प्रारम्भिक परीक्षा - रुपया-दिरहम विनिमय प्रणाली मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र- 3 |
चर्चा में क्यों ?
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और संयुक्त अरब अमीरात के केंद्रीय बैंक ने 15 जुलाई को सीमा-पार लेनदेन के लिए दोनों देशों की स्थानीय मुद्राओं के इस्तेमाल को संभव बनाने के लिए एक ढांचा स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की।
प्रमुख बिंदु
- मई 2022 में व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते के कार्यान्वयन के बाद से यूएई-भारत व्यापार में लगभग 15% की वृद्धि हुई है। तेल खरीद सहित द्विपक्षीय व्यापार लगभग 85 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है, जिसमें से भारत को यूएई का निर्यात लगभग 50 बिलियन डॉलर रहा।
- यह संयुक्त अरब अमीरात और भारत के बीच पूरी तरह से द्विपक्षीय मामला है।
- यह लेनदेन लागत को कम करके और इसे आसान बनाकर भारत एवं संयुक्त अरब अमीरात के बीच व्यापार को काफी आसान बना देगा।
- रुपया-दिरहम समझौता द्विपक्षीय है, और वैश्विक अर्थव्यवस्था को ‘डी-डॉलराइज’ करने का कोई एजेंडा नहीं है।
लाभ
- भारतीय रुपये और संयुक्त अरब अमीरात के दिरहम में भुगतान करने की इजाजत देने का मकसद द्विपक्षीय रूप से इन दोनों मुद्राओं के इस्तेमाल को बढ़ावा देना है, जिससे लेनदेन से निपटने के लिए मध्यस्थ के रूप में अमेरिकी डॉलर जैसे तीसरे देश की मुद्रा पर निर्भरता कम होगी।
- दोनों देशों के केंद्रीय बैंकों के बीच हुए समझौता ज्ञापन के मुताबिक, इन देशों के निर्यातकों और आयातकों सहित सभी चालू खाता भुगतान और कुछ अनुमति प्राप्त पूंजीगत खाते से जुड़े लेनदेन का निपटान रुपये या दिरहम का इस्तेमाल करके किया जा सकता है।
- विनिमय को सुविधाजनक बनाने के लिए, एक स्थानीय मुद्रा विनिमयप्रणाली स्थापित किया जायेगा साथ ही ,केन्द्रीय बैंकों द्वाराअपने भुगतान प्रणाली को आपस में जोड़ दिया जायेगा।
- इस तंत्र की स्थापना से रुपया-दिरहम आधारित विदेशी मुद्रा बाजार का विकास होगा, जिससे डॉलर और यूरो जैसी अन्य मुद्राओं के साथ दोनों देशों की मुद्राओं के विनिमय दरों से स्वतंत्र मूल्य निर्धारण करने में मदद करेगा।
- भारतीय और अमीराती व्यवसायों को किसी दूसरे देश में खरीदारों को वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति के लिए मूल्य बताते वक्त विनिमय दर से जुड़े जोखिमों को ध्यान में रखने की जरूरत नहीं होगी, जिससे व्यापार करने में और आसानी होगी तथा व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
- भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच की यह स्थानीय मुद्रा निपटान प्रणाली संभावित रूप से इसी किस्म के अन्य द्विपक्षीय मुद्रा समझौतों की दिशा में एक अग्रदूत के रूप में भी काम कर सकती है और जैसा कि इस महीने आरबीआई अंतर-विभागीय समूह ने सुझाव दिया था, रुपये के अंतर्राष्ट्रीय करण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।
- गैर तलब है कि इसकी असली सफलता दोनों देशों के व्यवसायों द्वारा अपनाए जाने की सीमा पर निर्भर करेगी।
- मई 2022 में द्विपक्षीय व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते के लागू होने के बाद के महीनों में भारत के साथ संयुक्त अरब अमीरात का व्यापार अधिशेष बढ़ने के साथ, अमीराती व्यवसायों को रुपये के संभावित प्रवाह का असरदार तरीके से इस्तेमाल करने के लिए लाभकारी रास्ते देखने और उन्हें भारतीय मुद्रा में भुगतान प्राप्त करने का विकल्प चुनने की जरूरत होगी।
प्रश्न: रुपया-दिरहम निपटान प्रणाली के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. यह लेनदेन लागत को कम करके और इसे आसान बनाकर भारत एवं संयुक्त अरब अमीरात के बीच व्यापार की राह में सुधार करेगा। 2. रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है 3. केन्द्रीय बैंकों द्वाराएक स्थानीय मुद्रा निपटान प्रणाली स्थापित किया जायेगा ।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं? (a) केवल एक (b) केवल दो (c) सभी तीनों (d) कोई भी नहीं
उत्तर:(c) मुख्य परीक्षा प्रश्न: रुपया-दिरहम विनिमय प्रणाली रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। चर्चा कीजिए।
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