चर्चा में क्यों
भारत सरकार ने अक्तूबर 2018 में रूस के साथ S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की 5 रेजिमेंट के लिये 5.43 अरब डॉलर का समझौता किया था। हाल ही में रूस ने इस प्रणाली की आपूर्ति प्रारंभ कर दी है।
S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली
- S-400 सतह से हवा में मार करने वाली सबसे आधुनिक वायु रक्षा प्रणाली है। यह 400 किमी. की सीमा के अंदर विमान, ड्रोन तथा बैलिस्टिक एवं क्रूज़ मिसाइलों सहित सभी प्रकार के लक्ष्यों को निशाना बना सकती है।
- यह प्रणाली उच्च और निम्न लक्ष्यों का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने की क्षमता रखती है। यह मिसाइलों का एक अभेद्य ग्रिड बनाती है।
- इसकी मारक क्षमता 600 किमी. है तथा यह एक बार में 36 लक्ष्यों को भेद सकती है।
- 40 किमी., 100 किमी., 200 किमी. और 400 किमी. के बीच की रेंज वाली चार अलग-अलग प्रकार की मिसाइलों वाली इस प्रणाली को बहुत कम समय में (5 मिनट के भीतर) तैनात किया जा सकता है।
- यह प्रणाली चीन के पास पहले से ही उपलब्ध है। चीन ने इसे पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तैनात किया है।
काट्सा एक्ट
- ट्रंप प्रशासन ने वर्ष 2017 में काट्सा (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act) की शुरुआत की थी। इस अधिनियम के अंतर्गत अमेरिका अपने सहयोगियों को रूस, उत्तर कोरिया एवं ईरान से किसी भी प्रकार की सैन्य सामग्री के लेन-देन को प्रतिबंधित करता है।
- अमेरिका द्वारा इस अधिनियम के अंतर्गत चीन एवं तुर्की पर प्रतिबंध लगाए जा चुके हैं।
- रूस से S-400 मिसाइल प्रणाली खरीदने के लिये अमेरिका द्वारा काट्सा (CAATSA) के तहत तुर्की पर प्रतिबंध लगाए हैं।
- इस संबंध में भारत ने स्पष्ट किया है कि इस प्रणाली की खरीद की यह प्रक्रिया अमेरिका द्वारा काट्सा लगाए जाने से बहुत पहले, वर्ष 2016 में गोवा में 17वें भारत-रूस शिखर सम्मलेन के दौरान शुरू हो गई थी।
- बाइडेन प्रशासन ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह S-400 मिसाइल प्रणाली की खरीद के लिये भारत पर प्रतिबंध लगाएगा या नहीं।