संदर्भ
हाल ही में, आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने अनुसूचित जाति के छात्रों के लिये पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना में नए सुधारात्मक बदलावों को मंज़ूरी दी है। नए बदलावों के अनुसार केंद्र और राज्यों के बीच 60-40 का फंडिंग पैटर्न निर्धारित किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है तथा इसे राज्य सरकारों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासन के द्वारा कार्यान्वित किया जाता है।
- इस योजना के तहत, सरकार मैट्रिक और उससे ऊपर की कक्षाओं में अध्ययनरत अनुसूचित जाति के छात्रों को उच्च शिक्षा के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
- इसका लाभ वे छात्र उठा सकते हैं, जिनकी पारिवारिक सालाना आय 5 लाख रुपये से कम है।
नए बदलाव
- नए बदलावों के तहत, सभी राज्य छात्रवृत्ति के लिये अर्ह्य छात्रों की पात्रता एवं उनकी जाति का सत्यापन करेंगे और छात्रों के आधार एवं बैंक खातों के विवरण एकत्र करेंगे।
- योजना के तहत छात्रों को वित्तीय सहायता, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के द्वारा प्रदान की जाएगी और इसके लिये ‘आधार सक्षम भुगतान प्रणाली’ का उपयोग किया जा सकता है।
- वर्ष 2021-22 के लिये प्रस्तावित इस योजना के केंद्रीय शेयर (60%) को डी.बी.टी. के द्वारा छात्रों के बैंक खातों में निर्धारित समय सीमा के अन्दर हस्तांतरित कर दिया जाएगा।
- प्रस्तावित नए परिवर्तनों का लक्ष्य अगले पाँच वर्षों में चार करोड़ छात्रों के लिये उच्च शिक्षा के द्वार खोलना है।
- ध्यातव्य है कि अभी तक चल रहे "प्रतिबद्ध देयता" के फॉर्मूले से अलग इस नए नए फंडिंग पैटर्न से योजना में केंद्र सरकार की भागीदारी बढ़ेगी।
- यहाँ यह बात ध्यान ध्यान रखने योग्य है कि संविधान में निहित समानता, गणितीय समानता नहीं है और इसका मतलब यह नहीं है कि सभी नागरिकों को बिना किसी भेद के समान माना जाएगा। इसके लिये, संविधान में दो प्रमुख पहलुओं को रेखांकित किया गया है, जो समानता के कानून का सार बनाते हैं:
1) समान समूह के बीच कोई भेदभाव नहीं, और
2) असमान समूहों को बराबरी पर लाने के लिये सकारात्मक कार्रवाई