(मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र- 2: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ व मंच- उनकी संरचना एवं अधिदेश, भारत के हितों पर विकसित एवं विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव)
पृष्ठभूमि
- हाल ही में, अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (U.S. Commission on International Religious Freedom -USCIRF) ने वर्ष 2020 की अपनी रिपोर्ट में भारत को सबसे निचली रैंकिंग देकर इसे, "विशेष चिंता वाले देशों" (countries of particular concern - CPC) के वर्ग में शामिल कर दिया है।
- ध्यातव्य है कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता दशकों से एक विवादित मुद्दा रहा है। केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में कश्मीर से धारा 370 हटाने की वजह से उत्पन्न अराजकता एवं दिल्ली में हुए दंगों ने भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि पर पुनः एक दाग लगा दिया है।
USCIRF के बारे में
- यह मुख्यतः एक अमेरिकी संघीय सरकारी आयोग है जिसका निर्माण वर्ष 1998 के अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम (IRFA) के आधार पर किया गया है।
- इसकी प्रमुख ज़िम्मेदारी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन से जुड़े तथ्यों और परिस्थितियों की समीक्षा करना है।
भारत पर धार्मिक असहिष्णुता के आरोप
- USCIRF ने सूची में भारत को चीन, उत्तर कोरिया, सऊदी अरब और पाकिस्तान के साथ रखा है।
- विगत वर्ष सूची में भारत को "टियर-2 देश" के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
- वर्ष 2004 के बाद यह पहली बार है जब भारत को सी.पी.सी. श्रेणी में रखा गया है।
- आयोग ने यह भी सिफारिश की है कि अमेरिकी सरकार "अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम" (IRFA) के तहत भारत के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करे।
- वर्ष 2019 में भारत में नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act), नागरिकों के लिये प्रस्तावित राष्ट्रीय रजिस्टर (National Register for Citizens), धर्मांतरण विरोधी कानूनों और धारा 370 हटने के बाद से जम्मू-कश्मीर की स्थिति की वजह से बहुत बड़े स्तर पर धार्मिक विरोध देखा गया।
- रिपोर्ट में भारत पर धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने वाली राष्ट्रीय स्तर की नीतियों को अध्यारोपित करने के लिये अपने मज़बूत संसदीय बहुमत का दुरुपयोग करने का भी आरोप लगाया गया है।
- पैनल ने अपनी रिपोर्ट में भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न और उनके खिलाफ हिंसा और नफरत फैलाने वाले भाषणों के बहुतायत में पाए जाने का स्पष्ट उल्लेख किया है।
भारत की प्रतिक्रिया
- केंद्र ने USCIRF की रिपोर्ट को "पक्षपातपूर्ण और विवादास्पद (biased and tendentious) करार देते हुए तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और रिपोर्ट की सभी टिप्पणियों को खारिज कर दिया।
- केंद्र ने कहा कि भारत के खिलाफ पक्षपातपूर्ण और विवादस्पद टिप्पणियाँ नई नहीं है। लेकिन इस रिपोर्ट में इसकी गलत व्याख्या एक नए स्तर पर पहुँच गई है।
- भारत ने आरोपों को गलत और अनुचित बताते हुए अपने आंतरिक मामलों में आयोग के “हस्तक्षेप के अधिकार” पर सवाल खड़े किये हैं।
अमेरिका की धार्मिक सक्रियता
- अमेरिका ने इस महीने की शुरुआत में 27 देशों के एक अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता गठबंधन (International Religious Freedom Alliance) की घोषणा की, जिसका उद्देश्य दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा और संरक्षण में एक सामूहिक दृष्टिकोण अपनाना है।
- गठबंधन में शामिल होने वाले प्रमुख देशों में ब्राजील, यूनाइटेड किंगडम, इज़रायल, यूक्रेन, नीदरलैंड और ग्रीस (यूनान) हैं।
निष्कर्ष
- USCIRF पर भी मात्र ईसाईयों के उत्पीड़न पर ध्यान केंद्रित करने और मुस्लिम विरोधी और हिन्दुओं से भयग्रस्त होने का आरोप लगता रहा है। अतः आयोग की रिपोर्ट पर प्रश्नचिन्ह अवश्य खड़ा होता है।
- यद्यपि विगत वर्षों में भारत में वास्तव में ऐसे बहुत से आंदोलन और विरोध प्रदर्शन हुए हैं जिनका आधार धार्मिक रहा है लेकिन फिर भी भारत में धार्मिक स्वतंत्रता अभी भी कायम है और ऐसे मामले कम ही हैं जहाँ सरकार के द्वारा धार्मिक रूप से विभेद किया गया है।