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बंदरो के लिये बचाव एवं पुनर्वास केंद्र

संदर्भ

हाल ही में, तेलंगाना में बंदरों के लिये पहले बचाव एवं पुनर्वास केंद्र का उद्घाटन किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • इस बचाव एवं पुनर्वास केंद्र की स्थापना तेलंगाना के निर्मल ज़िले के चिंचोली गाँव के पास गांधी रमन्ना हरितावनम में की गई है।
  • इसके अंतर्गत मानव बस्तियों में उद्यम करने वाले बंदरों को चरणबद्ध तरीके से पकड़ा जाएगा और इन्हें पुनर्वास केंद्र में लाया जाएगा।यहाँ इनकी प्रजनन दर को न्यूनतम करने के लिये इनकी नसबंदी करके फिर से इन्हें जंगलों में छोड़ दिया जाएगा।
  • यह प्राइमेट के लिये देश में इस प्रकार का यह दूसरा तथा दक्षिण भारत का पहला केंद्र है। इससे पूर्व, हिमाचल प्रदेश में इस प्रकार का देश का पहला पुनर्वास केंद्र स्थापित किया गया था।
  • ध्यातव्य है कि पूर्व में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने हिमाचल प्रदेश में बंदरों को ‘वर्मिन’ घोषित किया था। वर्मिन पशु वे होते हैं जिन्हें वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (धारा-62) के अंतर्गत राज्य सरकार के अनुरोध पर केंद्र सरकार वध करने की अनुमति प्रदान करती है।
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