सागर परिक्रमा पहल के तहत सागर डिफेंस इंजीनियरिंग द्वारा निर्मित एक ‘ऑटोनॉमस सरफेस वेसल (Autonomous Surface Vessel : ASVs)’ ने बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के मुंबई से थूथुकुडी तक 1,500 किमी. की यात्रा पूरी की है। ASVs एक प्रकार के मानव रहित पोत हैं जो स्वायत्त संचालन में सक्षम होते हैं।
सागरमाला परिक्रमा पहल के बारे में
- सागर परिक्रमा पहल को भारतीय नौसेना के नौसेना नवाचार एवं स्वदेशीकरण संगठन (NIIO), प्रौद्योगिकी विकास त्वरण प्रकोष्ठ (TDAC) और रक्षा नवाचार संगठन (DIO) के तहत रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (iDEX) पहल द्वारा समर्थित किया गया है।
- NIIO के वार्षिक कार्यक्रम ‘स्वावलंबन’ के दौरान 29 अक्तूबर को केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ‘सागरमाला परिक्रमा’ यात्रा का शुभारंभ किया था।
सागरमाला परिक्रमा यात्रा की विशेषताएँ
- यह यात्रा स्वायत्त समुद्री प्रौद्योगिकी में भारत की बढ़ती विशेषज्ञता को प्रदर्शित करती है।
- नौसेना ने वर्ष 2047 तक ‘पूरी तरह से आत्मनिर्भर बल’ बनने का संकल्प लिया है।
- यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अत्याधुनिक व मानव रहित प्रणालियों के विकास में महत्वपूर्ण है।
- सागरमाला परिक्रमा की सफलता भारत की स्वदेशी रूप से ऑटोनॉमस समुद्री प्रणालियों के निर्माण की क्षमता को प्रदर्शित करती है जो हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
- यह यात्रा भारत के रक्षा प्रौद्योगिकी में नवाचार, साझेदारी व आत्मनिर्भरता के दृष्टिकोण की शक्ति का प्रमाण है।
- सागरमाला परिक्रमा ऑटोनॉमस सरफेस और पानी के नीचे की प्रणालियों में वैश्विक प्रगति के साथ संरेखित है, जो सैन्य व नागरिक दोनों क्षेत्रों में परिवर्तनकारी अनुप्रयोग प्रदान करती है।
- यह महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों, तटीय निगरानी और समुद्री डकैती रोधी अभियानों में ऑटोनॉमस वेसल की भविष्य में तैनाती का मार्ग प्रशस्त करती है।
- इससे भारतीय नौसेना की परिचालन पहुँच का विस्तार होता है।