चर्चा में क्यों
हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुणे जिले के देहू में संत तुकाराम शिला मंदिर का उद्घाटन किया।
शिला मंदिर
- यह मंदिर एक चट्टान को समर्पित है, जिस पर संत तुकाराम ने 13 दिनों तक ध्यान किया था। इस दौरान इन्होंने अपने द्वारा लिखे गए अभंगों की प्रामाणिकता के बारे में चुनौती दी थी।
- विदित है कि संत तुकाराम ने अपनी कृति को इंद्रायणी नदी में विसर्जित कर दिया था। 13 दिनों के बाद उनकी रचना चमत्कारिक रूप से फिर से प्रकट हुई,जिससे उनकी प्रामाणिकता साबित हुई।
- जिस पवित्र चट्टान पर संत तुकाराम 13 दिनों तक बैठे थे, वह वारकरी संप्रदाय के लिये एक तीर्थस्थल है।
संत तुकाराम
- ये 17 वीं सदी के महान भक्ति संत एवं कवि थे। इन्होंने महाराष्ट्र में भक्ति आंदोलन की नींव रखी।
- ये भगवान विट्ठल अर्थात विष्णु के परम भक्त थे। इन्होंने स्थानीय भाषा में भगवान विट्ठल को समर्पित कई भक्ति गीतों की रचना की, जिसे अभंग के नाम से जाना जाता है।
- इन्होंने जातिविहीन समाज के संबंध में अपने संदेश दिये तथा धार्मिक अनुष्ठानों का विरोध किया। इन्हें वारी तीर्थयात्रा शुरू करने का श्रेय दिया जाता है।