चर्चा में क्यों?
हाल ही में, अंडमान एवं निकोबार कमांड के कमांडर-इन-चीफ़ द्वारा राष्ट्र को ‘संकल्प स्मारक’ समर्पित किया गया।
प्रमुख बिंदु
- यह स्मारक स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान नेताजी सुभाष चंद्र बोस के अंडमान द्वीप पर आगमन की ऐतिहासिक घटना को रेखांकित करता है।
- गौरतलब है कि 16 जनवरी, 1943 को नेताजी कोलकाता से ब्रिटिश निगरानी से बच निकले तथा लगभग 3 वर्ष बाद भारतीय भूमि पर वापस पहुँचे।
- 30 दिसंबर, 1943 को नेताजी ने पोर्ट-ब्लेयर पहुँचकर पहली बार भारतीय भूमि पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया।
- आजाद हिंद फौज की अंतरिम सरकार के प्रमुख और भारतीय राष्ट्रीय सेना (Indian National Army- INA) के सर्वोच्च कमांडर के रूप में नेताजी ने इस द्वीप की यात्रा कर अपने उस वादे की प्रतीकात्मक पूर्ति को चिह्नित किया कि आई.एन.ए. की सेना वर्ष 1943 के अंत तक भारतीय भूमि पर खड़ी होगी।
- नेताजी की इस ऐतिहासिक यात्रा ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को ‘भारत का पहला मुक्त क्षेत्र’ घोषित किया।