(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय)
संदर्भ
हाल ही में, केंद्र सरकार ने ग्रामीण विद्युतीकरण निगम लिमिटेड (Rural Electrification Corporation Limited : REC) को ‘महारत्न’ केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (CPSE) का दर्जा प्रदान किया।
प्रमुख बिंदु
- वित्त मंत्रालय के अंतर्गत लोक उपक्रम विभाग की ओर से इस आशय का आदेश जारी किया गया। यह दर्ज़ा पाने वाली यह देश की 12वीं कंपनी बन गई है।
- आर.ई.सी. एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) है जो पूरे भारत में विद्युत् क्षेत्र के वित्तपोषण और विकास पर ध्यान केंद्रित करती है।
- विदित है कि भारत सरकार द्वारा नियंत्रित एवं संचालित उद्यमों व उपक्रमों को सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम कहा जाता है। ऐसे उपक्रमों में सरकार की हिस्सेदारी 51% या इससे अधिक होती है।
ग्रामीण विद्युतीकरण निगम लिमिटेड
- इसकी स्थापना वर्ष 1969 में की गयी थी। इसे पॉवर फाइनेंस कारपोरेशन के साथ पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र योजना (RDSS) के लिये नोडल एजेंसी के रूप में नामित किया गया है।
- यह प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (SAUBHAGAYA), दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (DDUGJY) और राष्ट्रीय विद्युत कोष (NEF) जैसी प्रमुख योजनाओं के लिये एक नोडल एजेंसी है।
- वित्त वर्ष 2022 में ग्रामीण विद्युतीकरण निगम लिमिटेड ने अपना अब तक का सबसे अधिक शुद्ध लाभ अर्जित किया और यह निगम अब 50,986 करोड़ रुपए के शुद्ध संपत्ति (Net Worth) पर पहुंच गया है।
‘महारत्न’ केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम
मानदंड
- कंपनी नवरत्न श्रेणी में शामिल हो
- सेबी के नियमों के तहत न्यूनतम निर्धारित सार्वजनिक शेयरधारिता के साथ भारतीय स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हो
- विगत तीन वर्षों में कंपनी का औसत वार्षिक कारोबार 25,000 करोड़ रुपए से अधिक हो
- विगत तीन वर्षों में कंपनी की औसत निवल संपत्ति (नेटवर्थ) 15,000 करोड़ रूपए से अधिक की हो
- विगत तीन वर्षों के दौरान कंपनी ने कर अदायगी के पश्चात 5,000 करोड़ रूपए से अधिक का औसत वार्षिक शुद्ध लाभ अर्जित किया हो
- कंपनी की महत्वपूर्ण वैश्विक उपस्थिति अथवा अंतर्राष्ट्रीय संचालन होना चाहिये।
महारत्न का महत्व एवं लाभ
- 'महारत्न' का दर्जा प्राप्त होने से आर.ई.सी. को संचालन एवं वित्तीय मामलों में अपेक्षाकृत अधिक स्वायत्तता प्रदान हो गई है।
- 'महारत्न' का दर्जा देने से कंपनी का बोर्ड वित्तीय संयुक्त उद्यम और पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों को शुरू करने के लिये इक्विटी निवेश कर सकता है तथा भारत एवं विदेशों में विलय व अधिग्रहण कर सकता है।
- विलय तथा अधिग्रहण की सीमा संबंधित सी.पी.एस.ई. की शुद्ध संपत्ति (नेटवर्थ) के 15% हिस्से तक और एक परियोजना में 5,000 करोड़ रुपए तक सीमित होती है।
- बोर्ड कार्मिक एवं मानव संसाधन प्रबंधन तथा प्रशिक्षण से संबंधित योजनाओं की संरचना और कार्यान्वयन भी कर सकता है। ‘महारत्न’ के दर्जे के साथ अन्य बातों के अलावा सी.पी.एस.ई. प्रौद्योगिकी आधारित संयुक्त उद्यम या अन्य रणनीतिक गठजोड़ में भी कदम रख सकता है।
महारत्न में शामिल कंपनियां
- भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लि.
- भारतीय पेट्रोलियम कारपोरेशन लि.
- कोल इंडिया लि.
- गेल इंडिया लि. (GAIL (India) Ltd)
- हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन लि.
- इंडियन ऑयल कारपोरेशन लि.
- एन.टी.पी.सी. लि. (NTPC Ltd.)
- ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन लि.
- पॉवर फाइनेंस कारपोरेशन
- पॉवर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया लि.
- स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लि.
- रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कारपोरेशन लि.
‘नवरत्न’ केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम
मानदंड
- कंपनी को मिनीरत्न श्रेणी-I का दर्ज़ा होना चाहिये और इसे सी.पी.एस.ई. की अनुसूची ‘A’ के तहत सूचीबद्ध होना चाहिये
- विगत पांच वर्षों में से कम-से-कम तीन वर्षों में समझौता ज्ञापन प्रणाली के अंतर्गत ‘उत्कृष्ट’ या ‘बहुत अच्छी’ रेटिंग प्राप्त की हो
- निम्नांकित छ: प्रदर्शन संकेतकों की गणना करते समय उसका समग्र स्कोर 60 या उससे अधिक होना चाहिये। ये संकेतक हैं-
- कंपनी की निवल पूँजी से निवल लाभ
- उत्पादन की या सेवाओं की कुल लागत के सापेक्ष श्रमबल पर आने वाली कुल लागत
- मूल्यह्रास ब्याज और करों से पूर्व लाभ के सापेक्ष नियोजित पूंजी
- ब्याज और करों के पूर्व लाभ के सापेक्ष कारोबार
- प्रति शेयर आय
- अंतर-क्षेत्रीय प्रदर्शन
‘नवरत्न’ में शामिल कंपनियां
- भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लि.
- कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया लि.
- इंजीनियर्स इंडिया लि.
- हिंदुस्तान एरोनोटिकस लि.
- महानगर टेलीफोन निगम लि.
- नेशनल एलुमिनियम कंपनी लि.
- नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन लि.
- नेयवेली लिग्नाइट कॉरपोरेशन लि.
- एन.एम.डी.सी. लि. (NMDC Ltd.)
- ऑयल इंडिया लि.
- राष्ट्रीय इस्पात निगम लि.
- शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया लि.
‘मिनीरत्न’ केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम
श्रेणी-I मानदंड
- विगत तीन वर्षों में निरंतर लाभ अर्जित किया हो
- विगत तीन वर्षों में कम-से-कम एक वर्ष में कर पूर्व 30 करोड़ रूपए या अधिक का लाभ अर्जित किया हो
- केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम का शुद्ध परिसंपति सकारात्मक हो
- वर्तमान में इस श्रेणी के तहत 62 केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों को सूचीबद्ध किया गया है।
श्रेणी-II मानदंड
- केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम ने विगत तीन वर्षो में निरंतर लाभ अर्जित किया हो
- केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम का शुद्ध परिसंपति सकारात्मक हो
- वर्तमान में इस श्रेणी के तहत 12 केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम सूचीबद्ध किये गए हैं।