New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 20 Jan, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 5 Jan, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124 GS Foundation (P+M) - Delhi: 20 Jan, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 5 Jan, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124

समलैंगिक जोड़े तथा लिव-इन पार्टनर सरोगेसी कानूनों में शामिल नहीं

प्रारम्भिक परीक्षा - सरोगेसी अधिनियम, 2021
मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 – सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय

सन्दर्भ 

  • हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने सरोगेसी अधिनियम के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना जवाब दाखिल किया। 
  • केंद्र सरकार ने कहा कि लिव-इन कपल और समलैंगिक जोड़ों को सरोगेसी अधिनियम के दायरे में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। 

महत्वपूर्ण तथ्य 

  • केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राष्ट्रीय बोर्ड के विशेषज्ञ सदस्यों की राय के अनुसार सरोगेसी अधिनियम के तहत परिभाषित "युगल" की परिभाषा सही है और समलैंगिक जोड़ों तथा लिव-इन पार्टनर्स को इस कानून के तहत अनुमति नहीं दी जा सकती।
  • केंद्र सरकार के अनुसार, लिव इन पार्टनर्स या समलैंगिक जोड़े किसी कानून से बंधे नहीं होते हैं। ऐसे में इन मामलों में सरोगेसी के माध्यम से जन्म लेने वाले बच्चों का भविष्य और सुरक्षा हमेशा खतरे में रहेगी।

सरोगेसी अधिनियम, 2021

  • यह अधिनियम सरोगेसी को एक प्रथा के रूप में परिभाषित करता है, जिसमें एक महिला एक इच्छुक जोड़े के लिए एक बच्चे को जन्म देती है, जिसका उद्देश्य जन्म के बाद बच्चे को इच्छुक जोड़े को सौंपना होता है।
  • यह अधिनियम व्यावसायिक सरोगेसी पर प्रतिबंध लगाता है, लेकिन परोपकारी सरोगेसी की अनुमति प्रदान करता है।
    • परोपकारी सरोगेसी में सरोगेट मां को चिकित्सा व्यय और बीमा के अतिरिक्त कोई मौद्रिक मुआवजा प्राप्त नहीं होता है।
  • यह अधिनियम शुक्राणु, ओसाइट्स और भ्रूण के लिए क्रायो-संरक्षण प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने का भी प्रयास करता है। 
  • इसके अंतर्गत एक केंद्रीय डेटाबेस बनाए रखने और अपने कामकाज में राष्ट्रीय बोर्ड की सहायता करने के लिए एक राष्ट्रीय रजिस्ट्री और पंजीकरण प्राधिकरण का गठन करने का प्रावधान किया गया है।
  • अधिनियम के अंतर्गत केंद्र और राज्य सरकारें एक या अधिक उपयुक्त प्राधिकरणों की नियुक्ति करेंगी, जिसके कार्यों में शामिल हैं -
  • सरोगेसी क्लीनिकों का पंजीकरण करना, पंजीकरण निलंबित या रद्द करना
  • सरोगेसी क्लीनिकों के लिए मानक लागू करना
  • केंद्र और राज्य सरकारें क्रमशः राष्ट्रीय सरोगेसी बोर्ड (NSB) और राज्य सरोगेसी बोर्ड (SSB) का भी गठन करेंगी।

अधिनियम के अंतर्गत पात्रता की शर्तें

  • कोई भी दंपति जिसमें साबित बांझपन हो।
  • दंपति भारतीय नागरिक होने चाहिए, जिनकी शादी को कम से कम पांच वर्ष हो चुके हों।
  • महिला की आयु 23 से 50 वर्ष के बीच और पुरुष की आयु 26 से 55 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
  • उनके कोई जीवित बच्चे नहीं हो(जैविक, दत्तक या सरोगेट)
    • इसमें ऐसा 'बच्चा जो मानसिक या शारीरिक रूप से विकलांग है या जीवन के लिए खतरा विकार या घातक बीमारी से पीड़ित है' शामिल नहीं होगा।
  • सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 के तहत, एक विवाहित जोड़ा केवल चिकित्सा आधार पर सरोगेसी का विकल्प चुन सकता है।
  • यह अधिनियम एकल पुरुषों को सरोगेसी की अनुमति नहीं देता है।
  • दंपति का केवल करीबी रिश्तेदार ही सरोगेट मदर हो सकता है, जो मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट प्रदान करने में सक्षम हो। 
    • सरोगेट मदर की शादी हो चुकी हो, उसका खुद का एक बच्चा हो, और उसकी उम्र 25 से 35 साल के बीच होनी चाहिए तथा वह केवल एक बार ही सरोगेट मदर बन सकती है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR