(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाओं से संबंधित प्रश्न)
(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3 - भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोजगार से संबंधित विषय पर आधारित प्रश्न)
संदर्भ
- वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में घोषणा के पश्चात्, हाल ही में वित्त मंत्रालय ने ‘कर्मचारी भविष्य निधि’ के संबंध (Employees Provident Fund - E.P.F.) में नये नियमों को अधिसूचित किया है।
- नये नियम के अनुसार ई.पी.एफ. में 2.5 लाख रुपए (निज़ी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिये) और 5 लाख रुपए (सरकारी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिये) से अधिक के योगदान पर, ‘ब्याज आय पर कर’ (Taxing Interest Income) लगाने का निर्देश है।
- इस वित्त वर्ष की शुरुआत में सरकार इन सीमाओं से अधिक के योगदान पर कर लगाएगी, जिसमें ई.पी.एफ. के खातों को 2 अलग-अलग खातों (कर योग्य एवं गैर-कर योग्य) में विभाजित किया जाएगा।
ई.पी.एफ. योगदान पर कर
- बजट में प्रस्ताव के उपरांत, एक सीमा से अधिक के ई.पी.एफ. योगदान में ब्याज आय पर कर में छूट उपलब्ध नहीं होगी। यह ई.पी.एफ. में योगदान करने वाले वेतनभोगी व्यक्तियों के लिये एक चिंता का विषय रहा है।
- यद्यपि, यह नियम उन लोगों को प्रभावित करेगा, जो एक वर्ष में 2.5 लाख रुपए से अधिक का ई.पी.एफ. में योगदान करते हैं।
- गौरतलब है कि यह नियम उनके मौज़ूदा कोष या उस पर कुल वार्षिक ब्याज को प्रभावित नहीं करेगा।
- सरकार ने वित्त विधेयक, 2021 में एक संशोधन के माध्यम से कर-मुक्त ब्याज से अर्जित आय की सीमा को 2.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए करने का प्रस्ताव किया है। इस प्रकार का प्रस्ताव तभी मान्य होगा जब अंशदान ऐसे कोष में किया जाए, जहाँ नियोक्ता द्वारा कोई अंशदान नहीं किया गया है।
- हालाँकि, इसके साथ ही सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिये उपलब्ध सामान्य भविष्य निधि में किये गए योगदान के लिये छूट प्रदान की है, जिसमें नियोक्ता द्वारा कोई योगदान नहीं किया गया हो।
कराधान के नवीन नियम
- ‘केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxes-C.B.D.T.) ने संशोधन के माध्यम से ‘आयकर नियम, 1962’ में 9D नियम को जोड़ा, जो 1 अप्रैल, 2022 से लागू होगा।
- नियमानुसार पिछले वर्ष के दौरान अर्जित ब्याज के माध्यम से प्राप्त आय, जो छूट योग्य नहीं है (निज़ी कर्मचारियों के लिये 2.5 लाख रुपए और सरकारी कर्मचारियों के लिये 5 लाख रुपए से अधिक) उसकी गणना ‘कर योग्य खाते’ में पिछले वर्ष के दौरान अर्जित ब्याज के रूप में की जाएगी।
- किसी व्यक्ति के ‘कर योग्य योगदान और गैर-कर योग्य योगदान’ के लिये भविष्य निधि खाते के अंदर वर्ष 2021-22 और बाद के वर्षों के दौरान अलग खाते बनाए जाएँगे।
- सी.बी.डी.टी. के अनुसार 31 मार्च, 2021 को क्लोजिंग बैलेंस और उस पर मिलने वाले ब्याज को गैर-कर योग्य घटक माना जाएगा।
- ‘कर योग्य योगदान खाते’ में, पिछले वर्ष (2021-22) के दौरान व्यक्ति द्वारा खाते में किये गए योगदान और बाद के वर्षों में सीमा से अधिक योगदान शामिल होगा।
प्रस्ताव की आवश्यकता
- बजट प्रस्ताव में कहा गया था कि कुछ कर्मचारी ई.पी.एफ. में भारी मात्रा में योगदान कर रहे हैं और सभी चरणों में ‘योगदान, ब्याज संचय और निकासी’ पर कर में छूट का लाभ प्राप्त कर रहे हैं।
- उच्च निवल मूल्य वाले व्यक्तियों (high net-worth individuals - HNI) को उनके बड़े योगदान पर उच्च कर-मुक्त ब्याज से अर्जित आय के लाभ से बाहर करने के उद्देश्य से, सरकार ने कर छूट के लिये एक सीमा निर्धारित करने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
- यह प्रस्ताव 1 अप्रैल, 2021 से प्रारंभ होने वाले सभी योगदानों पर लागू होगा।
- वित्त मंत्री का कहना है कि, यह फंड वास्तव में श्रमिकों के लाभ के लिये है और इस परिवर्तन से श्रमिक प्रभावित नहीं होगें। इससे प्रभावित होने वालों में वह व्यक्ति शामिल होगें, जो अत्यधिक मात्रा में ई.पी.एफ. में योगदान करके लाभ प्राप्त करते हैं।
- उदाहरण के लिये अगर कोई व्यक्ति भविष्य निधि (स्वैच्छिक ई.पी.एफ. योगदान सहित) में प्रतिवर्ष 3 लाख रुपए का योगदान करते हैं तो उसके 2.5 लाख रुपए से अधिक के योगदान पर अर्थात 50,000 रुपए पर कर लगेगा।
कर की समय सीमा
- अधिसूचना के अनुसार, एक वर्ष के लिये अतिरिक्त योगदान पर ब्याज से अर्जित आय पर प्रत्येक वर्ष कर लगेगा।
- इसका अर्थ है कि यदि किसी व्यक्ति द्वारा वित्त वर्ष 2022 में ई.पी.एफ. में योगदान 10 लाख रुपए है, तो 7.5 लाख रुपए के ब्याज से अर्जित आय पर न केवल वित्त वर्ष 2022 के लिये, बल्कि बाद के सभी वर्षों के लिये भी कर लगेगा।