(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय) |
संदर्भ
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने ब्रिटेन में संग्रहीत अपने 100 मीट्रिक टन सोने को भारत स्थित घरेलू तिजोरियों में स्थानांतरित किया है। स्वर्ण भंडार किसी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा रखा गया स्वर्ण होता है, जो वित्तीय वादों के लिए बैकअप एवं मूल्य संचय के रूप में कार्य करता है।
भारत का स्वर्ण भंडार
- अन्य देशों की तरह भारत जोखिम में विविधता लाने और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को आसान बनाने के लिए अपने स्वर्ण भंडार का एक हिस्सा विदेशी तिजोरियों में रखता है।
- वित्त वर्ष 24 तक भारत के कुल स्वर्ण भंडार की मात्रा 822.10 मीट्रिक टन है। भारत में स्थानीय रूप से संगृहीत कुल स्वर्ण की मात्रा 408 मीट्रिक टन है। इसमें से 308 मीट्रिक टन से अधिक स्वर्ण भारत में जारी किए गए नोटों के समर्थन के लिए है जबकि 100.28 मीट्रिक टन स्वर्ण बैंकिंग विभाग की संपत्ति के रूप में रखा गया है।
- वर्तमान में कुल 413.79 मीट्रिक टन भारतीय स्वर्ण विदेशों में सुरक्षित रखा गया है।
क्यों किया जाता है RBI द्वारा स्वर्ण का भंडारण
- अनिश्चितता से बचाव : RBI नकारात्मक ब्याज दरों और भू-राजनीतिक अस्थिरताओं के खिलाफ सुरक्षात्मक उपाय के रूप में स्वर्ण का भंडारण करता है।
- विदेशी मुद्रा भंडार के लिए विविधीकरण : स्वर्ण के माध्यम से विदेशी मुद्रा भंडार का विस्तार किया जाता है जो संकट के दौरान स्थिरता, तरलता एवं मूल्य में वृद्धि करता है।
- स्वर्ण का संचयी मूल्य : अर्थव्यवस्था में सोने का ऐतिहासिक महत्व एक आरक्षित मुद्रा के रूप में इसके कार्य, अंतर्निहित मूल्य एवं किसी देश की मुद्रा को मजबूत करने की इसकी क्षमता में निहित है।
- इसके अतिरिक्त, यह केंद्रीय बैंक की गतिविधियों में सरकारी प्रतिभूतियों के विकल्प के रूप में कार्य कर सकता है।
- RBI अधिनियम, 1934 की धारा 33 के अनुसार, RBI द्वारा जारी किए गए सभी बैंक नोट स्वर्ण, सरकारी प्रतिभूतियों एवं विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों द्वारा समर्थित हैं।
विदेशों में RBI द्वारा स्वर्ण का भंडारण
- भारत का स्वर्ण भंडार विदेशों में मुख्य रूप से बैंक ऑफ इंग्लैंड में रखा जाता है क्योंकि वह सख्त सुरक्षा उपायों के लिए प्रसिद्ध है।
- इसके अलावा RBI अपने स्वर्ण भंडार का कुछ हिस्सा स्विट्जरलैंड के बेसल में बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (BIS) और संयुक्त राज्य अमेरिका में फेडरल रिजर्व बैंक ऑफ न्यूयॉर्क में भी रखता है।
विदेशों में RBI द्वारा स्वर्ण का भंडारण क्यों किया जाता है?
- लॉजिसटिक्स सुविधा : वर्ष 1990-91 के विदेशी मुद्रा संकट के दौरान भारत ने $405 मिलियन का ऋण प्राप्त करने के लिए बैंक ऑफ़ इंग्लैंड को अपने स्वर्ण भंडार का एक हिस्सा गिरवी रख दिया था।
- हालाँकि, नवंबर 1991 तक ऋण चुका दिया गया था किंतु RBI ने लॉजिस्टिक्स कारणों से स्वर्ण को ब्रिटेन में ही रखने का विकल्प चुना।
- आर्थिक गतिविधियों में सुविधा : विदेश में संग्रहीत स्वर्ण का उपयोग व्यापार, स्वैप में प्रवेश करने और रिटर्न अर्जित करने के लिए आसानी से किया जा सकता है।
- RBI अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों से भी स्वर्ण खरीदता है और इसे विदेशों में संग्रहीत करके इन लेन-देन को सुविधाजनक बनाता है।
वर्तमान समय में RBI द्वारा स्वर्ण को भारत स्थानांतरित करने के क्या निहितार्थ हैं?
- आत्मविश्वास में वृद्धि : वर्तमान में भारत में यह स्वर्ण हस्तांतरण वैश्विक बाजारों में भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति व नीतियों के बारे में एक मज़बूत संदेश देता है।
- इसके अलावा, विश्वास में वृद्धि अधिक विदेशी निवेश को आकर्षित कर सकता है, जो आर्थिक विकास और स्थिरता में योगदान देता है।
- परिसंपत्तियों की सुरक्षा : RBI ने अपने स्वर्ण भंडार का एक बड़ा हिस्सा घरेलू स्तर पर संगृहीत करके अपनी संपत्तियों को सुरक्षित रूप से प्रबंधित करने का संदेश दिया है।
- यह कदम अंतरराष्ट्रीय निवेशकों और वित्तीय बाजारों को आश्वस्त करता है कि RBI या भारत अपनी संपत्तियों के बारे में गंभीर है और वित्तीय स्थिरता एवं संभावित जोखिमों से सुरक्षा बनाए रखता है।
- भारतीय क्षेत्राधिकार : भारत में स्वर्ण स्थानांतरित करने के बाद अब यह भारतीय कानूनों एवं विनियमों के अधीन है।
- इसलिए, यह कदम RBI के स्वर्ण की समग्र सुरक्षा को बढ़ाता है।
- विदेशी संरक्षकों पर कम निर्भरता : यह कदम विदेशी संरक्षकों पर निर्भरता कम करने के भारत के इरादे को भी दर्शाता है।
- इससे भू-राजनीतिक जोखिमों और वित्तीय अस्थिरताओं के जोखिम को कम किया जा सकेगा।