चर्चा में क्यों
महाराष्ट्र के राज्यपाल द्वारा की गई एक टिप्पणी ने ज्योतिराव फुले एवं सावित्रीबाई फुले को चर्चा में ला दिया है।
फुले दंपत्ति : परिचय
- ज्योतिराव गोविंदराव फुले का जन्म 11 अप्रैल, 1827 को महाराष्ट्र के सतारा में हुआ था। सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी, 1831 को महाराष्ट्र के नैगांव में हुआ था।
- महात्मा ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले को सामाजिक एवं शैक्षिक इतिहास में एक असाधारण व्यक्तित्व माना जाता है। उन्होंने महिला शिक्षा एवं महिला सशक्तिकरण के साथ-साथ जाति एवं लिंग आधारित भेदभाव को समाप्त करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कार्य किया।
- इन दोनों का विवाह अत्यंत कम आयु में हो गया था। ज्योतिराव और सावित्रीबाई फुले की कोई जैविक संतान नहीं थी। उन्होंने एक विधवा के बच्चे को गोद लिया, जिनका नाम यशवंतराव था।
सामाजिक योगदान
- वर्ष 1848 में इन दोनों ने बालिकाओं, शूद्रों और अति-शूद्रों के लिये पुणे में एक स्कूल प्रारंभ किया जो बालिकाओं के लिये पहला स्वदेशी स्कूल था।
- वर्ष 1853 में ज्योतिराव एवं सावित्रीबाई ने गर्भवती विधवाओं के लिये एक देखभाल केंद्र और बालहत्या प्रतिबंधक गृह (शिशु हत्या की रोकथाम के लिये) का निर्माण भी किया।
- इनके द्वारा 24 सितंबर, 1873 को सत्यशोधक समाज की स्थापना की गई, जिसका उद्देश्य प्रचलित परंपराओं के खिलाफ सामाजिक परिवर्तनों की वकालत करना था। इन्होंने खर्चीले विवाह एवं बाल विवाह का विरोध किया तथा अंतरजातीय विवाह एवं विधवा पुनर्विवाह को बढ़ावा देने का भी प्रयास किया। महात्मा फुले ने अपना जीवन महिलाओं, वंचितों और शोषित किसानों के उत्थान के लिये समर्पित किया था।
- वर्ष 1974 में धनंजय कीर ने 'महात्मा ज्योतिबा फुले : हमारी सामाजिक क्रांति के पिता' शीर्षक से ज्योतिराव फुले की जीवनी लिखी थी। उल्लेखनीय है कि ‘सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय, पुणे’ में इनकी प्रतिमा का अनावरण किया गया है।