तमिलनाडु में साध्या विझा महोत्सव के दौरान महान चोल सम्राट राजाराज चोल प्रथम की 1039वीं जयंती मनाई गयी।
साध्या विझा महोत्सव के बारे में
- क्या है : तमिलनाडु में महान चोल सम्राट राजाराज चोल प्रथम की जयंती प्रत्येक वर्ष साध्या विझा महोत्सव के रूप में मनाई जाती है।
- आयोजन काल : यह महोत्सव तमिल महीने ‘अप्पासी’ में मनाया जाता है। अप्पासी का समयकाल अक्तूबर माह के मध्य से नवंबर माह के मध्य तक होता है।
- प्रक्रिया : यह आयोजन धार्मिक समारोहों से शुरू होता है, जिसमें भगवान पेरुवुदैयार का पवित्र अभिषेक (पवित्र स्नान) शामिल है। इसके बाद ‘पेरुंडीपा वजीपाडु’ होता है जिसमें श्रद्धा से दीप जलाए जाते हैं और ‘स्वामी पुरप्पाडु’ नामक एक जुलूस होता है जिसमें देवता को मंदिर के माध्यम से ले जाया जाता है।
- सांस्कृतिक कार्यक्रम : इस दो दिवसीय उत्सव में शास्त्रीय नृत्य एवं ओधुवरों (तमिल भक्ति गायक) द्वारा भजन गायन जैसे सांस्कृतिक प्रदर्शन शामिल होते हैं।
- प्रमुख केंद्र : इस महोत्सव का प्रमुख केंद्र तंजौर स्थित बृहदेश्वर मंदिर है।
- तंजावुर से आगे यह उत्सव कुंभकोणम के पास उदययालुर तक फैला हुआ है, जहाँ माना जाता है कि राजा राज चोल के पार्थिव शरीर को दफनाया गया है।
राजा राज चोल प्रथम के बारे में
- जीवन काल : 947 ई. से 1014 ई. तक
- बचपन का नाम : अरुलमोझी वर्मन
- पिता : परान्तक द्वितीय
- माता : वनवन महादेवी
- शासन काल : 985 ई. से 1014 ई. तक
- जीवनी : 1955 ई. में कल्कि कृष्णमूर्ति के तमिल उपन्यास पोन्नियिन सेलवन में
- विशेष : दक्षिणी भारत एवं श्रीलंका में विजय और हिंद महासागर में चोल प्रभाव बढ़ाने के लिए प्रसिद्ध
- प्रमुख निर्माण : तंजावुर में बृहदेश्वर मंदिर (1010 ई. में निर्मित)
- इसे पेरुवुदैयार कोविल के नाम से भी जाना जाता है।
- भगवान शिव को समर्पित है।
- वर्ष 1987 ई. में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया गया।
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