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नवाचार में अनुसंधान और विकास

संदर्भ

आर्थिक सर्वेक्षण, 2020-21 के अनुसार, विश्व की शीर्ष दस अर्थव्यवस्थाओं से प्रतिस्पर्धा करने के लिये भारत के निजी क्षेत्र को अनुसंधान और विकास (R&D) के साथ-साथ नवाचार के क्षेत्र में व्यय बढ़ाने की आवश्यकता है।

वर्तमान स्थिति

  • वित्त वर्ष 2020-21 के लिये आर. एंड डी. पर कुल व्यय देश के जी.डी.पी. का मात्र 65% था, जो विश्व की शीर्ष 10 अर्थव्यवस्थाओं द्वारा खर्च किये गए धन के एक-तिहाई से भी कम था, जिन्होंने आर. एंड डी. पर जी.डी.पी. का 1.5 से 3% के बीच खर्च किया।
  • आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में किये गए आर. एंड डी. पर कुल खर्च में से आधे से अधिक सरकार ने किया था। इसके बावजूद भारत का अनुसंधान और विकास पर सकल घरेलू व्यय (GERD) कम रहा है।
  • चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से नवंबर 2020 के बीच सभी कंपनियों ने (स्टार्टअप्स को छोड़कर) लगभग 38,000 आवेदन किये, जिनमें से लगभग 15,000 को मंज़ूरी प्रदान की गई। अप्रैल से अक्तूबर के बीच लगभग इसी अवधि में भारत में स्टार्टअप्स ने पेटेंट के लिये 1,100 आवेदन दिये लेकिन किसी को भी मंज़ूर नहीं किया गया।

उपाय

  • भारत को अनुसंधान और विकास पर खर्च के मामले में शीर्ष 10 अर्थव्यवस्थाओं के स्तर तक पहुँचने के लिये देश में निजी क्षेत्र के व्यय को 37% से बढ़ाकर से 68% तक करने के साथ ही अवसरों में भी वृद्धि करने की आवश्यकता है।
  • ‘जुगाड़ इनोवेशन’ पर अधिक निर्भरता के जोखिमों की वजह से भारत ने नवाचार के अपने महत्त्वपूर्ण अवसरों को खो दिया है। इसके लिये व्यावसायिक क्षेत्र द्वारा अनुसंधान एवं विकास पर प्रमुख रूप से ज़ोर देने की आवश्यकता है।
  • वर्तमान में पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (अमेरिकी डॉलर के हिसाब से) होने के नाते भारतीय निजी फर्मों को कुल पेटेंट में अपने हिस्से को बढ़ाकर अर्थव्यवस्था के सापेक्ष किये जाने की आवश्यकता है।
  • विभिन्न क्षेत्रों में आर. एंड डी. और नवाचार में निजी निवेश को बढ़ाने के साथ-साथ भारत को देश में दाखिल किये गए पेटेंट आवेदनों की कुल संख्या में भी सुधार करना होगा।
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