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भारतीय शहरों में गेटेड समुदायों का उदय 

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1 : शहरीकरण, उनकी समस्याएँ और उनके रक्षोपाय)

संदर्भ

वर्तमान में, जीवन की उच्च गुणवत्ता प्रदान करने में शहरी केंद्रों की अक्षमता ने भारत में गेटेड समुदायों (Gated Communities) में वृद्धि की है।

गेटेड समुदाय 

  • गेटेड समुदाय ऐसे आवासीय इकाइयों या बंगलों में निवास करने वाले समूह को संदर्भित करता है, जहाँ प्रवेश करने के लिये कुछ शर्तों का पालन करना होता है अर्थात इसकी प्रमुख विशेषता नियंत्रित पहुंच है। 
  • यह उस क्षेत्र विशेष में निवास न करने वाले लोगों को संबंधित गेटेड समुदायों द्वारा अपनाई जाने वाली कुछ शर्तों को पूर्ण करने पर प्रवेश की अनुमति देता है। 
  • सामान्य रूप से उपलब्ध आवासों के विपरीत इन आवासीय परिसरों में पहरेदारी एवं अन्य सुरक्षात्मक उपायों (जैसे- CCTV आदि) की व्यवस्था रहती है। इन प्रतिबंधात्मक विशेषताओं के कारण ही इन्हें 'गेटेड समुदायों' की उपाधि दी जाती है। 
  • साथ ही, ये क्षेत्र स्विमिंग पूल, जिम, क्लब हाउस, सामुदायिक हॉल, रेस्तरां और अन्य मनोरंजक, सामाजिक व खेल जैसी उच्च गुणवत्ता वाली सुविधाओं से युक्त होते हैं। 
  • इसके अतिरिक्त, इन एन्क्लेव में पावर बैक-अप, सी.सी.टी.वी. कैमरों के माध्यम से पूर्णकालिक सुरक्षा और चौबीसों घंटे निगरानी की व्यवस्था होती है। कहीं-कहीं व्यावसायिक परिसर भी हो सकते हैं, जिनमें स्कूल एवं चिकित्सा देखभाल जैसी सुविधाएँ उपलब्ध हो सकती है। विभिन्न प्रतिबंधों के कारण इस तरह के एन्क्लेव निवासियों को अधिक गोपनीयता प्रदान करते हैं।
  • गेटेड समुदाय आम तौर पर अपने द्वारा अपनाई गई आचार संहिता का पालन करते हैं। गेटेड समुदाय में व्यवस्था आदि का कार्य प्राय: निवासी कल्याण संघ (Residents Welfare Association : RWA) द्वारा किया जाता है।
  • ऐसे क्षेत्र शहरी गरीबों और निम्न-मध्यम वर्गों की पहुंच से बाहर होते हैं। उल्लेखनीय है कि एन.आर.आई. (NRI) गेटेड समुदायों में रेडी-टू-मूव घरों के लिये अत्यधिक निवेश करते हैं।

भारत में गेटेड समुदाय

  • भारत के शहरों क्षेत्रों, विशेष रूप से महानगरीय शहरों में गेटेड समुदायों में पर्याप्त वृद्धि देखी जा रही है। हालाँकि, यह परिदृश्य विश्व के लगभग सभी शहरों में देखा जा रहा है। 

