संदर्भ
हाल ही में, झारखण्ड के देवघर में घटित रोपवे दुर्घटना ने भारत में रोपवे संबंधी सुरक्षा प्रोटोकॉल को पुन: चर्चा के केंद्र में ला दिया है।
हालिया घटनाक्रम
झारखण्ड के देवघर ज़िले में निर्मित रोपवे में 16 मिमी. व्यास की स्टील की रस्सी एक्सल से फिसल गई जिसके कारण रोपवे अपने सभी पुलियों से फिसल गया। इससे रोपवे से जुड़ी सभी कारें अत्यधिक ऊँचाई पर फँस गईं।
देवघर रोपवे विकास कार्यक्रम
- वर्ष 2010 में इस रोपवे को निर्मित करने की प्रक्रिया शुरू हुई। वर्ष 2014 में झारखंड पर्यटन विकास निगम तथा निर्माता कंपनी के बीच रोपवे प्रणाली के रखरखाव के लिये एक समझौता किया गया था। इस समझौते के तहत यह सुनिश्चित किया गया था कि सुरक्षा के उच्चतम स्तरों के साथ रोपवे का कुशल तरीके से संचालन हो।
- इस समझौते के तहत वार्षिक, अर्ध-वार्षिक और त्रैमासिक रखरखाव के अलावा एक दैनिक जाँच की जानी थी। साथ ही समय-समय पर बचाव अभ्यास अनिवार्य था।
भारत में रोपवे संबंधी प्रोटोकॉल
गौरतलब है कि भारत में रोपवे के विकास तथा इससे संबंधित सुरक्षा प्रोटोकॉल हेतु कोई केंद्रीय अधिनियम नहीं है। हालाँकि, देवघर की दुर्घटना के बाद गृह मंत्रालय ने देश में उपस्थित सभी रोपवे के सुरक्षा जाँच हेतु निर्देश दिये हैं।
नीति आयोग द्वारा प्रस्तुत मसौदा
- रोपवे का निर्माण करने वाली कंपनी को रोपवे का निर्माण, संचालन, रखरखाव और निरीक्षण करना तथा इससे संबंधित अपने सभी दायित्वों का पालन करना होगा।
- संचालन अवधि के दौरान कंपनी रोपवे के रखरखाव और संचालन के लिये जिम्मेदार होगी। इस अवधि में कंपनी रोपवे के मरम्मत तथा सुधार के लिये भी आवश्यक कदम उठाएगी।
- रोपवे पर यात्रियों को सुरक्षित, सुचारू व निर्बाध यात्रा की सुविधा उपलब्ध कराना कंपनी का दायित्व होगा। सामान्य परिस्थितियों के दौरान कंपनी द्वारा शुल्क एकत्रित किया जाएगा तथा उसका विनियोग किया जाएगा।
- किसी भी दुर्घटना की स्थिति में यातायात व्यवधान को कम करना तथा त्वरित एवं प्रभावी प्रतिक्रिया प्रदान करना एवं राज्य की आपातकालीन सेवाओं के साथ संपर्क बनाए रखना कंपनी की जिम्मेदारी होगी।
- कंपनी संबंधित कानून प्रव्रर्तन एजेंसियों की सहायता से रोपवे के अनधिकृत प्रयोग तथा इस पर अतिक्रमण को रोकने का प्रयास करेगी।
- कंपनी द्वारा पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए रोपवे के निर्माण व संचालन में ऐसे सामग्री का उपयोग किया जाएगा जो पर्यावरण अनुकूल हो।
- कंपनी द्वारा सरकारी एजेंसियों, उपयोगकर्ताओं, मीडिया के सुझावों तथा फीडबैक को प्राप्त करने के लिये एक जनसंपर्क इकाई का निर्माण किया जायेगा। इससे प्राप्त सुझावों के आधार पर रोपवे के उन्नयन के प्रयास किये जाएँगे।
- किसी भी दुर्घटना की स्थिति में कंपनी द्वारा राहत एवं बचाव कार्य में सलग्न आपदा प्रबंधन एवं शमन एजेंसियों को अपने स्तर से पर्याप्त सहायता उपलब्ध कराएगी।
रोपवे विकास हेतु पर्वतमाला कार्यक्रम
- केंद्रीय वित्त मंत्री ने वर्ष 2022-23 के बजट में राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम-‘पर्वतमाला’ की घोषणा की है।
- दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में पारंपरिक सड़कों के स्थान पर स्थाई पारिस्थितिक विकल्प के रूप में सार्वजनिक-निजी भागीदारी के आधार पर राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम को शुरू किया जाएगा।
- यह परियोजना वर्तमान में उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, जम्मू-कश्मीर और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में क्रियान्वित की जाएगी।
- इसके तहत वर्ष 2022-23 में 60 किमी.की दूरी के लिये 8 रोपवे परियोजनाओं को शुरू किये जाने का लक्ष्य है।
निष्कर्ष
भारत में रोपवे के विकास के लिये पर्वतमाला योजना की शुरुआत की गई है, हालाँकि देश में रोपवे के सुरक्षा से संबंधित प्रोटोकॉल का अभाव है। ऐसे में किसी भी दुर्घटना की स्थिति में उत्तरदायित्व तय करने में कठिनाई होती है। वर्तमान में इससे संबंधित एक केंद्रीय अधिनियम की आवश्यकता है जिसे राज्यों द्वारा भी अपनाया जाना चाहिये, ताकि रोपवे के विकास से अधिकतम लाभ सुनिश्चित किया जा सके।