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व्यक्तित्व का अधिकार

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : विकास प्रक्रिया तथा विकास उद्योग- गैर-सरकारी संगठनों, स्वयं सहायता समूहों, विभिन्न समूहों और संघों, दानकर्ताओं, लोकोपकारी संस्थाओं, संस्थागत एवं अन्य पक्षों की भूमिका)

संदर्भ

हाल ही में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने अभिनेता अमिताभ बच्चन के नाम, छवि एवं आवाज के अवैध उपयोग पर रोक लगाने के लिये एक अंतरिम आदेश पारित किया। न्यायालय ने स्वतंत्र रूप से व्यक्तियों को अभिनेता के व्यक्तित्व के अधिकारों (Personality Rights) का उल्लंघन करने से रोक दिया। 

क्या है व्यक्तित्व का अधिकार

  • व्यक्तित्व का अधिकार एक व्यक्ति के निजता या संपत्ति के अधिकार के तहत उसके व्यक्तित्व की विशेषताओं की रक्षा करने के अधिकार को संदर्भित करता है। ये अधिकार मशहूर हस्तियों के लिये महत्वपूर्ण हैं क्योंकि विभिन्न कंपनियों द्वारा विज्ञापनों में उनके नाम, चित्र या आवाज का आसानी से दुरुपयोग किया जा सकता है।
  • इसलिये, अपने व्यक्तित्व के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिये प्रसिद्ध व्यक्तित्वों/मशहूर हस्तियों को अपना नाम पंजीकृत करना आवश्यक है।
  • किसी व्यक्ति के प्रतिष्ठा निर्माण या मशहूर होने में उसकी विभिन्न अद्वितीय व्यक्तिगत विशेषताओं का योगदान होता है। इन सभी विशेषताओं को संरक्षित करने की आवश्यकता होती है
    • इसमें नाम, उपनाम, मंच का नाम, तस्वीर, दिखने का तरीका, छवि एवं कोई अभिन्न व्यक्तिगत संपत्ति, जैसे कि कोई विशिष्ट रेस कार आदि शामिल है।

व्यक्तित्व का अधिकार बनाम प्रचार का अधिकार 

  • व्यक्तित्व का अधिकार, प्रचार का अधिकार  (Publicity Rights) से भिन्न है। व्यक्तित्व के अधिकार में दो प्रकार के अधिकार शामिल होते हैं- 
    • पहला, प्रचार का अधिकार अर्थात किसी की अनुमति या भुगतान के बिना उसकी छवि एवं दिखने के तरीके का व्यावसायिक उपयोग से बचाने का अधिकार, जो ट्रेडमार्क के उपयोग के समान (पूर्ण रूप से समान नहीं) है;
    • दूसरा, निजता का अधिकार अर्थात अनुमति के बिना किसी के व्यक्तित्व को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित न करने का अधिकार।
  • हालाँकि, सामान्य कानून के क्षेत्राधिकार के तहत प्रचार का अधिकार 'पासिंग ऑफ के अपकृत्य' के दायरे में आते हैं। 

पासिंग ऑफ (Passing off)

  • पासिंग ऑफ एक सामान्य कानून अपकृत्य है, जिसका उपयोग अपंजीकृत ट्रेडमार्क अधिकारों को लागू करने के लिये किया जा सकता है। 
  • पासिंग ऑफ का कानून एक व्यक्ति को अपने सामान या सेवाओं को गलत तरीके से दूसरे के रूप में पेश करने से रोकता है। पासिंग ऑफ की अवधारणा में समय के साथ बदलाव आया है।
  • प्राय: इस प्रकार का गलत प्रतिनिधित्व किसी व्यक्ति या व्यवसाय की साख को नुकसान पहुंचाता है, जिसके परिणामस्वरूप वित्तीय या प्रतिष्ठा संबंधी हानि होती है।
  • प्रचार का अधिकार, कॉपीराइट अधिनियम, 1957 एवं ट्रेड मार्क अधिनियम, 1999 जैसी विधियों से शासित होते हैं।

इंटरनेट पर नाम के उपयोग का व्यक्तित्व अधिकार पर प्रभाव

इंटरनेट एवं व्यक्तित्व के अधिकार पर प्रभाव

  • वर्ष 2011 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने अरुण जेटली बनाम नेटवर्क सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड एवं अन्य के मामले में एक अवलोकन किया, जिसमें श्री जेटली ने प्रतिवादियों के विरुद्ध डोमेन नाम के दुरुपयोग तथा तत्काल हस्तांतरण से स्थायी निषेधाज्ञा की मांग करते हुए एक मुकदमा दायर किया था।
  • न्यायालय ने कहा कि इंटरनेट पर व्यक्ति की लोकप्रियता या प्रसिद्धि वास्तविकता से अलग नहीं होगी। ‘नाम’ भी उस श्रेणी में आता है जिसे केवल व्यक्तिगत नाम तक सीमित नहीं माना जा सकता है बल्कि इससे एक विशिष्ट संकेत या पहचान जुड़ा होता है।
  • व्यक्तिगत नाम विभिन्न क्षेत्रों, जैसे- राजनीति, वकालत, ट्रेडमार्क कानून के तहत चिह्न आदि विशिष्ट प्रकृति व विशिष्ट चरित्र के कारण लोकप्रियता प्राप्त कर लेता है, अत: अपने नाम के दुरुपयोग के लिये मुकदमा करने के अपने व्यक्तिगत अधिकार के अलावा दूसरों को इस नाम का अनुचित रूप से उपयोग करने से रोका जा सकता है।

उपभोक्ता अधिकार

  • मशहूर हस्तियों को उनके नाम एवं व्यक्तित्व के व्यावसायिक दुरुपयोग से बचाया जाता है, जबकि ऐसे उदाहरण भी सामने आए हैं जहाँ ऐसे व्यक्तित्वों (व्यक्तियों) द्वारा गलत विज्ञापनों या समर्थन के माध्यम से उपभोक्ता गुमराह हो जाते हैं।
  • ऐसे मामलों के आलोक में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने वर्ष 2022 में भ्रामक विज्ञापनों एवं उपभोक्ता उत्पादों के समर्थन पर रोक लगाने के लिये प्रचार करने वालों पर जुर्माना लगाने के उद्देश्य से एक अधिसूचना जारी की है।
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