भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी अनुपात में गिरावट पर एक रिपोर्ट जारी की है।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
- ग्रामीण गरीबी में कमी : नवीनतम उपभोग व्यय सर्वेक्षण के परिणामों के अनुसार, ग्रामीण गरीबी (Rural Poverty) वित्त वर्ष 2023-24 में घटकर 4.86% रह गई है जो वित्त वर्ष 2022-23 में 7.2% और वित्त वर्ष 2011-12 में 25.7% थी।
- शहरी गरीबी में कमी : शहरी गरीबी (Urban Poverty) वित्त वर्ष 2023-24 में घटकर 4.09% रह गई है जो वित्त वर्ष 2022-23 में 4.6% और वित्त वर्ष 2011-12 में 13.7% थी।
- कुल गरीबी में कमी : रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 में ग्रामीण एवं शहरी दोनों क्षेत्रों में गरीबी का कुल स्तर 4-4.5% रह गया है।
- एम.पी.सी.ई. में अंतर : वित्त वर्ष 2023-24 में ग्रामीण एवं शहरी मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय (MPCE) के बीच का अंतर 69.7% है जो वित्त वर्ष 2009-10 में 88.2% के स्तर से काफी कम है।
- इसका प्रमुख कारण सरकार द्वारा प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण, ग्रामीण बुनियादी ढांचे का निर्माण और ग्रामीण आजीविका में उल्लेखनीय सुधार के लिए उठाए गए कदम हैं।
- गरीबी रेखा के अनुमान में परिवर्तन : तेंदुलकर समिति के अनुसार, वित्त वर्ष 2011-12 में ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी रेखा का अनुमान 816 रुपए एवं शहरी क्षेत्रों में 1,000 रुपए था जिसके वित्त वर्ष 2023-24 में परिवर्तित होकर ग्रामीण क्षेत्रों में 1,632 रुपए तथा शहरी क्षेत्रों में 1,944 रुपए होने की संभावना है।
- उपभोग असमानता में गिरावट : ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में उपभोग असमानता वित्त वर्ष 2022-23 में 0.266 एवं 0.314 से घटकर वित्त वर्ष 2023-24 में क्रमशः 0.237 व 0.284 हो गई है।
- ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न वर्गों में ऊर्ध्वाधर उपभोग असमानता से पता चलता है कि यह ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 0.365 से घटकर 0.306 हो गई है (ग्रामीण आय अधिक न्यायसंगत वितरण की ओर अग्रसर है) जबकि शहरी बाजारों के लिए यह वित्त वर्ष 2023-24 में 0.457 से घटकर 0.365 हो गई है।
- खाद्य मुद्रास्फीति का प्रभाव : खाद्य मुद्रास्फीति उच्च आय वाले राज्यों की तुलना में निम्न आय वाले राज्यों में उपभोग मांग को अधिक प्रभावित करती है। इससे यह पता चलता है कि उच्च आय वाले राज्यों की तुलना में निम्न आय वाले राज्यों में ग्रामीण लोग तुलनात्मक रूप से ‘अधिक जोखिम प्रतिकूल’ (More Risk-averse) होते हैं अर्थात जोखिम से बचने के प्रति अधिक अनुकूलित होते हैं।
- उच्च आय वाले अधिकांश राज्यों की बचत दर राष्ट्रीय औसत (31%) से अधिक है।
गरीबी में कमी के कारण
- रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण एवं शहरी आबादी के बीच क्षैतिज आय अंतर और ग्रामीण आय वर्गों के बीच ऊर्ध्वाधर आय अंतर के घटने का प्रमुख कारण उन्नत भौतिक अवसंरचना है जो बेहतर ग्रामीण गतिशीलता को सक्षम बनाता है।
- ग्रामीण-शहरी अंतराल में कमी का एक अन्य कारण वित्त वर्ष 2011-12 की तुलना में शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में कुल व्यय में खाद्यान्न की हिस्सेदारी में कमी आना है।