हाल ही में महाराष्ट्र वन विभाग, चंद्रपुर के ताडोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व (TATR) से कुछ बाघों को राज्य के पश्चिमी क्षेत्र के एकमात्र टाइगर रिजर्व, सह्याद्रि टाइगर रिजर्व (STR) में स्थानांतरित करने की तैयारी कर रहा है।
गौरतलब है कि, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने अक्टूबर 2023 में स्थानांतरण योजना को मंजूरी दे दी थी।
इस स्थानांतरण प्रारंभिक चरण में, एक नर बाघ या नर और मादा बाघों की एक जोड़ी को TATR से STR में स्थानांतरित किया जाएगा।
महत्व:
स्थानांतरण परियोजना उत्तरी पश्चिमी घाट के जंगलों में बाघों के संरक्षण में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच एक प्रमुख वन्यजीव गलियारा बनाता है।
सरकार की अखिल भारतीय बाघ अनुमान रिपोर्ट, 2023 के अनुसार, यह गलियारा सह्याद्री रिजर्व, राधानगरी वन्यजीव अभयारण्य, अंबोली रिजर्व वन, गोवा में म्हादेई वन्यजीव अभयारण्य और कर्नाटक में भीमगढ़ वन्यजीव अभयारण्य व काली बाघ रिजर्व में बाघों की आबादी को जोड़ने का मार्ग देता है।
उपरोक्त रिपोर्ट में कहा गया है कि, खनन गतिविधियों, सड़क परियोजनाओं और मानव बस्तियों के कारण STR और कर्नाटक के जंगलों के बीच स्थित वन्यजीव गलियारे के लिए खतरा उत्पन्न हुआ है।
सह्याद्रि टाइगर रिजर्व (STR) देश के पांच टाइगर रिजर्वों में से एक है जहाँ एक भी बाघ नहीं हैं।
STR के अलावा अन्य चार टाइगर रिजर्व हैं: तेलंगाना में कवल, अरुणाचल प्रदेश में कमलांग, मिजोरम में डंपा और ओडिशा में सतकोसिया।
सह्याद्री टाइगर रिजर्व:
सह्याद्री टाइगर रिज़र्व पश्चिमी घाट में सबसे उत्तरी बाघ निवास स्थान है जिसे 5 जनवरी, 2010 को टाइगर रिजर्व घोषित किया गया।
STR के उत्तरी भाग का निर्माण कोयना वन्यजीव अभयारण्य (वर्ष 1985 में अधिसूचित) करता है, जबकि चंदोली राष्ट्रीय उद्यान (वर्ष 2004 में अधिसूचित), रिज़र्व के दक्षिणी भाग का निर्माण करता है।
सह्याद्री टाइगर रिजर्व के मध्य भाग में कोयाना नदी का "शिवसागर" जलाशय और वाराना नदी का "वसंत सागर" जलाशय स्थित है।
अवस्थिति:
STR महाराष्ट्र में पश्चिमी घाट की सह्याद्रि पर्वतमाला में स्थित है।
यह महाराष्ट्र के चार जिलों अर्थात सतारा, सांगली, कोल्हापुर और रत्नागिरी में फैला हुआ है।
क्षेत्रफल: 1165.57 वर्ग किमी।
इतिहास:
इस क्षेत्र का इतिहास मराठा साम्राज्य से जुड़ा हुआ है।
पहले मराठा सम्राट शिवाजी भोंसले द्वारा निर्मित या कब्जा किए गए कई किले यहां पाए जा सकते हैं।
एक पौराणिक मंदिर जहां से शिवाजी को दैवीय कृपा से भवानी तलवार प्राप्त हुई थी, इस क्षेत्र में स्थित कई खंडहरों में से एक को माना जाता है।
वनस्पति:
STR लगभग 1452 पेड़ों और 400 औषधीय पौधों का प्रतिनिधित्व करता है।
यहां पाई जाने वाली सबसे आम पुष्प प्रजातियां अंजनी, जम्भुल और पीसा हैं।
इस क्षेत्र में जीनस सेरोपेगिया का प्रतिनिधित्व लगभग 24 प्रजातियों द्वारा किया जाता है, जिनमें से लगभग 10 अभयारण्यों के लिए स्थानिक हैं।
जीव-जंतु:
STR में स्तनधारियों की 33 प्रजातियाँ, पक्षियों की 244 प्रजातियाँ, तितली की 120 प्रजातियाँ, उभयचरों की 22 प्रजातियाँ, सरीसृपों की 44 प्रजातियाँ, मीठे पानी की मछलियों की 50 प्रजातियाँ दर्ज की गई हैं।
मुख्य मांसाहारी बाघ, तेंदुआ, भेड़िया, सियार और जंगली कुत्ते के साथ कुछ छोटी बिल्लियाँ हैं।
बड़े शाकाहारी जानवरों में हिरण की कई प्रजातियाँ हैं जैसे बार्किंग डीयर, सांभर, और अन्य बड़े व छोटे जानवर जैसे भारतीय बाइसन, स्लॉथ बियर, माउस डीयर, जाईंट इंडियन स्क्वाईरल और मकाक आदि।
यह चार हॉर्नबिल प्रजातियों और कई अन्य स्थानिक पक्षियों का घर है।
इंडियन रिवर टर्न (एक पक्षी) के प्रजनन स्थल चंदोली राष्ट्रीय उद्यान और कोयना वन्यजीव अभयारण्य में पाए जाते हैं।
अन्य आकर्षण:
नागपंचमी उत्सव के लिए प्रसिद्ध बत्तीस शिराला संरक्षित क्षेत्र के बहुत निकट है।
संरक्षित क्षेत्र से सटे उदगिरि गांव में कालीमाता मंदिर भी प्राचिति देवी के लिए स्थानीय रूप से प्रसिद्ध है।
पनेरी गांव में एक और प्राचीन वाल्मिकी मंदिर और ढेबेवाड़ी शहर के पास नायकबा मंदिर भी तीर्थयात्रा के महत्वपूर्ण स्थान हैं।