भारतीय रिजर्व बैंक ने सरकार के लिए अधिशेष की घोषणा की
संदर्भ
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के केंद्रीय निदेशक मंडल ने लेखा वर्ष 2023-24 के लिए केंद्र सरकार को अधिशेष के रूप में रिकॉर्ड ₹2,10,874 करोड़ के हस्तांतरण को मंजूरी दे दी।
साथ ही आर.बी.आई. ने आकस्मिक जोखिम बफर (CRB) को 6% से बढ़ाकर 6.5% करने का भी निर्णय लिया है।
इस तरह के अप्रत्याशित लाभ से वित्त वर्ष 2025 में केंद्र सरकार के राजकोषीय घाटे को 0.4% तक कम करने में मदद हो सकती है।
आर.बी.आई. द्वारा अधिशेष हस्तांतरण के प्रावधान
भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 47 में आर.बी.आई. द्वारा सरकार को अधिशेष के हस्तांतरण का प्रावधान किया गया है।
धारा 47 के अनुसार, खराब और संदिग्ध ऋणों, परिसंपत्तियों में मूल्यह्रास, कर्मचारियों के लिए योगदान और सेवानिवृत्ति निधि के लिए प्रावधान करने के बाद आमतौर पर बैंक द्वारा लाभ का शेष भुगतान केंद्र सरकार को किया जाएगा।
आर.बी.आई. द्वारा हस्तांतरण योग्य अधिशेष का निर्धारण “आर्थिक पूंजी ढांचे (Economic Capital Framework)” के आधार पर किया जाता है।
आर.बी.आई. ने मौजूदा आर्थिक पूंजी ढांचा 26 अगस्त, 2019 को डॉ. बिमल जालान की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के अनुरूप तैयार किया है।
विशेषज्ञ समिति ने सिफारिश की थी कि सी.आर.बी. के तहत जोखिम प्रावधान को आरबीआई की बैलेंस शीट के 6.5-5.5% के दायरे में बनाए रखा जाना चाहिए।
क्या है आकस्मिक जोखिम बफ़र
आकस्मिक जोखिम बफ़र (Contingency Risk Buffer) केंद्रीय बैंक द्वारा रखी गई एक विशिष्ट प्रावधान निधि है जिसका उपयोग मुख्य रूप से किसी भी अप्रत्याशित और अनपेक्षित आकस्मिकताओं के दौरान किया जाता है।
इन अप्रत्याशित आकस्मिकताओं में प्रतिभूतियों के मूल्यों का मूल्यह्रास, मौद्रिक दर नीति परिवर्तन से जोखिम, व्यवस्था के लिए प्रणालीगत जोखिम आदि शामिल हो सकते हैं।
यह आम तौर पर आर.बी.आई. की बैलेंस शीट के 5.5-6.5% की सीमा में होता है।
आरबीआई बोर्ड ने सीआरबी को पहले के 6% से बढ़ाकर 6.5% करने का भी निर्णय लिया क्योंकि अर्थव्यवस्था मजबूत और लचीली बनी हुई है।
आर.बी.आई. को अधिशेष भुगतान के लिए पैसा कहाँ से मिलता है?
आकस्मिकताओं या संभावित नुकसान के लिए पर्याप्त प्रावधान करने के बाद आर.बी.आई. वार्षिक रूपसे केंद्र सरकार को अपना अधिशेष हस्तांतरित करता है।
आर.बी.आई. के अधिशेष का एक महत्वपूर्ण हिस्सा वित्तीय बाजारों में इसके संचालन से आता है, विशेषकर विदेशी मुद्रा खरीद या बिक्री में हस्तक्षेप से।
आर.बी.आई. अपने पास मौजूद सरकारी प्रतिभूतियों और अपनी विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों से प्रतिलाभ के रूप में, जो कि विदेशी केंद्रीय बैंकों के बांड या टॉप-रेटेड प्रतिभूतियों में निवेश है, से भी आय अर्जित करता है।
आर.बी.आई. की आय के अन्य स्रोतों में अन्य केंद्रीय बैंकों या बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट (BIS) में जमा राशि शामिल है।
इसके अतिरिक्त, केंद्रीय बैंक बहुत कम अवधि के लिए बैंकों को ऋण देने और राज्य सरकारों तथा केंद्र सरकार की उधारी को संभालने पर प्रबंधन कमीशन से भी आय अर्जित करता है