(प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय, बेरोजगारी के प्रकार, सरकार की पहल) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र:3- संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय) |
संदर्भ
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार,दिसंबर 2022 में भारत की बेरोजगारी दर पिछले महीने के 8 % से बढ़कर 8.3 % हो गई है ,जो कि 16 महीनों में सबसे अधिक है।
महत्वपूर्ण बिन्दु
CMIE के आंकड़ों के अनुसार
- शहरी बेरोजगारी दर -पिछले महीने के 8.96% से बढ़कर 10.09%
- ग्रामीण बेरोजगारी दर- पिछले महीने के 7.55% से घटकर 7.44%
Centre for Monitoring Indian Economy (CMIE) के प्रबंध निदेशक ने कहा कि बेरोजगारी दर में वृद्धि चिंता का विषय नहीं, क्योंकि यह श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) में वृद्धि के कारण हुई है;
- LFPR दिसंबर 2022 में , 40.48% तक बढ़ गया था , जो 12 महीनों में सबसे अधिक था।
श्रम बल भागीदारी दर(labor force participation rate)
श्रम बल की भागीदारी दर की गणना कुल कार्यशील-आयु(Total working population) वाली जनसंख्या द्वारा श्रम बल को विभाजित करके की जाती है। कार्यशील-आयु की आबादी 15 से 64 वर्ष की आयु के लोगों को संदर्भित करती है। यह सूचक आयु समूह द्वारा विभाजित है और इसे प्रत्येक आयु समूह के प्रतिशत के रूप में मापा जाता है।
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NSSO के अनुसार, रोजगार और बेरोजगार की परिभाषा
- कार्यरत (नियोजित) - आर्थिक गतिविधि में संलग्न
- बेरोजगार- काम की तलाश में या काम के लिए उपलब्ध
बेरोजगारी दर = (बेरोजगार श्रमिक / कुल श्रम शक्ति) × 100
आंकड़ों मे राज्यों की स्थिति
- हरियाणा- 37.4%(सबसे अधिक बेरोजगारी दर)
- राजस्थान - 28.5%
- दिल्ली मे- 20.8%
बेरोजगारी के विभिन्न प्रकार
संरचनात्मक बेरोजगारी
- यह बाजार में उपलब्ध नौकरियों और बाजार में उपलब्ध श्रमिकों के कौशल के बीच बेमेल से उत्पन्न होने वाली बेरोजगारी है।
चक्रीय बेरोजगारी
- यह व्यापार चक्र का परिणाम है, जहां मंदी के दौरान बेरोजगारी बढ़ती है और आर्थिक विकास के साथ गिरावट आती है ।
प्रच्छन्न बेरोजगारी
- किसी क्षेत्र में वास्तविक जरूरत से ज्यादा लोगों को रोजगार प्राप्त होना;
- जैसे- भारत के कृषि और असंगठित क्षेत्रों में पाया जाता है।
मौसमी बेरोजगारी
- यह स्थिति वर्ष के कुछ मौसमों के दौरान देखने को मिलती है ;
- जैसे - भारत के खेतिहर मजदूरों को हमेशा काम नहीं मिलता है ।
भारत में बेरोजगारी के प्रमुख कारण
- जनसंख्या का तीव्र गति से बढ़ना
- भारत में जनसंख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, जो बेरोजगारी के प्रमुख कारणों में से एक है ।
- सामाजिक परिस्थिति
- भारतीय समाज जाति व्यवस्था आधारित होने के कारण कुछ क्षेत्रों में विशिष्ट जातियों के लिए कार्य वर्जित है।
- भारत में कृषि क्षेत्र पर अत्यधिक निर्भरता के कारण मौसमी बेरोजगारी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है ।
- कुटीर और लघु उद्योगों का पर्याप्त विकास न हो पाना ।
- कौशलीकृत मानव संसाधन न होना ।
सरकार की पहल
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा)
- आजीविका और उद्यम के लिए उपेक्षित व्यक्तियों के लिए समर्थन (SMILE)
- पीएम-दक्ष (प्रधानमंत्री दक्ष और कुशल संपन्न हितग्राही)
- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY)
- स्टार्ट अप इंडिया योजना
- रोजगार मेला
संभावित उपाय
- कृषि में निवेश में वृद्धि करने पर बल
- कृषि में निवेश न केवल सीधे रोजगार उत्पन्न करता है, बल्कि इसका गुणक प्रभाव भी होता है।
- कृषि का विविधीकरण
- दैनिक खाद्यान फसलों को उगाने के अलावा बागवानी, सब्जी उत्पादन, फूलों की खेती, पशुपालन, मत्स्य पालन आदि में सापेक्ष बदलाव किया जा सकता है, जो अधिक श्रम अवशोषित और उच्च आय-उपजाऊ हैं।
- इसके अलावा, निर्यात वृद्धि के लिए कृषि-प्रसंस्करण उद्योगों को बढ़ावा देने से रोजगार की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।
- शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार सृजन
- शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल का विस्तार न केवल मानव पूंजी के संचय को बढ़ावा देता है, बल्कि यह रोजगार के अच्छे अवसर भी उत्पन्न करता है।
- ग्रामीण क्षेत्रों का विकास
- इससे शहरी क्षेत्रों में ग्रामीण लोगों के प्रवास को कम करने में मदद मिलेगी और इस प्रकार शहरी क्षेत्र की नौकरियों पर दबाव कम होगा।
- शिक्षा व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता
- सरकार को शिक्षा प्रणाली में संशोधन कर कुशल श्रम शक्ति उत्पन्न करने के नए तरीकों को लागू करने की कोशिश करनी चाहिए।
- हालांकि हाल ही में, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में ऐसे उपायों पर बल दिया गया है।
- राष्ट्रीय रोजगार नीति की आवश्यकता (NEP)
- सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा के लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए नीति एक महत्वपूर्ण उपकरण होगी।