चर्चा में क्यों?
भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने 11 जून 2024 को विदेशों से मोती, हीरे और अन्य कीमती एवं अर्ध-कीमती पत्थरों से जड़े कुछ स्वर्ण आभूषणों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है। हालाँकि, भारत-संयुक्त अरब अमीरात मुक्त व्यापार समझौते के तहत होने वाले आयात को इस प्रतिबंध से छूट दी गई है।
भारत में स्वर्ण आयात की स्थिति
- अप्रैल 2023 में, भारत का कुल स्वर्ण आयात 1 बिलियन डॉलर था, जो अप्रैल 2024 में 208.99 प्रतिशत बढ़कर 3.11 बिलियन डॉलर हो गया।
- इसका अप्रैल 2024 में भारत के वस्तु व्यापार घाटे को 5 महीने के उच्चतम स्तर 19.1 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने में अहम् योगदान था।
- भारत सोने की चिड़िया से सोने का कुआं बनता जा रहा है जिससे देश में व्यापार घाटे की समस्या निरंतर रूप से बनी हुई है।
स्वर्ण आभूषणों के आयात पर प्रतिबंध के कारण
- मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement : FTA) के तहत भारत में स्वर्ण आयात में वृद्धि के मद्देनजर यह प्रतिबंध लगाए गए हैं।
- इस आयात का अधिकतर हिस्सा FTA देशों (जैसे; इंडोनेशिया) से शून्य शुल्क पर या बहुत कम शुल्क पर भारत में आ रहा था और आभूषण बनाने के लिए भारत में पिघलाया जा रहा था।
- आयात में असामान्य उछाल के कारण, वाणिज्य मंत्रालय ने आयातकों और संबंधित देशों की बेहतर निगरानी के लिए इसे प्रतिबंधित सूची में डालने का फैसला किया।
- आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जिन आभूषणों को प्रतिबंधित श्रेणी में रखा गया है, उनका आयात 2022-2023 के 52 मिलियन डॉलर से 30 गुना बढ़कर 2023-2024 में 1,551 मिलियन डॉलर हो गया।
- अन्य प्रतिबंधित श्रेणियों जैसे हीरे और मोती जैसे कीमती और अर्ध-कीमती पत्थरों से जड़े आभूषणों का पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान पहली बार आयात हुआ है।
प्रतिबंध के निहितार्थ
- विदेश व्यापार महानिदेशालय ने अधिसूचना जारी करके मोती, हीरे व अन्य बहुमूल्य पत्थरों से जड़े सोने के आभूषणों को आयात के लिए ‘मुक्त’ से ‘प्रतिबंधित’ श्रेणी में ला दिया है, जिसका अर्थ है कि उनके आयात के लिए अब सरकारी अनुमति या लाइसेंस की आवश्यकता होगी।
- इस प्रतिबंध के बाद FTA वाले कुछ देशों से आयातित चिन्हित आभूषणों को मुफ्त आयात के स्थान पर 15% शुल्क के साथ ही आयात किया जा सकेगा।
- यह प्रतिबंध FTA देशों से इन बहुमूल्य वस्तुओं के अनियमित आयात को हतोत्साहित करेगा।
- इसके अलावा, आयात के लिए लाइसेंस व्यवस्था लागू करके तस्करी गतिविधियों को भी नियंत्रित किया जा सकता है।
- सोने के आभूषणों और अन्य वस्तुओं पर आयात प्रतिबंध लगाने से घरेलू आभूषण विक्रेताओं को अधिक सुरक्षा मिलेगी तथा आभूषण निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा।
भारत के समक्ष चुनौतियां
- तस्करी गतिविधियाँ : तस्करी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए जिम्मेदार जांच एजेंसियां, खासकर अल्प विकसित देशों और उन देशों से सोने के आयात में वृद्धि को लेकर चिंतित हैं, जिनके साथ भारत का FTA है।
- सोने की ऊंची कीमत और धातु पर उच्च आयात शुल्क को तस्करी के बढ़ते मामलों के पीछे प्रमुख कारणों में से एक माना जाता है।
- शुल्क मुक्त आयात का दुरूपयोग : भारत सरकार की चिंता यह है कि बड़ी मात्रा में सोने की वस्तुओं को भारत में शुल्क मुक्त लाया जा रहा है और उन्हें पिघलाकर आभूषण बनाए जा रहे हैं।
- सोने की मांग में वृद्धि : सोने की बढती मागं भी एक चिंता का कारण है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार, वर्ष 2024 की मार्च तिमाही में भारत की सोने की मांग सालाना आधार पर 8% बढ़कर 136.6 टन हो गई, जो कीमतों के ऐतिहासिक उच्च स्तर पर पहुंचने के बावजूद मजबूत आर्थिक माहौल की वजह से संभव हो पाई।
- सोने के मूल्य में वृद्धि : वर्ष 2024 में जनवरी-मार्च अवधि के दौरान मूल्य के संदर्भ में भारत की सोने की अत्यधिक मांग के कारण वार्षिक आधार पर 20 प्रतिशत बढ़कर 75,470 करोड़ रुपये हो गई।
- इसका कारण मांग की मात्रा में वृद्धि के साथ-साथ तिमाही औसत कीमतों में 11 प्रतिशत की वृद्धि भी है।
आगे की राह
- भारत के समक्ष यह दुविधा है, कि यदि वह सोने पर आयात शुल्क में वृद्धि करता है तो अवैध तस्करी में वृद्धि होगी और यदि आयात शुल्क में कमी की जाती है, तो उसका आयातकों द्वारा दुरूपयोग किया जाएगा।
- इसीलिए वर्तमान 15% आयात शुल्क का निर्णय मुक्त व्यापार समझौते के दुरूपयोग को रोकने में मदद मिलेगी साथ ही लाइसेंस प्रणाली आने से जांच एजेंसियों को निगरानी रखने में भी मदद मिलेगी।
- भारत को सोने की तस्करी पर रोक लगाने के लिए क़ानूनी नियमों का सख्ती से अनुपालन एवं निगरानी तंत्र को मजबूत करने की आवश्यकता है।
- एयरपोर्ट एवं पारगमन स्थलों पर सोने के अवैध आयात को रोकने के लिए नई तकनीकों एवं प्रोद्योगिकी के अनुप्रयोग की आवश्यकता है।
- सोने की बढ़ती मांग को नियंत्रित करने के लिए भारतीय जनता की सोने के प्रति लालसा को संयमित करने सरकार को संप्रभु स्वर्ण बांड जैसे वैकल्पिक समाधानों को अधिक सुगम बनाने का प्रयास करना चाहिए।