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जलवायु परिवर्तन से निपटने में ग्राम पंचायतों की भूमिका 

(प्रारंभिक परीक्षा के लिए - पंचामृत संकल्प, COP26, क्लीन एंड ग्रीन विलेज)
(मुख्य परीक्षा के लिए , सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र:2, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र:3 - स्थानीय स्वशासन, पर्यावरण संरक्षण)

संदर्भ

  • भारत द्वारा ग्लासगो में COP26 जलवायु शिखर सम्मेलन के दौरान घोषित 'पंचामृत' संकल्प में निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पंचायती राज संस्थानों को शामिल करना आवश्यक है, क्योंकि ये संस्थान जनसमुदाय के सबसे करीब हैं।

पंचामृत संकल्प

  • ग्लासगो में COP26 के दौरान भारत द्वारा जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पांच सूत्री एजेंडा प्रस्तुत किया, जिन्हे पंचामृत कहा गया। 
    • भारत, 2030 तक अपनी गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावाट तक प्राप्त कर लेगा।
    • भारत, 2030 तक अपनी ऊर्जा जरूरतों का 50 फीसदी नवीकरणीय ऊर्जा से पूरा करेगा।
    • भारत, 2030 तक अपने अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में एक अरब टन की कमी करेगा।
    • भारत, 2030 तक अपनी अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम करेगा।
    • भारत, 2070 तक नेट जीरो का लक्ष्य हासिल कर लेगा।

जलवायु परिवर्तन और पंचायतें 

  • पिछले कुछ दशकों में जलवायु संबंधी आपदाओं में कई गुना वृद्धि हुई है। 
  • भारत की अधिकांश जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, और कृषि कार्यों में संलग्न है। 
    • जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा और तापमान में अधिक परिवर्तनशीलता, कृषि को प्रभावित करके सीधे तौर पर लाखों लोगों की आजीविका और समग्र कल्याण को प्रभावित करती है। 
  • जलवायु परिवर्तन पर भारत की राष्ट्रीय कार्य योजना 2008, राष्ट्रीय और राज्य सरकारों के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की एक श्रृंखला की पहचान करती है, यदि इसमें पंचायती राज संस्थाओं को अधिक भूमिका प्रदान की  जाती तो बेहतर परिणाम प्राप्त हो सकते थे। 
  • विकेंद्रीकरण की प्रक्रिया लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करती है, और इस प्रकार पंचायतें अनुकूलन, जलवायु-परिवर्तन के अनुकूल समुदायों के निर्माण और जलवायु जोखिमों के प्रति प्रतिक्रियाओं के समन्वय में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।

भारत में कार्बन तटस्थता परियोजनाएं -

  • 'कार्बन तटस्थता' की अवधारणा शून्य कार्बन विकास, पर्यावरण के संरक्षण, भोजन और ऊर्जा की पर्याप्तता और आर्थिक विकास पर केंद्रित है। 
  • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी और मौसम की घटनाओं की बढ़ती आवृत्ति और गंभीरता के लिए अनुकूलन भी इस संदर्भ में महत्वपूर्ण है।

मीनांगडी ग्राम पंचायत

  • केरल के वायनाड जिले में मीनांगडी ग्राम पंचायत ने 2016 में 'कार्बन न्यूट्रल मीनांगडी' नामक एक परियोजना की परिकल्पना की।
  • परियोजना का उद्देश्य मीनांगडी को कार्बन तटस्थता की स्थिति में लाना था। 
  • परियोजना के अंतर्गत, अभियान, कक्षाएं, अध्ययन और जागरूकता कार्यक्रम शुरू किए, एक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन सूची भी तैयार की गई। 
  • ग्राम सभा ने सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण और ऊर्जा-उपयोग मानचित्रण करने के बाद एक कार्य योजना तैयार की। 
  •  जिसके अंतर्गत उत्सर्जन को कम करने, कार्बन पृथक्करण को बढ़ाने तथा  पारिस्थितिकी और जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए विभिन्न बहु-क्षेत्रीय योजनायें लागू की गईं। 
  • कार्बन-तटस्थ गतिविधि की सहायता के लिए प्रमुख योजनाओं में से एक 'ट्री बैंकिंग' थी, इसके द्वारा ब्याज मुक्त ऋण देकर वृक्षारोपण को प्रोत्साहित किया, इसके अंतर्गत  लगभग 1,58,816 पेड़ लगाए गए और बेहतर निगरानी के लिए पेड़ों को जियो-टैग भी किया गया। 
  • इस योजना में स्कूली छात्रों, युवाओं और तकनीकी और शैक्षणिक संस्थानों सहित पूरे समुदाय ने भागीदारी की। 
  • इस योजना का एक अन्य महत्वपूर्ण पक्ष स्थानीय आर्थिक विकास भी है, जहां एलईडी बल्बों और अन्य संबंधित सूक्ष्म उद्यमों का निर्माण शुरू किया गया।

पल्ली ग्राम पंचायत

  • जम्मू और कश्मीर में पल्ली ग्राम पंचायत ने विशिष्ट स्थानीय गतिविधियों के साथ एक जन-केंद्रित मॉडल को अपनाया है। 
  • पंचायत द्वारा एक जलवायु योजना तैयार की गई, जिसमें ग्रामीणों को ऊर्जा की खपत को कम करने, सौर ऊर्जा का उपयोग करने, जीवाश्म ईंधन को कम करने, प्लास्टिक के उपयोग को खत्म करने और जल संरक्षण और वृक्षारोपण को बढ़ावा देने जैसे शमन कारकों से अवगत कराया गया। 
  • ग्राम पंचायत में लगभग 340 घरों को बिजली देने के लिए 500 किलोवाट का एक सौर संयंत्र स्थापित किया गया।

अन्य महत्वपूर्ण प्रयास 

  • सीचेवाल ग्राम पंचायत(पंजाब) में लोगों की भागीदारी के माध्यम से काली बेई नदी का कायाकल्प किया गया।
  • ओडनथुराई पंचायत (तमिलनाडु) ने 350 किलोवाट की अपनी पवनचक्की स्थापित की है।
  • टिकेकरवाड़ी ग्राम पंचायत (महाराष्ट्र) में बायोगैस संयंत्रों के व्यापक उपयोग और हरित ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है।

क्लीन एंड ग्रीन विलेज थीम

  • पंचायती राज मंत्रालय ने सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को विषयगत आधार पर स्थानीय बनाने पर बल दिया है। 
  • जिसके तहत क्लीन एंड ग्रीन विलेज पांचवां विषय है, इसके अंतर्गत जैव विविधता संरक्षण, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, अपशिष्ट प्रबंधन और वनीकरण जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं। 
  • नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, लगभग 1,09,135 ग्राम पंचायतों ने वर्ष 2022-23 के लिए क्लीन एंड ग्रीन विलेज को प्राथमिकता दी है।
  • पंचायतों द्वारा तैयार की गई एकीकृत पंचायत विकास योजना भी भारत में गांवों की विभिन्न पर्यावरणीय चिंताओं को दूर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

आगे की राह 

  • अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय नीतियों को बड़े पैमाने पर निवेश के साथ तैयार किया जाता है, इनके अंतर्गत, कार्यान्वयन और प्रवर्तन के लिए स्थानीय सरकारों द्वारा शुरू और समन्वित एक उपयुक्त स्थानीय कार्य योजना का होना भी आवश्यक है। 
  • जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति सबसे अधिक असुरक्षित ग्रामीण परिवारों के साथ, पंचायतें, स्थानीय सरकारों के रूप में, ग्लोबल वार्मिंग के कई कारणों और परिणामों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
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