(प्रारम्भिक परीक्षा: भारत का प्राकृतिक भूगोल)
(मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र- 1: भौगोलिक विशेषताएँ)
- हाल ही में, भारतीय शोधकर्ताओं ने लद्दाख हिमालय में नदियों का अध्ययन किया, जिसके द्वारा क्षेत्र में नदियों के कटाव के 35 हजार साल के इतिहास को सामने लाया गया है और कटाव क्षेत्र के उन हॉटस्पॉटों की पहचान की है जो बफर जोन का कार्य करते हैं।
- ध्यातव्य है कि, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (WIHG) के वैज्ञानिकों और शोधछात्रों द्वारा यह अध्ययन किया गया।
लद्दाख क्षेत्र
- लद्दाख हिमालय, वृहत हिमालय पर्वतमाला और काराकोरम पर्वतमाला के बीच एक अत्यधिक ऊँचाई के रेगिस्तान का निर्माण करता है।
- सिंधु और उसकी सहायक नदियाँ इस क्षेत्र से होकर बहने वाली प्रमुख नदियाँ हैं।
- ज़ांस्कर नदी ऊपरी सिंधु कैचमेंट की सबसे बड़ी सहायक नदियों में से एक है, जो अत्यधिक विकृत ज़ांस्कर श्रेणियों से समकोण बनाते हुए बहती है।
ज़ांस्कर: लद्दाख की एक प्रमुख नदी
- ज़ांस्कर नदी की दो प्रमुख सहायक नदियाँ हैं डोडा और त्सराप चिउ नदी या लिंगती नदी, ये दोनों ही ऊपरी घाटी के पदम गाँव में मिलती हैं जहाँ ये मिलकर ज़ांस्कर नदी बनाती हैं।
- ज़ांस्कर कैचमेंट (Zanskar catchment) का अध्ययन संक्रमणकालीन जलवायु क्षेत्र में भू-आकृतिक विकास को समझने के लिये किया गया था।
- इस अध्ययन का उपयोग मॉर्फो-स्ट्रैटिग्राफी (morpho-stratigraphy) और घाटी भराव, जलोढ़ पंखे (बजरी, रेत के त्रिकोण-आकार के जमा, और तलछट के छोटे टुकड़े) जैसी स्थलाकृतियों के अध्ययन के लिये किया जा सकता है।
जांस्कर पदम
- ज़ांस्कर नदी अपने निचले हिस्से में गहरी खाई बनाती है तथा ऊपरी ज़ांस्कर व्यापक बेसिन बनाती है जिसे पदम कहा जाता है।
- पदम बेसिन जलोढ़पंखों, नदीछत और तलछट आदि के रूप में बड़ी मात्रा में अवसादों को संग्रहीत करता है।
- अनुसंधान में यह भी निष्कर्ष निकला कि ऊपरी ज़ांस्कर में 48 वर्ग किमी के क्षेत्र के साथ पदम की विस्तृत घाटी में विशाल मात्रा में अवसादों का संग्रह हुआ है।
- इस प्रकार पदम घाटी/पदम बेसिन ज़ांस्कर में तलछट जमाव (sediment buffering) का एक केंद्र है।
- तलछट अध्ययन से कटाव का पता चलता है
- अध्ययन में यह तथ्य भी सामने आया कि अधिकांश तलछट ज़ांस्कर के प्रमुख जल क्षेत्र में स्थित उच्च हिमालयी क्रिस्टलों से निर्मित हुए थे।
- अध्ययन में यह भी पता चला कि तलछट के क्षरण के लिये विखंडन और भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून प्रमुख रूप से ज़िम्मेदार कारक थे।
अध्ययन का महत्त्व
- वैज्ञानिकों ने यह पता लगाया है कि हिमालय और इसके जंगलों में बहने वाली नदियाँ सबसे अधिक कहाँ से निकलती हैं और उन क्षेत्रों की भी पहचान की है जहाँ नष्ट हुए तलछटों का संग्रहण होता है।
- अध्ययन से नदी-जनित क्षरण और अवसादन को समझने में मदद मिलेगी, जो बड़े नदी के मैदानों, छतों, और डेल्टाओं के बनने में और सभ्यताओं के विकास के लिये भी प्रमुख रूप से उत्तरदायी कारक हैं।
- यह अध्ययन हाल के दिनों में इन हिमालयी नदियों द्वारा लाई गई विनाशकारी बाढ़ की गतिशीलता का अध्ययन करने में भी मदद करेगा।