(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1 : शहरीकरण, उनकी समस्याएँ और उनके रक्षोपाय) |
संदर्भ
भारत आर्थिक विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है और आगामी 20 वर्षों में भारत के शहरी क्षेत्रों में लगभग 270 मिलियन नागरिकों की वृद्धि की संभावना है। इस तीव्र शहरीकरण से संबंधित विविध चुनौतियों को देखते हुए सतत विकास के तरीकों की पहचान करना महत्वपूर्ण हो जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारत प्रत्येक नागरिक के लिए विकसित ‘भारत 2047’ के सपने को पूरा करने में सक्षम हो सके। ऐसे में भारतीय शहरों के सतत विकास एवं प्रबंधन से संबंधित मुख्य डाटा संग्रह व समन्वय जैसी कुछ समस्याओं के समाधान में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) प्रणाली का उपयोग सहायक हो सकता है।
AI द्वारा सतत विकास में सहायता
संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान
- वर्तमान में किसी शहर की आर्द्रभूमि के किसी हिस्से के लिए जोनिंग में परिवर्तन (Zoning Change) संबंधी आवेदन को स्वीकार करने या अस्वीकार करने का निर्णय भवन प्राधिकरण को करना होता है जिसके लिए वह पूर्व के उदाहरणों, तर्कों और यहाँ तक कि अनुमानों पर भी निर्भर रहता है।
- हालाँकि, AI-आधारित निर्णय समर्थन प्रणालियाँ भविष्य के लिए त्वरित रूप से एक छद्म या आभासी परिदृश्य तैयार करके संवेदनशील क्षेत्रों में परिवर्तन के निर्णय का शहर के लिए आर्थिक, पर्यावरणीय एवं विकास परिणामों पर पड़ने वाले प्रभावों की एक विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत करने में सक्षम है।
सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा
- सार्वजनिक परिवहन को कार स्वामियों के लिए एक व्यवहार्य विकल्प के रूप में प्रस्तुत करने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि बस व मेट्रो रेल सेवाओं के लिए अंतिम-मील कनेक्टिविटी निर्बाध एवं पर्याप्त संख्या में उपलब्ध हो।
- समय के साथ बार-बार कई स्रोतों से जानकारी एकत्र करना, बड़ी संख्या में कारकों को शामिल करने वाले निर्णयों में सहायता करना और उच्च विश्वसनीयता एवं सटीकता के साथ नियमित कार्य करना शहर प्रबंधन के ऐसे पहलू हैं जिन्हें मनुष्यों की तुलना में AI प्रणाली ज्यादा कुशलतापूर्वक कर सकती हैं।
भारत सरकार द्वारा प्रयास
- भारत सरकार ने शहरी संधारणीयता की पहचान AI-आधारित प्रणालियों के विकास एवं एकीकरण के लिए एक प्रमुख क्षेत्र के रूप में की है।
- सरकार ने वर्ष 2023-24 की अपनी बजट घोषणा में 990 करोड़ रुपए के समग्र बजट के साथ कृषि, स्वास्थ्य व शहरी स्थिरता के क्षेत्रों में एआई के लिए तीन केंद्रों के गठन की घोषणा की है। इसका उद्देश्य ‘भारत में AI बनाना और AI को भारत के लिए उपयोगी बनाना’ है।
शहरी विकास के लिए ऐरावत
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर के नेतृत्व में ऐरावत कंसोर्टियम को संधारणीय शहरों के लिए AI के राष्ट्रीय केंद्र के रूप में चुना गया है।
- यह केंद्र आने वाले वर्षों में शहरी संधारणीयता उद्देश्यों के साथ AI प्रणालियों को एकीकृत करने वाली अनुसंधान, शिक्षा एवं अनुवाद संबंधी गतिविधियों के लिए राष्ट्रीय केंद्र के रूप में काम करेगा।
- पहले चार वर्षों के दौरान ऐरावत मुख्यत: निम्नलिखित क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगा :
- भारत के ऊर्जा वितरण नेटवर्क की दक्षता बढ़ाने के लिए AI-आधारित प्रणाली विकसित करना
- ओपन सोर्स प्लेटफ़ॉर्म पर मल्टीमॉडल शहरी पारगमन योजना के लिए सिस्टम तैनात करना
- ट्रैफ़िक एवं सड़क अवसंरचना के विकास के लिए निर्णय समर्थन इंटरफ़ेस का निर्माण
- स्थानीय शासन हस्तक्षेपों के लिए कम लागत वाले, उच्च व सटीक वायु एवं जल गुणवत्ता अनुमान तैयार करना
- AI उपयोगिताओं (AI Utilities) द्वारा वृद्धिशील नगरपालिका कार्यों के लिए डिजिटल ट्विन के निर्माण एवं उसे अपनाने के माध्यम से स्थानीय प्रशासन को डिजिटल रूप से बदलना (Digitally Transform)
ऐरावत के अनुप्रयोग में वृद्धि
- ऐरावत को अग्रणी भारतीय उद्योग भागीदारों से व्यापक समर्थन प्राप्त हुआ है। अडानी इंडस्ट्रीज ऊर्जा वितरण दक्षता में वृद्धि के अवसरों की पहचान करने के लिए इस परियोजना के साथ मिलकर कार्य कर रही है।
- टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज़ शहरी मॉडल के निर्माण के लिए ऐरावत के साथ सहयोग कर रही है जो बाढ़, वायु गुणवत्ता और कई अन्य संधारणीयता मापदंडों के जोखिम पर भूमि उपयोग में परिवर्तन (ChangeinLandUse) के प्रभावों को समझने में सहायक होती है।
- ई-गवर्नेंस फाउंडेशन ने ऐरावत की गतिविधियों के दायरे में शहरी प्रशासन के लिए अपने प्रसिद्ध DIGIT प्लेटफ़ॉर्म की अगली पीढ़ी के निर्माण के लिए एक योजना का सह-विकास किया है।
- आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) ने ऐरावत की गतिविधियों के लिए लगातार तथा विस्तृत निगरानी व मार्गदर्शन की पेशकश की है।
- IIT दिल्ली एवं एम्स दिल्ली द्वारा सह-संचालित तथा IIT रोपड़ में संचालित इसके दो अन्य केंद्र क्रमशः कृषि व स्वास्थ्य में प्रभावी AI पारिस्थितिकी तंत्र को प्रेरित करेंगे।