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दूरसंचार क्षेत्र में लचीलापन : महत्त्व एवं चुनौतियां

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि)

संदर्भ

दूरसंचार विभाग और द कोलिशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर (CDRI) द्वारा आपदाओं की स्थिति में भारतीय दूरसंचार नेटवर्क की तैयारियों से संबंधित एक रिपोर्ट जारी की गई है।

लचीली दूरसंचार अवसंरचना के बारे में

  • लचीली दूरसंचार अवसंरचना प्राकृतिक एवं मानवजनित आपदाओं के दौरान संचार व्यवस्था को बनाए रखती है और आपदा से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • यह दूरसंचार नेटवर्क आपदाओं के दौरान राज्य एवं राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों को स्थानीय नगर पालिकाओं और राज्य व संघ सरकारों के साथ शीघ्रता से संवाद करने में सहायक होते हैं। 
  • हालाँकि, अधिकतर दूरसंचार नेटवर्क आपदा के समय असुरक्षित होते हैं।
    • इनमें केबलिंग शामिल होती है जो पूरी तरह से भूमिगत नहीं हो सकती है।
    • संचार टावर को वायु की उच्च गति का सामना करने में समस्या होती है।
    • चक्रवात एवं भूकंप जैसी आपदाओं से विद्युत का निरंतर प्रवाह बाधित होता है।

आपदाओं का दूरसंचार अवसंरचना पर प्रभाव

  • तेज़ हवाओं से टावरों के ऊपर बंधे केबल टूट सकते हैं जबकि भूमिगत केबल को कई आपदाओं से बचाया जा सकता है।
  • तटीय क्षेत्रों में जोखिम अधिक होता है क्योंकि यहीं पर समुद्र के नीचे की केबल भारत को वैश्विक इंटरनेट से जोड़ती हैं।
  • यदि इन केबलों के लैंडिंग स्टेशन प्रभावित होते हैं तो बड़े पैमाने पर नेटवर्क व्यवधान हो सकता है क्योंकि दूरसंचार ऑपरेटर अन्य केबलों के माध्यम से ट्रैफ़िक को फिर से रूट करने का प्रयास करते हैं।
  • आपदाओं के दौरान बिजली की कमी एक बड़ी समस्या बनी हुई है।

भारत में दूरसंचार क्षेत्र में लचीलापन 

  • भारत में दूरसंचार क्षेत्र में लचीलापन एक राष्ट्रीय प्राथमिकता है। 
    • यह आपदा पूर्व, आपदा के दौरान एवं आपदा पश्चात् निर्बाध कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
    • यह संयुक्त राष्ट्र की ‘2027 तक सभी के लिए प्रारंभिक चेतावनी’ पहल के अनुरूप है।
      • इस पहल का उद्देश्य वर्ष 2027 के अंत तक सभी लोगों को जीवन रक्षक पूर्व चेतावनी प्रणालियों के माध्यम से खतरनाक मौसम, पानी या जलवायु घटनाओं से बचाना सुनिश्चित करना है।

दूरसंचार लचीलेपन के लिए क्रियान्वित प्रमुख सरकारी पहल

  • त्वरित आपदा प्रतिक्रिया के लिए आपदा राहत बल, राज्य सरकारों एवं दूरसंचार ऑपरेटरों के साथ वास्तविक समय समन्वय
  • आपातकालीन अलर्ट के लिए स्वदेशी सेल प्रसारण प्रणाली का राष्ट्रव्यापी कार्यान्वयन
  • गृह मंत्रालय के सहयोग से सार्वजनिक सुरक्षा और आपदा राहत नेटवर्क की तैनाती
  • सेवाओं की शीघ्र बहाली सुनिश्चित करने के लिए दूरसंचार ऑपरेटरों के लिए नियामक समर्थन को मजबूत करना
  • आपदा प्रभावित क्षेत्रों में संपर्क बनाए रखने के लिए उपग्रह आधारित संचार और उच्च ऊँचाई प्लेटफार्म प्रणाली को बढ़ावा देना

