चर्चा में क्यों?
‘पेरिस स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स’ के शोध केंद्र ‘वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब’ द्वारा जारी की गई ‘विश्व असमानता रिपोर्ट, 2022’ के अनुसार, कोविड-19 महामारी के दौरान अमीर और गरीब के बीच विषमता बढ़ी है तथा गरीबों की दशा निरंतर खराब होती जा रही है।
प्रमुख बिंदु
- वैश्विक आय का 52% हिस्सा वैश्विक जनसंख्या के शीर्ष 10% लोगों के पास है, जबकि निम्नतम 50% लोगों के पास वैश्विक आय का महज़ 8.5% हिस्सा ही है।
- शीर्ष 10% वैश्विक आबादी कुल वैश्विक संपत्ति का 76%, जबकि निम्नतम 50% वैश्विक आबादी कुल वैश्विक संपत्ति का मात्र 2% अपने पास रखती है।
- क्षेत्रवार दृष्टिकोण से देखें, तो यूरोप में शीर्ष 10% लोगों के पास कुल आय का 36%, जबकि पश्चिमी एशिया व उत्तरी अफ्रीका के शीर्ष 10% लोगों के पास कुल आय का 58% है।
असमानता के कारण
- सरकार की आय पुनर्वितरण नीतियों की विफलता
- कुछ देशों में संसाधनों पर सरकार की अपेक्षा निजी क्षेत्र का अधिक नियंत्रण
- अर्थव्यवस्था में महिलाओं की अपर्याप्त भागीदारी
समाधान
- आय पुनर्वितरण नीतियों का प्रभावी क्रियान्वयन हो
- शिक्षा के अवसरों में वृद्धि हो
- धन-संग्रहण हतोत्साहित किया जाए
कुज़नेट्स सिद्धांत
अमेरिकी अर्थशास्त्री और सांख्यिकीविद् साइमन स्मिथ कुज़नेट्स ने कई अर्थव्यवस्थाओं का अध्ययन कर ‘आय असमानता’ और ‘आर्थिक विकास’ में संबंध स्थापित किया और उल्टे यू-आकार (U) का वक्र प्राप्त किया, इसे ‘कुज़नेट्स वक्र’ कहते हैं।
निष्कर्ष
- आर्थिक विकास के कारण गरीब देशों में आय असमानता बढ़ी, जबकि अमीर देशों में घटी।
- आर्थिक विकास होने पर पहले आय असमानता में वृद्धि और फिर कमी होती है।
- आर्थिक विकास के लिये अर्थव्यवस्थाएँ ‘कृषि’ से ‘उद्योगों’ की ओर अग्रसर होती हैं। ‘औद्योगिक अर्थव्यवस्था’ की अपेक्षा ‘कृषि अर्थव्यवस्था’ में आय-विषमता बहुत कम होती है, इसलिये आर्थिक विकास होने पर आय-विषमता बढ़ती है।
- आर्थिक असमानता का चक्र बाज़ार की ताकतों द्वारा भी संचालित होता है।
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