चर्चा में क्यों ?
हाल ही में, विशाखापत्तनम स्थित ‘रशिकोंडा समुद्री तट’ (Rushikonda Beach) के साथ-साथ भारत के सात अन्य समुद्र तटों को प्रतिष्ठित ईको-लेबल “ब्लू फ्लैग” दर्ज़ा प्रदान किया गया है। भारत ने तटीय क्षेत्रों में प्रदूषण को नियंत्रित करने तथा सौन्दर्यीकरण हेतु तीसरा सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार भी प्राप्त किया है।
क्या है ब्लू फ्लैग प्रमाणन?
- ब्लू फ्लैग प्रमाणन का दर्ज़ा डेनमार्क स्थित “पर्यावरणीय शिक्षा फाउंडेशन (Foundation for Environmental Education: FEE)” द्वारा प्रदान किया जाता है।
- यह दर्ज़ा निर्धारित मानकों पर खरा उतरने के लिये प्रदान किया जाता है। इन मानकों के अंतर्गत तटों को पर्यावरण अनुकूल बनाने के लिये सम्बद्ध तट को प्लास्टिक व कचरा मुक्त करना और ठोस अपशिस्ट प्रबंधन से सुसज्जित करना शामिल हैं।
- साथ ही पर्यटकों के लिये अच्छी गुणवत्ता वाले जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने, अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप पर्यटन सुविधाएँ विकसित करने के अतिरिक्त समुद्र तट के उपयोगकर्ताओं के पर्यावरणीय ज्ञान का भी आकलन मानकों के तहत किया जाता है।
- ध्यातव्य है की ऍफ़.ई.ई. ने 4664 समुद्र तटों को ब्लू फ्लैग का दर्ज़ा प्रदान किया है। सर्वाधिक ब्लू फ्लैग प्रमाणन दर्ज़ा प्राप्त समुद्री तट स्पेन में स्थित हैं।
ब्लू फ्लैग प्रमाणन के लाभ
- ब्लू फ्लैग प्रमाणन प्राप्त करने वाले समुद्र तट वैश्विक मानचित्र पर स्थापित हो जाते हैं। भारत अब विश्व के 50 ब्लू फ्लैग प्रमाणन वाले देशों में शामिल हो गया है। इस प्रमाणन के द्वारा भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन के क्षेत्र में बढावा मिलेगा।
- इस निर्णय के बाद समुद्र तटों के सौंदर्यीकरण और बुनियादी ढाँचे के विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। अभी तक तटीय विनियमन क्षेत्र अधिनियम अर्थात सी.आर.जेड. नियमों के तहत ऐसे क्षेत्रों में इस तरह की गतिविधियों की अनुमति नहीं थी।
वर्तमान स्थिति
- वर्ष 2018 में पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने इस प्रमाणपत्र के लिये 13 समुद्र तटों की पहचान की थी, जिनमें से 8 का चुनाव किया गया है।
- भारत के ब्लू फ्लैग प्रमाणन प्राप्त करने वाले अन्य सात समुद्र तटों में- शिवराजपुर (गुजरात), घोघला (दीव), कासरकोड (कर्नाटक), पदुबिदरी (कर्नाटक), कप्पड़ (केरल), गोल्डेन (ओडिशा) और राधानगर (अंडमान) शामिल हैं।
रशिकोंडा : एक नज़र में
- रशिकोंडा बीच आंध्र प्रदेश का एकमात्र ऐसा समुद्र तट है, जिसे केंद्र सरकार ने ‘बीच पर्यावरण और सौंदर्य प्रबंधन सेवा’ (Beach Environment and Aesthetics Management Services: BEAMS) परियोजना के तहत अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप विकास के लिये चुना गया है।
- आउटडोर फिटनेस उपकरण, समुद्र तटों की निरंतर सफाई के लिये तंत्र, सी.सी.टी.वी. कैमरे और जीवनरक्षक जैसे सुरक्षा उपकरण भी इस परियोजना के अंतर्गत प्रदान किये गए थे।