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भारत में विज्ञान की दशा- दिशा

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सामयिक घटनाएँ, मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3 : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास)

संदर्भ

  • हाल ही में, 28 फरवरी को भारत में विज्ञान दिवस मनाया गया। वर्ष 1928 में इसी दिन प्रसिद्ध वैज्ञानिक सी.वी. रमन ने कोलकाता स्थित ‘इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ़ साइंस’ (Indian Association for the Cultivation of Science) में ऐतिहासिक ‘रमन प्रभाव’ की खोज की थी।
  • आज़ादी के बाद से विज्ञान एवं नवाचार के क्षेत्र में भारत ने बहुत सी उपलब्धियाँ हासिल की; किंतु अभी भी विज्ञान जगत में भारत को उचित स्थान प्राप्त नहीं हो सका है। 

क्या हैं नवीन नीतिगत संभावनाएँ?

  • हालकी दो प्रमुख नीतियाँ, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP) और राष्ट्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार मसौदा नीति 2020 (Draft STP), सीमित दायरा होने के बावजूद विज्ञान के क्षेत्र के लिये नई दिशाओं को रेखांकित करती हैं।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भाषाओं के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया है। एस.एन.बोस और अन्य वैज्ञानिक 1940 के दशक से ही विज्ञान शिक्षण के लिये मातृभाषा के प्रयोग की वकालत कर रहे थे। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिस पर गंभीरता से ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है। 
  • इसी तरह, अनुसंधान एवं विकास गति विधियों को प्रोत्साहित करने और उनके वित्तपोषण के लिये ‘राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन’ (National Research Foundation) की स्थापना किये जाने की भी आवश्यकता है,जिसमें विश्वविद्यालयों की अधिकाधिक भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिये।
  • मसौदा नीति में नीतिगत अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिये एक बेहतर प्रणाली विकसित करने की बात की गई है।
  • मसौदा नीति में विज्ञान और ‘प्रौद्योगिकी-सक्षम’ उद्यमशीलता को बढ़ावा देना और ज़मीनी स्तर पर नवाचार एवं पारंपरिक ज्ञान प्रणाली को आगे बढ़ाने से जुड़े प्रस्ताव भी हैं।

मसौदा नीति के अन्यमहत्त्वपूर्णक्षेत्र :

  • अनुसंधान के क्षेत्र में कम प्रतिनिधित्व वाले समूहों को शामिल करना।
  • स्वदेशी ज्ञान प्रणालियों को सहयोग प्रदान करना।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता=युक्त नवाचार पर ज़ोर।
  • सहयोग के लिये प्रवासी भारतीय वैज्ञानिकों तक पहुँच का विस्तार।
  • सहयोगी देशों के साथ विज्ञान कूटनीति का प्रसार।
  • अनुसंधान को गति देने के लियेएक रणनीतिक प्रौद्योगिकी विकास कोष की स्थापना।

क्या है भारत में वैज्ञानिक शोध की दिशा?

  • दिसंबर 2019 में, अमेरिका के ‘नेशनल साइंस फाउंडेशन’ द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2018 में 135,788 लेखों के साथ भारत,विज्ञान एवं अभियांत्रिकी क्षेत्र में शोध लेखों का तीसरा सबसे बड़ा प्रकाश कथा।
  • वर्ष 2008 से शोध लेखों में 73% की औसत वार्षिक वृद्धि दर के कारण भारत ने यह उपलब्धि हासिल की है। ध्यातव्य है कि चीन में यह वृद्धि दर 7.81% थी।
  • यद्यपि संख्या के लिहाज़ से देखा जाए तो चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका में छपे लेखों की संख्या, भारत के मुकाबले 2 से 3 गुना ज़्यादा थी। साथ ही, विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि भारत के शोध-पत्र अधिक प्रभावशाली नहीं थे।
  • एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2016 के बाद से सबसे अधिक उद्धृत प्रकाशनों (अत्यधिक उद्धृत लेख - Highly Cited Articles) के शीर्ष 1% में, भारत का इंडेक्स स्कोर 7 था जो अमेरिका, चीन और यूरोपीय संघ की तुलना में कम है। सामन्यतः 1 या उससे अधिक का इंडेक्स स्कोर अच्छा माना जाता है।

