चीन के साथ तनाव के बीच एक चीनी नेतृत्त्व वाले समझौते में शामिल होना भारत के लिये नई बाधाएँ खड़ी कर सकता है।
प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
- क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) आसियान के दस सदस्य देशों एवं ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूज़ीलैंड द्वारा 15 नवंबर 2020 को हस्ताक्षर किये गए।
- भारत नवंबर 2019 में इस समझौते से अलग हो गया।
- ऑटो ट्रिगर तंत्र आयात शुल्क में कमी या उसे पूर्णतया समाप्त करने की दशा में आयात में होने वाली अप्रत्याशित वृद्धि को रोकने के लिये एक व्यवस्था है।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं ?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीन
(d) कोई भी नहीं
उत्तर: (c)
मुख्य परीक्षा प्रश्न : क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी क्या है? क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी से भारत बाहर क्यों रहा?
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स्रोत: the hindu