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जम्मू एवं कश्मीर में अक्षय ऊर्जा पहल

(प्रारंभिक परीक्षा : समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि)

संदर्भ 

जम्मू एवं कश्मीर सरकार ने केंद्र प्रशासित प्रदेश में बिजली कटौती की समस्या को दूर करने के लिए धार्मिक स्थलों को अक्षय ऊर्जा पहल में शामिल करने की मंजूरी दी है।

जम्मू एवं कश्मीर में अक्षय ऊर्जा पहल के बारे में

  • इस अक्षय ऊर्जा पहल के अंतर्गत केंद्र प्रशासित प्रदेश के धार्मिक स्थलों, विशेष रूप से मस्जिदों को ‘प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना’ के तहत शामिल किया जाएगा।
  • जम्मू एवं कश्मीर में मस्जिदों की अद्वितीय बहु-स्तरीय और चौड़ी ढलान वाली छतें सौर पैनल के प्रयोग के लिए अत्यधिक अनुकूल हैं।
  • ये मस्जिदें 3 किलोवाट से 5 किलोवाट तक बिजली उत्पन्न कर सकती हैं। जम्मू एवं कश्मीर में अस्पताल व कार्यालय वर्ष 2014 से ही सौर ऊर्जा से जुड़े हुए हैं।

पहल के लाभ

  • धार्मिक स्थलों पर सोलर पैनल लगाने से ऊर्जा मांग में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।
  • केंद्र शासित प्रदेश में नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा मिलेगा।
  • धार्मिक स्थलों द्वारा ऑन-ग्रिड सिस्टम के साथ बिजली विभाग को अधिशेष बिजली की आपूर्ति होगी।
  • सुरक्षित एवं पर्यावरण अनुकूल बिजली उत्पादन में वृद्धि होगी।
  • बिजली कटौती की समस्या को दूर करने में मदद मिलेगी।

सौर ऊर्जा वित्तीय अनुदान

  • जम्मू एवं कश्मीर सरकार केंद्र शासित प्रदेश में सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन पर केवल 9,000 रुपए प्रति किलोवाट की सब्सिडी प्रदान करती है जो कि अन्य राज्यों की तुलना में कम है।
  • केंद्र सरकार ने जम्मू एवं कश्मीर में प्रति किलोवाट सब्सिडी घटक के रूप में 36,000 रुपए, 2 किलोवाट के लिए 72,000 रुपए और 3 किलोवाट के लिए 94,800 रुपए प्रदान करती है।

बिजली कटौती के मापक

  • SAIDI (System Average Interruption Duration Index) और SAIFI (System Average Interruption Frequency Index) दो ऐसे उपाय हैं जिनका उपयोग बिजली कटौती के पैमाने की तुलना करने के लिए किया जा सकता है।
    • SAIDI (सिस्टम औसत व्यवधान अवधि सूचकांक) एक औसत ग्राहक द्वारा प्रति वर्ष अनुभव किए जाने वाले गैर-क्षणिक विद्युत व्यवधानों के घंटों को मापता है।
    • SAIFI (सिस्टम औसत व्यवधान आवृत्ति सूचकांक) एक औसत ग्राहक द्वारा प्रति वर्ष अनुभव की जाने वाली गैर-क्षणिक विद्युत व्यवधानों की संख्या को मापता है।

प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के बारे में

  • प्रारंभ : 29 फरवरी, 2024
  • उद्देश्य : सौर रूफटॉप क्षमता की हिस्सेदारी बढ़ाने और आवासीय घरों को अपनी बिजली उत्पन्न करने के लिए सशक्त बनाने के लिए
  • योजना का परिव्यय : 75,021 करोड़ रुपए
  • योजनावधि : वित्त वर्ष 2026-27 तक लागू
  • नोडल एजेंसी : राष्ट्रीय स्तर पर एक राष्ट्रीय कार्यक्रम कार्यान्वयन एजेंसी (NPIA) और राज्य स्तर पर राज्य कार्यान्वयन एजेंसियों (SIA|) द्वारा कार्यान्वित
  • प्रमुख प्रावधान
    • 2 किलोवाट क्षमता तक की प्रणालियों के लिए सौर इकाई लागत का 60% सब्सिडी
    • 2 से 3 किलोवाट क्षमता के बीच की प्रणालियों के लिए अतिरिक्त प्रणाली लागत का 40% सब्सिडी
    • सब्सिडी की सीमा 3 किलोवाट क्षमता तक सीमित रखी गई है।
    • वर्तमान बेंचमार्क मूल्यों पर  
      • इसका अर्थ है 1 किलोवाट प्रणाली के लिए 30,000 रुपए, 2 किलोवाट प्रणाली के लिए 60,000 रुपए तथा 3 किलोवाट या उससे अधिक प्रणाली के लिए 78,000 रुपए की सब्सिडी।
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