सी.डी.आर.आई. द्वारा जारी रिपोर्ट के बारे में 

  • इस रिपोर्ट का लक्ष्य नीति एवं योजना स्तर पर दूरसंचार अवसंरचना में लचीलापन सिद्धांतों को मुख्यधारा में लाना और भारत व विश्व स्तर पर अंतर-क्षेत्रीय सहयोग तथा समन्वय को बढ़ावा देना है।
  • इस रिपोर्ट के अध्ययन में 0.77 मिलियन दूरसंचार टावरों में बहु-खतरा जोखिम मूल्यांकन किया गया जिसमें बाढ़, चक्रवात, भूकंप एवं अन्य आपदाओं से होने वाले जोखिमों का मानचित्रण किया गया।
  • आपदा की तीव्रता, आवृत्ति व प्रभाव के आधार पर दूरसंचार बुनियादी ढांचे की भेद्यता का आकलन करने के लिए एक आपदा जोखिम एवं लचीलापन सूचकांक विकसित किया गया है।
  • रिपोर्ट के परिणाम दूरसंचार सेवा व्यवधानों को कम करने, बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और आपातकालीन प्रतिक्रिया तंत्र में सुधार के लिए एक रोडमैप प्रस्तुत करते हैं।

दूरसंचार नेटवर्क की सुरक्षा के लिए प्रमुख सिफारिशें

  • तकनीकी नियोजन एवं डिजाइन को उन्नत करना
    • इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि दूरसंचार अवसंरचना आपदा प्रभावों का सामना कर सके।
  • डाटा-संचालित जोखिम प्रबंधन को सक्षम करने के लिए एक मजबूत बहु-खतरा सूचना भंडार विकसित करना
  • क्षेत्रीय नीतियों में आपदा लचीलेपन को एकीकृत करने के लिए जोखिम-सूचित प्रशासन को लागू करना
  • हितधारक सहयोग एवं समन्वित प्रतिक्रिया तंत्र को आगे बढ़ाने के लिए एक अंतर-क्षेत्रीय ढांचा स्थापित करना
  • महत्वपूर्ण दूरसंचार अवसंरचना के लचीलापन को समर्थन देने के लिए वित्तीय व्यवस्था को मजबूत करना
  • आपात स्थितियों के दौरान समावेशिता सुनिश्चित करने के लिए अंतिम छोर तक संपर्क एवं सूचना तक पहुँच को बढ़ावा देना
  • संकट की स्थितियों में सेवा बहाली को बढ़ाने के लिए डिजिटल एवं सहयोगात्मक प्रयासों का लाभ उठाना
  • सेवा की गुणवत्ता एवं विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए सटीक निगरानी तंत्र को लागू करना
  • अन्य सुझाव
    • एक बार संरचना निर्माण : इसमें पानी एवं गैस की आपूर्ति लाइनों, जलनिकासी व फाइबर ऑप्टिक केबल जैसे भूमिगत नागरिक बुनियादी ढांचे का निर्माण एक बार में ही किया जाना चाहिए तथा प्रत्येक वर्ष अलग से नई संरचना का निर्माण करके पुरानी अवसंरचना को क्षतिग्रस्त नहीं किया जाना चाहिए।
    • पैरामीट्रिक बीमा : यह एक ऐसी प्रणाली है जिसमें दूरसंचार ऑपरेटरों को आपदा के वाणिज्यिक बोझ को अकेले नहीं सहन करना पड़ता है और उन्हें नेटवर्क को तेजी से ऑनलाइन रिस्टोर करने के लिए वित्तीय रूप से प्रोत्साहित किया जाता है।

निष्कर्ष 

दूरसंचार विभाग के नेतृत्व एवं बहु-हितधारक जुड़ाव के साथ इस रोडमैप को अपनाने से भारत के दूरसंचार क्षेत्र को आपदाओं का प्रभावी ढंग से अनुमान लगाने, उनका प्रत्युत्तर देने और उनसे उबरने में मदद मिलेगी, जिससे आपदा एवं संकट के समय में भी निर्बाध संचार सुनिश्चित हो सकेगा।

आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (CDRI) के बारे में

  • क्या है : यह जलवायु एवं आपदा-रोधी अवसंरचना समाधानों के लिए समर्पित एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है।
  • स्थापना : 23 सितंबर, 2019 को
  • यह राष्ट्रीय सरकारों, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों एवं कार्यक्रमों, बहुपक्षीय विकास बैंकों व वित्तपोषण तंत्रों, निजी क्षेत्र तथा शैक्षणिक और ज्ञान संस्थानों की एक बहु-हितधारक वैश्विक साझेदारी है।
  • यह अंतर-सरकारी संगठन नहीं है जो आमतौर पर संधि-आधारित संगठन होते हैं।
  • रणनीतिक प्राथमिकताएँ : तकनीकी सहायता एवं क्षमता निर्माण, अनुसंधान एवं ज्ञान प्रबंधन, पक्षसमर्थन एवं भागीदारी 
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