पेटेंट क्षेत्र में भारत की उपस्थिति                                              

  • विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (World Intellectual Property Organization -WIPO) की पेटेंट सहयोग संधि (Patent Cooperation Treaty-PCT) अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेटेंट आवेदन के लिये प्राथमिक चैनल है।
  • वर्ष 2019 की विश्व बौद्धिक संपदा संगठन की रिपोर्ट के अनुसार भारत से कुल2,053 पेटेंट्स के लिये आवेदन किया गया था, जबकि चीन ने 58,990 तथा अमेरिका ने 57,840 पेटेंट्स के लिये आवेदन किया था, जो भारत की तुलना में बहुत ज़्यादा है।
  • ध्यातव्य है कि भारत सरकार ने वर्ष 2016 में ‘गतिशील, जीवंत और संतुलित बौद्धिक संपदा अधिकार प्रणाली को प्रोत्साहित करने के लिये’ राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति को लागू किया था। मानव पूँजी (Human Capital) का विकास इस नीति का प्रमुख उद्देश्य है।

अब तक की विज्ञान नीतियों की दिशा

  • आज़ादी के बाद से अब तक चार विज्ञान नीतियाँ लाई जा चुकी हैं,पाँचवीं विज्ञान नीति का मसौदा हाल ही में प्रस्तुत किया गया।
  • प्रथम विज्ञान नीति वर्ष 1958 में लाइ गई थी, जिसके बाद कई शोध संस्थानों और राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं की स्थापना की गई।
  • दूसरी विज्ञान नीति (प्रौद्योगिकी नीति वक्तव्य, 1983) में तकनीकी आत्मनिर्भरता पर ध्यान दिया गया और समाज के सभी वर्गों को लाभ पहुँचाने के लिये प्रौद्योगिकी के उपयोग की बात की गई थी।
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति 2003, वर्ष 1991 के आर्थिक उदारीकरण के बाद की पहली विज्ञान नीति थी। इस नीति का उद्देश्य अनुसंधान और विकास से जुड़े क्षेत्रों में निवेश को बढ़ाकर जी.डी.पी. के 7% स्तर तक लाना था।
  • अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिये वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड (Scientific and Engineering Research Board -SERB)की स्थापना भी की गई थी।
  • वर्ष 2013 में, भारत की विज्ञान नीति में नवाचार को शामिल किया गया और इसे ‘विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति’ कहा गया। इस नीति का उद्देश्य भारत को विज्ञान के क्षेत्र में शीर्ष पाँच देशों में शामिल करना था, जिसे भारत ने हासिल भी किया।

क्या लक्ष्य है 5वीं विज्ञान नीति का?

  • विज्ञान, तकनीक और नवाचार नीति 2020 (STIP 2020) के मसौदे में ‘पूर्णकालिक समकक्ष (full-time equivalent- FTE) शोधकर्ताओं की संख्या, ‘अनुसंधान एवं विकास पर सकल घरेलू व्यय’ (Gross Domestic Expenditure on R&D - GERD) और इस व्यय में निजी क्षेत्र के योदान को हर 5 वर्ष में दोगुना करना लक्षित किया गया है।
  • ध्यातव्य है कि वर्तमान में भारत में अनुसंधान एवं विकास पर ‘सकल घरेलू व्यय’ जी.डी.पी. का 0.6% है। अमेरिका और चीन की तुलना में यह निवेश बहुत कम है, जहाँ यह 2% से अधिक है। इज़राइल में यह व्यय जी.डी.पी. के 4% से अधिक है।
  • नई नीति का उद्देश्य ‘अगले दशक में भारत को शीर्ष तीन वैज्ञानिक महाशक्तियों में स्थान दिलाना, है।

आगे की राह

  • भारत के परिप्रेक्ष्य में यह बात सकारात्मक लगती है कि विज्ञान दिवस एक विशिष्ट वैज्ञानिक खोज की स्मृति में मनाया जाता है, न कि किसी खोजकर्ता के जन्मदिन पर। अतः हमें इसके मूल उद्देश्य पर अधिक ध्यान देना चाहिये।
  • भारत में धर्म निरपेक्ष अनुसंधानों और स्वतंत्र विचारों का एक लंबा इतिहास रहा है। आर्यभट्ट, वराहमिहिर और भास्कराचार्य से लेकर आधुनिक भारत के वैज्ञानिकों तक, भारत ने विज्ञान जगत को मूर्त तथा अमूर्त रूप से बहुत समृद्ध किया है। अनुसंधान एवं नवोन्मेष की इस राह पर भारत को अपनी धीमी होती गति बढ़ानी होगी।
  • जानकी अम्मल (वनस्पतिशास्त्री), असीमा चटर्जी (रसायनज्ञ), बिभा चौधुरी (भौतिक विज्ञानी) और गगनदीप कांग (चिकित्सा वैज्ञानिक) जैसी विदुषी वैज्ञानिकों ने भारत में महिलाओं के विज्ञान क्षेत्र में योगदान को लगातार संतुलन प्रदान किया है, सरकार को अधिकाधिक महिलाओं को इस क्षेत्र में प्रवेश करने के लिये प्रोत्साहित करते रहना चाहिये।
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