प्रभाव

  • अनुमानत: नौ निजी भू-स्वामियों और निजी ट्रस्टों के पास मुंबई की लगभग 20% भूमि है। व्यक्तिगत स्तर पर शहरी समृद्ध एवं उच्च-मध्यम वर्गों के मध्य गेटेड समुदायों को लेकर बहुत आकर्षण है। हालाँकि, यह प्रवृति शहरों पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है। 
  • इन समुदायों का विकास सामाजिक संवाद, संपर्क और एकीकरण को हतोत्साहित करता है जो एक स्वस्थ सामाजिक एवं नागरिक वातावरण के विपरीत होते हैं।
  • साथ ही, ये समावेशी शहरों के निर्माण के लिये सतत विकास लक्ष्यों के उद्देश्यों और समावेशिता के सिद्धांत के बिल्कुल विपरीत हैं जिसे लोकतांत्रिक देश बढ़ावा देना चाहते हैं। 
  • वे शहरी असमानता को अधिक स्पष्टता से प्रदर्शित करते हैं और विशेष परिक्षेत्रों के माध्यम से उन्हें बढ़ावा देते हैं। 
  • इसके अतिरिक्त, कई गेटेड समुदायों का घनत्व बहुत कम होता है, जिससे भूमि उपयोग दक्षता में कमी आती है, जिससे शहरी विस्तार को बढ़ावा मिलता है। सार्वभौमिक पहुंच में रुकावट डाल करके वे शहरी गतिशीलता और संचलन पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।

विभिन्न देशों में गेटेड समुदायों से संबंधित प्रावधान 

  • अधिकांश देशों और शहरों में ऐसा कोई कानून नहीं हैं जो ऐसे आवासों के विकास को प्रतिबंधित करते हैं। वैश्विक स्तर पर शहरी भूमि उपयोग को शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) द्वारा नियंत्रित किया जाता है और ऐसे आवासों पर प्रतिबंध लगाना या उनको अस्वीकार करना विकास नियंत्रण नियमों का हिस्सा नहीं है। 
  • हालाँकि, संयुक्त राज्य अमेरिका में कुछ यू.एल.बी. ने इस तरह के किसी भी नए एन्क्लेव के निर्माण की अनुमति नहीं दी है। यूनाइटेड किंगडम, अर्जेंटीना और इंडोनेशिया में इन्हें ‘अन्य प्रकार’ के शहरी आवास के रूप में पहचाना जाता है। 
  • वर्ष 2016 में चीन ने अपने शहरों में इस तरह के विकास पर रोक लगाने के लिये नीतिगत सिफारिशों की घोषणा की। 
  • भारत में प्रचलित कानून गेटेड समुदायों को मान्यता नहीं देते हैं लेकिन उन्हें अवैध भी नहीं कहा जा सकता है। वे लेआउट के निवासियों द्वारा आमतौर पर प्रदान की जाने वाली विशेष सुविधाओं के साथ एक लेआउट की तरह हैं। हालाँकि, व्यापक रूप से प्रचलित क्षेत्र को घेरना और पहुंच को प्रतिबंधित करना कानूनी रूप से उचित नहीं हो सकता है।
  • प्रत्येक लेआउट को पार्कों, सड़कों और सामान्य उपयोग के लिये स्थान निर्धारित करने की आवश्यकता होती है। जब इन सड़कों और पार्कों को नागरिक अधिकारियों द्वारा नियंत्रित किया जाता है, तो ऐसे लेआउट को गेटेड समुदाय कहना कानूनी और नैतिक रूप से सही नहीं है?

आगे की राह 

  • यह स्वीकार करना होगा कि गेटेड समुदाय का उदय आंशिक रूप से अपने सभी नागरिकों को उच्च गुणवत्ता वाला जीवन प्रदान करने में शहरी विफलता का परिणाम हैं। यह स्पष्ट है कि शहरी सामाजिक ताने-बाने के लिये हानिकारक ऐसे गेटेड समुदायों के उदय को हतोत्साहित किया जाना चाहिये। 
  • इसे प्रत्येक विशिष्ट क्षेत्र के लिये छोटे आकार निर्धारित कर, प्रत्येक गेटेड समुदाय के भीतर न्यूनतम घनत्व निर्धारित कर और अकुशल भूमि उपयोग के लिये उच्च प्रीमियम एवं स्थानीय कर लगाने के माध्यम से हतोत्साहित किया जा सकता है। 
  • शहरों को गेटेड समुदायों और समग्र शहर के बीच भौतिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे के अंतर को कम करने के लिये सभी नागरिकों को प्रदान की जाने वाली सेवा की गुणवत्ता में सुधार करना चाहिये।
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