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ग्लाइफोसेट के उपयोग पर प्रतिबंध

(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 : मुख्य फसलें- देश के विभिन्न भागों में फसलों का पैटर्न- सिंचाई के विभिन्न प्रकार एवं सिंचाई प्रणाली- कृषि उत्पाद का भंडारण, परिवहन तथा विपणन, संबंधित विषय और बाधाएँ; किसानों की सहायता के लिये ई-प्रौद्योगिकी।)

संदर्भ 

हाल ही में, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने खरपतवारनाशी ‘ग्लाइफोसेट’ के उपयोग को प्रतिबंधित कर दिया है। 

प्रमुख बिंदु

  • ग्लाइफोसेट को मंत्रालय ने स्वास्थ्य के लिये खतरा और मनुष्यों एवं पशुओं के लिये हानिकारक पदार्थ माना है।
  • सरकार ने इस खरपतवारनाशी के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया है। वर्तमान में इसका प्रयोग केवल ‘कीट नियंत्रण संचालकों’ के माध्यम से किया जा सकेगा।

क्या है ग्लाइफोसेट 

  • ग्लाइफोसेट व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला खरपतवारनाशी है जो वृद्धि के लिये आवश्यक एंजाइम को अवरुद्ध कर खरपतवार को नष्ट करता है।
  • इसके प्रमुख घटकों में अमोनियम, पोटेशियम, सोडियम, आइसोप्रोपिलमाइन और ट्राइमेथिलसल्फोनियम या ट्राइमेसियम के लवण शामिल हैं।

खरपतवार

खरपतवार, वे अवांछनीय पौधे होते हैं जो पोषक तत्त्वों, पानी और धूप के लिये फसलों के साथ प्रतिस्पर्द्धा करते हैं। ये मूल रूप से फसलों की कीमत पर उगते हैं, इसलिये किसान इन्हें खरपतवारनाशी का छिड़काव करके नष्ट करते हैं।

ग्लाइफोसेट की विशेषताएँ

  • यह एक गैर-चयनात्मक पदार्थ है जो खरपतवारों को नष्ट करने के साथ-साथ फसलों को भी हानि पहुँचाता है। 
  • यह चाय या रबर के बागानों के लिये उपयोगी है परंतु जिन खेतों में फसलें और खरपतवार लगभग समान स्तर पर उगते हैं, वहां ये हानिकारक होते हैं।

भारत में उपयोग

  • कीटनाशक अधिनियम, 1968 के तहत नौ ग्लाइफोसेट आधारित खरपतवारनाशियों को सूचीबद्ध किया गया है।
  • ये सभी शाकनाशी भारत में बड़े पैमाने पर चाय या रबर के बागानों और गैर-फसल क्षेत्रों जैसे- रेलवे ट्रैक या खेल के मैदानों में खरपतवार नियंत्रण के लिये प्रयुक्त किये जाते हैं।
  • विदित है कि इस शाकनाशी का प्रयोग सामान्य कृषि फसलों में पहले से ही प्रतिबंधित है। लेकिन आनुवंशिक रूप से संवर्द्धित (Genetic Modification) फसलों में इनका प्रयोग किया जाता है।

स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ

  • ग्लाइफोसेट से कैंसर, प्रजनन दोष, विकासात्मक विषाक्तता तथा तंत्रिका एवं प्रतिरक्षा विषाक्तता में वृद्धि होने की संभावना होती है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन की इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) ने ग्लाइफोसेट को ‘मनुष्यों के लिये कार्सिनोजेनिक’ के रूप में वर्गीकृत किया है।
  • वहीं दूसरी ओर, अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी के अनुसार, ग्लाइफोसेट का मानव स्वास्थ्य पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं होता है तथा इससे कैंसर होने का भी कोई साक्ष्य नहीं है।
  • यूरोपीय रसायन एजेंसी के अनुसार, ग्लाइफोसेट को एक कार्सिनोजेनिक, म्यूटाजेनिक (डी.एन.ए. परिवर्तन का कारण) या रिप्रोटॉक्सिक पदार्थ के रूप में वर्गीकृत करना उचित नहीं है।
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