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राइट टू डिसकनेक्ट

प्रारंभिक परीक्षा 

(अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम) 

मुख्य परीक्षा

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय)

संदर्भ

ऑस्ट्रेलिया में ‘राइट टू डिसकनेक्ट’ (Right to Disconnect) लागू किया गया है। इसके तहत कर्मचारियों को ‘कार्य की अवधि के बाद नियोक्ता या तीसरे पक्ष के संपर्क में रहने से इनकार करने का अधिकार’ है और कार्यावधि के बाद कार्यालय के कॉल या संदेशों को अस्वीकार करने पर कोई दंड नहीं होगा

क्या है राइट टू डिसकनेक्ट 

  • यह एक श्रम नीति है, जो कर्मचारियों को उनके नियमित कार्य अवधि के बाद काम से संबंधित संचार से परहेज करने की अनुमति देती है। इसका उद्देश्य निरंतर उपलब्धता की अपेक्षा को रोककर श्रमिकों के व्यक्तिगत समय एवं मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा करना है।
  • यह अधिकार कार्य एवं निजी जीवन के बीच स्पष्ट अलगाव बनाए रखने, तनाव को कम करने और समग्र कार्य-जीवन संतुलन को बढ़ाने में मदद करता है।

अन्य देशों की स्थिति 

  • फ्रांस वर्ष 2017 में 'राइट टू डिसकनेक्ट' लागू करने वाला पहला देश बना। इसके अलावा, इटली एवं बेल्जियम जैसे देशों में इसके समान कानून हैं, जबकि अन्य देशों में भी इस विचार पर विचार किया जा रहा है।
  • भारत में सांसद सुप्रिया सुले ने वर्ष 2018 में राइट टू डिसकनेक्ट पर एक निजी सदस्य विधेयक का मसौदा तैयार किया, जिस पर सदन में कभी चर्चा नहीं की गई।

राइट टू डिसकनेक्ट के पक्ष में तर्क 

  • कार्य-जीवन संतुलन : यह कर्मचारियों को काम एवं निजी जीवन के बीच स्वस्थ अलगाव बनाए रखने में मदद करता है, जिससे बर्नआउट व तनाव कम होता है।
  • उत्पादकता में वृद्धि : इससे कार्यावधि के दौरान उत्पादकता में वृद्धि हो सकती है क्योंकि कर्मचारी अधिक आराम एवं ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
  • बेहतर मानसिक स्वास्थ्य : यह लगातार संपर्क में रहने और अधिक कार्य से जुड़ी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को कम कर सकता है।
  • नौकरी की संतुष्टि : अधिक सहायक कार्य वातावरण बनाने से नौकरी में संतुष्टि एवं कर्मचारी प्रतिधारण क्षमता में वृद्धि हो सकती है।
  • पारिवारिक समय : परिवार एवं व्यक्तिगत हितों के लिए अधिक समय मिलने से जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार होता है।

राइट टू डिसकनेक्ट के विपक्ष में तर्क 

  • कम लचीलापन : यह उन कर्मचारियों के लिए लचीलेपन को सीमित कर सकता है जो पारंपरिक कार्यावधि के बाहर काम करना पसंद करते हैं या उन्हें इसकी आवश्यकता होती है।
  • वैश्विक टीमों पर प्रभाव : यह विभिन्न समय क्षेत्रों (टाइम जोन) में फैली टीमों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, जो संभावित रूप से आपसी सहयोग को प्रभावित कर सकता है।
  • परिचालन संबंधी चुनौतियाँ : ऐसे अत्यावश्यक या समय-संवेदनशील कार्यों के प्रबंधन में कठिनाइयाँ आ सकती हैं, जिन पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
  • नियोक्ता की ओर से प्रतिरोध : कुछ नियोक्ता उत्पादकता एवं परिचालन दक्षता के बारे में चिंताओं के कारण ऐसी नीतियों को लागू करने का विरोध कर सकते हैं।
  • दुरुपयोग की संभावना : कर्मचारी डिस्कनेक्ट करने के अधिकार का दुरुपयोग कर सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अनसुलझे मुद्दे या काम पूरा होने में देरी हो सकती है।

आगे की राह

  • स्पष्ट दिशा-निर्देश : कर्मचारियों से कब संपर्क में रहने की अपेक्षा की जाती है और कब वे डिस्कनेक्ट हो सकते हैं, यह परिभाषित करने वाली स्पष्ट नीतियाँ स्थापित की जा सकती है।
  • लचीला दृष्टिकोण : डिस्कनेक्ट करने के अधिकार का सम्मान करते हुए विभिन्न आवश्यकताओं को समायोजित करने के लिए लचीले कार्यावधि या दूरस्थ कार्य विकल्प प्रदान किए जा सकते हैं।
  • संचार उपकरण : ऐसे उपकरणों का उपयोग किया जा सकता है, जो केवल पूर्व निर्धारित किए गए संदेशों व सूचनाओं को अनुमति देते हैं ताकि आउट-ऑफ-ऑवर व्यवधानों से बचा जा सके।
  • प्रशिक्षण और जागरूकता : कर्मचारियों एवं प्रबंधकों को कार्य-जीवन संतुलन के महत्व और नीति को प्रभावी ढंग से लागू करने के तरीके के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए।
  • सहायता प्रणाली : कर्मचारियों को उनके कार्य व व्यक्तिगत जीवन को प्रबंधित करने में मदद करने के लिए मानसिक स्वास्थ्य सहायता एवं कल्याण कार्यक्रम जैसे संसाधन प्रदान किए जाने चाहिए।
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