प्रारंभिक परीक्षा - चुनावी बॉण्ड मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 - शासन व्यवस्था, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्त्वपूर्ण पक्ष |
चर्चा में क्यों
- हाल ही में, वित्त मंत्रालय द्वारा घोषणा की गयी कि 3 से 12 अप्रैल तक चुनावी बॉण्ड की बिक्री होगी।
- इन्हें भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की अधिकृत शाखाओं के माध्यम से ख़रीदा और भुनाया जा सकता है।
चुनावी बॉण्ड
- चुनावी बॉण्ड पंजीकृत राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए एक वित्तीय साधन है।
- इसका उद्देश्य राजनीतिक वित्तपोषण में पारदर्शिता को बढ़ाना है।
- चुनावी बॉण्ड योजना की घोषणा 2017-18 के बजट में की गयी थी।
- इसके लिए रिज़र्व बैंक एक्ट,1934 तथा जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में आवश्यक संसोधन किये गए थे।
- चुनावी बॉण्ड 1,000 रुपए, 10,000 रुपए, एक लाख रुपए, 10 लाख रुपए और एक करोड़ रुपए के गुणकों में उपलब्ध होते हैं।
- कोई भी भारतीय नागरिक या संस्था या कंपनी चुनावी बॉण्ड खरीद सकती है।
- एक व्यक्ति एकल रूप से या अन्य व्यक्तियों के साथ संयुक्त रूप से चुनावी बॉण्डों की खरीद कर सकता है।
- चुनावी बॉण्ड खरीदने वालों के नाम को गोपनीय रखा जाता है।
- बॉण्ड खरीदने वाले को अपनी सारी जानकारी (KYC) बैंक को देनी होती है।
- बॉण्ड खरीदने वाले को उसका जिक्र अपनी बैलेंस शीट में भी करना होता है।
- केवल वही राजनीतिक दल चुनावी बॉण्ड प्राप्त कर सकते है, जो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के तहत पंजीकृत हो तथा जिन्हें लोक सभा या राज्य विधान सभा के पिछले आम चुनाव में कम से कम एक प्रतिशत मत मिले हो।
- चुनावी बॉण्ड एक पात्र राजनीतिक दल द्वारा अधिकृत बैंक खाते के माध्यम से ही भुनाया जा सकता है।
- राजनीतिक दलों को चुनाव आयोग को भी बताना होगा, कि उन्हें कितना धन चुनावी बॉण्ड के माध्यम से मिला है।
- चुनावी बॉण्ड पर बैंक द्वारा कोई ब्याज नहीं दिया जाता है।
- चुनावी बॉण्ड जारी होने की तारीख से पंद्रह कैलेंडर दिनों तक के लिए वैध होते है।
- वैधता अवधि की समाप्ति के बाद चुनावी बॉण्ड जमा किए जाने पर किसी भी राजनीतिक दल को कोई भुगतान नहीं किया जाएगा।
चुनावी बॉण्ड योजना के लाभ
- चुनावी बॉण्ड केवल उन्ही व्यक्तियों द्वारा ख़रीदे जा सकते है जिन्होंने बैंक के KYC अनुपालन को पूरा किया हो, इससे चुनाव वित्तपोषण प्रणाली में काले धन के प्रवाह पर रोक लगती है।
- चुनावी बॉण्ड खरीदने वाले को इसको अपनी बैलेंस सीट में भी दिखाना होगा, जिससे पारदर्शिता और जवावदेही को बढ़ावा मिलेगा।
- चुनावी बॉण्ड खरीदने वाले के नाम का खुलासा नहीं किया जाता है, जिससे कोई भी दल किसी अन्य दल को चंदा देने वाले व्यक्ति के विरुद्ध प्रतिशोध पूर्ण कार्यवाही नहीं कर सकेगा।
चुनावी बॉण्ड से संबंधित चुनौतियाँ
- बॉण्ड सरकारी स्वामित्व वाले बैंक के माध्यम से बेचे जाते है, इसीलिए सत्ताधारी दल विपक्षी दलों को चंदा देने वाले व्यक्तियों की जानकारी हासिल कर सकता है और उनके विरुद्ध शत्रुतापूर्ण कार्यवाही कर सकता है।
- राजनीतिक दलों को चुनावी बॉण्ड के ज़रिये प्राप्त राशि का खुलासा करने से छूट प्राप्त है, जिससे चुनावी फंडिंग में अपारदर्शिता को बढ़ावा मिलता है।
- यह प्रावधान नागरिकों के जानने के अधिकार का भी उल्लंघन करता है, जो कि अनुच्छेद 19 के तहत एक मूल अधिकार है।