चर्चा में क्यों
हाल ही में, बांग्लादेश सरकार ने प्रसिद्ध ‘ढाका मलमल’ के पुनरुद्धार की पहल शुरू की है।
प्रमुख बिंदु
- ढाका मलमल के कपड़ों के धागे महीन और कोमल होते हैं। इनकी बुनाई खुले वातावरण में की जाती है, ताकि इसे उच्च ताप के साथ अनुकूलित किया जा सके।
- गौरतलब है कि ढाका मलमल के उत्पादन में प्रयुक्त विशेष पौधा ‘फूटी कार्पस’ (Phuti Karpas) लंबे समय से विलुप्त है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन पौधों को उगाने के लिये मेघना नदी के किनारे ढाका का दक्षिण पूर्वी भाग उपयुक्त था।
ऐतिहासिक महत्त्व
- ढाका मलमल पूर्वी बंगाल से रोमन साम्राज्य के लिये एक प्रमुख निर्यात वस्तु थी और मध्य युग के दौरान रेशम मार्ग की स्थापना के साथ बड़े पैमाने पर इसका व्यापार बढ़ा।
- इसका उपयोग मुगल शासकों द्वारा किया जाता था। 16वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में अकबर के शासनकाल में ‘मलमल ख़ास’ विशेष रूप से सम्राट और शाही घरानों के लिये बनाए जाने लगे।
मलमल उद्योग के पतन के कारण
- 1757 ईस्वी में प्लासी के युद्ध के बाद बंगाल पर अपना नियंत्रण स्थापित करने वाली ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ ब्रिटिश सामान बंगाली बाज़ार में प्रवेश कर गए। उसी समय बंगाल से उत्पादों के आयात पर कई शुल्क भी आरोपित किये गए।
- 1780 के दशक के अंत में ढाका को विनाशकारी अकाल सहित अनेक प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ा, जिससे कपास उत्पादन प्रभावित हुआ। इसके अलावा, 1793 ईस्वी में इंग्लैंड और फ्रांस के बीच छिड़े युद्ध ने भी मांग को प्रभावित किया।