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देशव्यापी संकट के दौरान सशस्त्र बलों की भूमिका

(मुख्य परीक्षा ; सामान्य अध्ययन पेपर 3 : विषय – “आपदा और आपदा प्रबंधन , विभिन्न सुरक्षाबल और संस्थाएँ”)

हाल ही में COVID-19 महामारीके दिल्ली में प्रसार को रोकने हेतु आवश्यक संगरोध (Quarantine)व्यवस्थाकी देख-रेख के लिये तथा स्थानीय प्रशासन की मदद करने के लिये सशस्त्र-बलों की तैनाती की प्रक्रिया सुर्खियों में थी। अक्सर देखा गया है कि किसी प्राकृतिक या मानवनिर्मित आपदा के समय में सशस्त्र-बलों की सहायता ली जाती है।

सशस्त्र-बलों की आवश्यकता :

  • प्रशासन द्वारा कानून व्यवस्था को नियंत्रित करने, आवश्यक सेवाओं को सुचारू रूप से चालू रखने, भूकंप, बाढ़ आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान सहायता करने और अन्य प्रकार की सहायता के लिये सेना की मदद अक्सर ली जाती है।
  • सशस्त्र-बलों की सहायता लेने के लिये आवश्यक दिशानिर्देश निम्नलिखित विनियमों द्वारा निर्देशित होते हैं :
    • 1970 के सशस्त्र बलों के विनियम,असैन्य प्राधिकरण के लिये सहायता (Aid to Civil Authorities) के तहत;
    • सेना के लिये विनियम, अध्याय VII, पैराग्राफ 301 से 327 के तहत, तथा;
    • भारतीय सैन्य कानून की नियमावली, अध्याय VII के तहत।
  • स्थानीय प्रशासन, कानून-व्यवस्था बनाए रखने याआपदा राहत आदि के लियेसर्वप्रथम स्थानीय सैन्य प्राधिकरण से सहायता देने का अनुरोध करता है। तत्पश्चात सैन्य-बलों की तैनाती की प्रक्रिया आगे बढती है।
  • सशस्त्र बलों को इस दौरान फ्लैग मार्च, राहत व बचाव, निकासी और तत्काल सहायता के लियेसैनिकों तथा सैन्य उपकरणों को उपलब्ध कराने के लिये कहा जा सकता है।
  • COVID-19 के प्रसार की जाँच का वर्तमान मामला थोड़ा अलग है, क्योंकि यहाँ सैन्य सहायता से ज्यादा चिकत्सकीय सहायता की आवश्यकता है।
  • डॉक्टरों, उपकरणों और सुविधाओं की आवश्यकता के कारण संसाधनों को विवेकपूर्ण रूप से केन्द्रीय सरकार द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है।

ऐसी स्थितियों में सशस्त्र-बलों की आवश्यकता क्यों पड़ती है?

  • चिकित्सा संसाधनों के अलावा कानून- व्यवस्था, भीड़ नियंत्रण, संवेदनशील क्षेत्रों में कर्फ्यू आदि की देखरेख के लिये सैन्य-बलों की आवश्यकता होती है।
  • इसके अलावा बिजली-पानी की आवश्यक आपूर्ति, आवश्यक सेवाओं की बहाली, आपातकालीन भोजन और आश्रय की व्यवस्था, भगदड़ आदि को रोकना, चोरी और लूट आदिघटनाओं की रोकथाम के लिये भी सैन्य-बलों कि आवश्यकता होती है।
  • इस तरह की बहुआयामी चुनौतियों के से निपटने के लिये स्थानीय प्रशासन कई बार अक्षम होता है।
  • लेकिन यह बात स्पष्ट होनी चाहिये कि हर स्थिति में उनका मुख्य कार्य देश की सीमाओं की सुरक्षा करना तथा देश में शांति व्यवस्था बनाए रखना ही है।

तैनाती कितनी अवधि की होती है ?

  • सशस्त्र-बलों की तैनाती की अवधिया उनके जवानों की संख्या की कोई विशेष सीमा निर्धारित नहीं है।
  • किसी भी सीमा या दिशानिर्देशों को जारी करने के लिये कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (NCMC) हीमुख्यनिकाय है।

वर्तमान स्थिति क्यों अलग है?

  • वर्तमान स्थिति सुनामी या सुपर-साइक्लोन जैसी प्राकृतिक आपदाओं से अलग है।
  • मुख्य अंतर यह है कि वर्तमान स्थिति में विशेषज्ञों की ज़रुरत है, उनके कार्यों को सामान्य सैनिकों द्वारा नहीं किया जा सकता है।

सशस्त्र बलों का खर्च कौन उठाता है ?

  • स्थानीय प्रशासन इन कार्यों के लिये सशस्त्र बलों का खर्च उठाता है।
  • सशस्त्र बलों द्वारा प्रदान की जाने वाली सहायता की लागत'सशस्त्र बलों द्वारा असैन्य अधिकारियों को निर्देश,1970 (Instructions on Aid to Civil Authorities by the Armed Forces 1970) में निहित निर्देशों के अनुसार स्थानीय प्रशासन से वसूल की जाती है।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की भूमिका क्या है?

  • एन.डी.एम.ए,COVID-19 महामारी से जुड़े सहायता कार्यों में बहुत सक्रिय रूप से शामिल नहीं है।
  • स्वास्थ्य, गृह, नागरिक उड्डयन और रक्षा मंत्रालयों की भूमिकाएं इस मामले में प्रमुख हैं।
  • सशस्त्र बल,मंत्रालयों के साथ शीर्ष स्तर पर एन.सी.एम.सी.के द्वारा जुड़े हुए हैं।
  • निर्देशों का पालन एवं निष्पादनसम्बंधित सचिवों के समन्वय द्वारा किया जाता है।

(स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस)

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