(प्रारंभिक परीक्षा : पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी) |
कनाडा के रॉकी पर्वतों में वैज्ञानिकों ने सैटिरियम क्यूरियोसोलस (Satyrium curiosolus) नामक तितली की एक नई प्रजाति की पहचान की है जो लगभग 40,000 वर्षों से अपने निकटतम संबंधियों से पूरी तरह से अलग-थलग रही है।

सैटिरियम क्यूरियोसोलस के बारे में
- पहचान एवं नामकरण: यह तितली पहले तक सैटिरियम सेमिलुना (Satyrium semiluna) के रूप में पहचानी जाती थी किंतु जीनोमिक अध्ययन और पारिस्थितिक विश्लेषण में इसे यह एक स्वतंत्र व विशिष्ट प्रजाति के रूप में पहचाना गया।
- इस प्रजाति को सैटिरियम क्यूरियोसोलस (Satyrium curiosolus) नाम दिया गया।
- निवास: यह तितली कनाडा के रॉकी पर्वत क्षेत्र में स्थित ब्लैकिस्टन फैन नामक अत्यंत सीमित एवं विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में पाई जाती है जो वाटर्टन लेक्स नेशनल पार्क का हिस्सा है।
- आनुवंशिक विविधता: पूर्ण जीनोम अनुक्रमण (Whole Genome Sequencing) से पता चला है कि इस प्रजाति में आनुवंशिक विविधता बहुत कम है।
- यह प्रजाति हजारों वर्षों से पृथक रूप से विकसित हो रही है (संभवतः 40,000 वर्षों से)।
- लंबे समय तक अंतःप्रजनन (Inbreeding) से यह एक संकुचित किंतु स्थिर आबादी बन गई है।
प्रमुख विशेषताएँ
- यह तितली अपने लार्वा के विकास के लिए विशेष रूप से सिल्वर ल्यूपिन (Lupinus argenteus) पौधे पर निर्भर है जिसे अन्य संबंधित प्रजातियों में नहीं देखा गया।
- इसके लार्वा का एक विशेष चींटी प्रजाति Lasius ponderosae के साथ पारस्परिक संबंध (Mutualism) होता है। जहाँ लार्वा चींटियों को मीठा स्राव प्रदान करते हैं और बदले में चींटियाँ उन्हें परजीवियों व शिकारी से सुरक्षा प्रदान करती हैं।
संरक्षण संबंधी चिंताएँ
- इस तितली की अत्यधिक कम आनुवंशिक विविधता और सीमित आवास इसे जलवायु परिवर्तन व अन्य पर्यावरणीय परिवर्तनों के प्रति अत्यंत संवेदनशील बनाते है
- पारंपरिक उपाय, जैसे- जननिक पुनर्स्थापन (Genetic Rescue) इसके लिए उपयुक्त नहीं है क्योंकि निकट प्रजातियों से प्रजनन असंगतता के कारण आउटब्रीडिंग डिप्रेशन का खतरा है।
खोज के महत्व
- यह अध्ययन छिपी हुई विविधता को सामने लाने के लिए जीनोमिक एवं पारिस्थितिकी आँकड़ों को साथ जोड़ने के महत्व को भी उजागर करता है।
- आधुनिक जीनोमिक तकनीकों का उपयोग पारंपरिक वर्गीकरण से कहीं अधिक प्रभावी हो सकता है। यह न केवल जैव-विविधता की बेहतर समझ प्रदान कर सकता है बल्कि यह संरक्षण के लिए आवश्यक वैज्ञानिक आधार भी प्रदान करता है।
संभावित संरक्षण उपाय
वैज्ञानिकों के अनुसार इसकी विशिष्टता को बनाए रखने के लिए इसके आवास का संरक्षण और दीर्घकालिक निगरानी आवश्यक है जिसमें निम्न उपाय शामिल हैं-
- इस तितली की नई आबादियाँ दूसरी सुरक्षित जगहों पर बसाई जा सकती हैं
- इसके जीवन चक्र, जैसे- पौधों व चींटियों से संबंध, को समझकर लंबे समय की निगरानी जरूरी है।
- इसकी पारिस्थितिक भूमिका और सह-निर्भर प्रजातियों (पौधों, चींटियों) का विश्लेषण करने की आवश्यकता है।
- जलोढ़ पंखे जैसे विशिष्ट पर्यावासों की सुरक्षा।