New
IAS Foundation Course (Prelims + Mains): Delhi & Prayagraj | Call: 9555124124

असंगठित क्षेत्र के उन्नयन में ई-श्रम पोर्टल की भूमिका

(सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र- 2 व 3; शासन प्रणाली : ई-गवर्नेंस अनुप्रयोग; आर्थिक विकास : समावेशी विकास, रोज़गार से संबंधित विषय)

संदर्भ

सरकार के पास असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों से संबंधित सटीक आँकड़े उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में, आर्थिक संकट के दौरान श्रमिकों की पहचान करना तथा उन तक त्वरित सहायता पहुँचाना एक कठिन कार्य होता है। विगत वर्ष जब कोविड-19 महामारी के कारण देशभर में लॉकडाउन लगा था, तो प्रवासी श्रमिकों के संकट से भारत के सामाजिक सुरक्षा ढाँचे में व्याप्त कमियाँ उजागर हो गई थीं।

ई-श्रम पोर्टल की आवश्यकता

  • भारत की कुल श्रम शक्ति में ‘असंगठित क्षेत्र’ का योगदान लगभग 90% है, लेकिन इससे संबंधित व्यापक और सटीक आँकड़ों का आभाव है। ऐसे में, न सिर्फ उचित नीति तैयार करना, बल्कि लाभार्थियों की पहचान कर उन्हें सहायता देना भी मुश्किल होता है।
  • इस विसंगति को दूर करने के लिये सरकार ने ‘ई-श्रम पोर्टल’ के माध्यम से असंगठित क्षेत्र के कामगारों का एक डाटाबेस लॉन्च किया है, जो एक स्वागत योग्य कदम है।
  • इससे असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की पहचान हो सकेगी तथा उनकी सामाजिक सुरक्षा का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा। ध्यातव्य है कि यह पोर्टल अगस्त, 2021 में लॉन्च किया गया था।

ई-श्रम पोर्टल द्वारा जारी आँकड़े

  • अनुमान है कि देश के कुल असंगठित श्रमिकों का लगभग चौथा हिस्सा (27%) इस डाटाबेस पर पंजीकृत है। भारत में असंगठित क्षेत्र के कुल श्रमिकों की संख्या लगभग 38 करोड़ है।
  • ओडिशा लगभग 87% असंगठित श्रमिकों के पंजीकराण के साथ शीर्ष पर है। इसके बाद पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार का स्थान है।
  • इस डाटाबेस में असंगठित क्षेत्र के लगभग 40.5 प्रतिशत कामगार अन्य पिछड़ा वर्ग से, लगभग 27.4 प्रतिशत सामान्य वर्ग से, लगभग 23.7 प्रतिशत अनुसूचित जाति और लगभग 8.3 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति से हैं।
  • ई-श्रम पोर्टल श्रमिकों द्वारा किये जाने वाले व्यवसायों के बारे में भी जानकारी एकत्र करता है। यहाँ पंजीकृत श्रमिकों में से करीब 53.6 प्रतिशत कृषि कार्य में (सर्वाधिक), करीब 12.2 प्रतिशत निर्माण कार्य में और करीब 8.71 प्रतिशत घरेलू कार्यों में संलग्न हैं।
  • विदित है कि महामारी के कारण कुछ क्षेत्र/व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। ऐसे में, यह डाटाबेस अत्यंत महत्त्वपूर्ण सिद्ध हो सकता है क्योंकि इसके माध्यम से सरकारें असंगठित श्रमिकों के उन वर्गों के लिये प्रभावी योजनाएँ तैयार कर सकती हैं, जिन्हें आर्थिक मंदी का खामियाज़ा भुगतना पड़ा है।
  • कहा जा रहा है कि भविष्य में इस डेटाबेस को ‘उन्नति’ (Unnati) नामक प्रस्तावित ‘लेबर मैचिंग प्लेटफार्म’ (Labour Matching Platform) से भी जोड़ा जाएगा। वस्तुतः ‘उन्नति पोर्टल’ नीति आयोग द्वारा विकसित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य ‘ब्लू कॉलर’ (Blue Collar) और ‘ग्रे कॉलर’ (Grey Collar) कामगारों तथा इनसे संबंधित नियोक्ताओं को एक मंच पर लाना है।

कार्य की प्रकृति के आधार पर उनका वर्गीकरण

  • गौरतलब है कि ‘ब्लू कॉलर कार्य’ से आशय ऐसे कार्यों से है, जिनमें शारीरिक श्रम की प्रधानता होती है, जैसे– कृषि श्रमिक, दिहाड़ी मज़दूर इत्यादि। इस वर्ग के कामगार असंगठित क्षेत्र के कामगार होते हैं।
  • ‘ग्रे कॉलर कार्य’ के अंतर्गत ऐसे कार्य शामिल किये जाते हैं, जो ‘व्हाइट कॉलर कार्य’ और ‘ब्लू कॉलर कार्य’ दोनों में से किसी की भी परिधि में फिट नहीं बैठते हैं और इनके मध्य कहीं स्थित होते हैं। इसमें वायुयान पायलट, पादरी-पुजारी, अग्निशमन कर्मी, इलेक्ट्रीशियन आदि शामिल हैं। इस वर्ग के कामगार भी सामान्यतः असंगठित क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं।
  • अंत में, ‘व्हाइट कॉलर कार्य’ ऐसे कार्य होते हैं, जिनमें बौद्धिक श्रम की प्रधानता होती है, जैसे– सॉफ्टवेर निर्माता, बैंक कर्मी आदि। इस वर्ग के कामगार सामान्यतः संगठित क्षेत्र से संबद्ध होते हैं।

सुझाव

  • श्रमिकों, विशेष रूप से प्रवासी श्रमिकों के संबंध में एकत्रित की गई जानकारी को नियमित रूप से अद्यतन किया जाना चाहिये।
  • किसी एक राज्य के श्रमिक कार्य की तलाश में कौन-से अन्य राज्य में जाते हैं, इस प्रवृत्ति (Trend) को भी समझना चाहिये।
  • कार्य करने के इच्छुक लोगों को पंजीकरण के लिये प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
  • असंगठित क्षेत्र के कामगारों से संबंधित ऐसी योजनाओं को भी ई-श्रम पोर्टल के साथ एकीकृत करना चाहिये, जिनके पात्रता मानदंडों में ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण की आवश्यकता नहीं होती है।
  • केंद्र और राज्य, दोनों स्तरों पर विस्तारित लाभों की पहुँच की जाँच की जानी चाहिये।

निष्कर्ष

उपरोक्त विश्लेषण के आलोक में स्पष्ट है कि असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का केवल डेटाबेस निर्मित करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उनकी पहचान करना, उनका पंजीकरण करना और उन्हें सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में शामिल करना भी महत्त्वपूर्ण है। अतः इस दिशा में त्वरित और प्रभावी कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR