(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाओं से संबंधित मुद्दे)
(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र- 1: गरीबी और विकासात्मक विषय से संबंधित प्रश्न; सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र- 3: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा रोज़गार से संबंधित मुद्दे)
संदर्भ
‘सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी’ (CMI) के अनुसार, हाल ही में शहरी भारत में बेरोज़गारी बढ़ गई है। साथ ही, श्रम बल की भागीदारी में भी गिरावट आई है, जो आर्थिक गतिविधियों को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता का संकेत देती है।
भारत में बेरोज़गारी दर
- कोविड -19 की दूसरी लहर को रोकने के लिये लगाए गए लॉकडाउन के कारण देश में बेरोज़गारी दर मई में बढ़कर 11.9% हो गई है, जो अप्रैल में 7.97% और मार्च 2021 में 6.5% थी।
- हालाँकि, सी.एम.आई.ई. का अनुमान एक छोटे नमूने पर आधारित है, जो नवीनतम बेरोज़गारी प्रवृत्तियों की एक वृहद तस्वीर प्रस्तुत कर सकता है।
- डोर-टू-डोर संग्रह के आधार पर ‘राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय’ (NSSO) द्वारा प्रस्तुत आँकड़ों का गहन विश्लेषण किया जा सकता है।
श्रम बल की भागीदारी
- श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) देश की कामकाजी उम्र वाली आबादी का अनुपात है, जो सक्रिय रूप से श्रम बाज़ार में संलग्न है।
- इसकी गणना कार्य-आयु की आबादी के प्रतिशत के रूप में श्रम बल में व्यक्तियों की संख्या को व्यक्त करके की जाती है।
- एल.एफ.पी.आर. में गिरावट इस बात का संकेत है कि लोग श्रम बाज़ार से हट रहे हैं और नौकरी की तलाश नहीं कर रहे हैं। यह अर्थव्यवस्था के लिये चिंताजनक हो सकता है।
भारत की दुनिया से तुलना
- ‘अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन’ के अनुसार, वर्ष 2020 में भारत की बेरोज़गारी 7.11% थी, जबकि वैश्विक औसत 6.47% था।
- भारत के पड़ोसी देश चीन, बांग्लादेश, श्रीलंका, पाकिस्तान, नेपाल और भूटान में बेरोज़गारी दर क्रमशः 5.0%, 5.3, 4.48%, 4.65%, 4.44% और 3.74% थी।
- यद्यपि, अमेरिका में बेरोजगारी दर 8.31% थी, जो भारत से अधिक थी।
दूसरी लहर का नौकरियों पर प्रभाव
- वित्त वर्ष 2021 की चतुर्थ तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 1.6% की दर से बढ़ रही है।
- ‘कर्मचारी भविष्य निधि संगठन’ के शुद्ध पेरोल डेटा से पता चलता है कि फरवरी और मार्च में नए ग्राहकों की संख्या 1.12 मिलियन थी। लेकिन स्थानीयकृत लॉकडाउन के कारण अप्रैल और मई 2021 में बेरोज़गारी में तेज़ी आई।
- कम व्यावसायिक भावना, आर्थिक गतिविधियों पर अंकुश और वायरस के अनुबंध के डर के कारण लोग शहर से गाँवों की ओर पलायन कर रहे थे, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र मनरेगा के तहत हाथ संबंधी काम के अलावा अन्य रोज़गार देने में असमर्थ थे।
आगे की राह
- त्वरित लघु और मध्यम अवधि के उपायों में आर्थिक गतिविधियों को क्रमबद्ध तरीके से फिर से शुरू करना और जल्द से जल्द सार्वभौमिक टीकाकरण का लक्ष्य रखना शामिल है।
- टीकाकरण उपभोक्ताओं के विश्वास में सुधार करने में मदद करेगा और श्रम की माँग और उपलब्धता में वृद्धि करेगा, जिसका उत्पादन और व्यावसायिक भावना पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
- बेहतर व्यावसायिक विश्वास के परिणामस्वरूप नौकरी के अवसर बढ़ेंगे, जिससे माँग और आपूर्ति का चक्र गतिशील होगा।
अन्य स्मरणीय तथ्य
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी – सी.एम.आई.ई.
- स्थापना - 1976
- मुख्यालय - मुंबई
- प्रकृति - स्वतंत्र थिंक टैंक
- यह एक ‘निजी स्वामित्व’ वाली और पेशेवर रूप से प्रबंधित कंपनी है।