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वैज्ञानिकों द्वारा गले में नए अंग की खोज

(प्रारंभिक परीक्षा- सामान्य विज्ञान)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग, बायो-टैक्नोलॉजी)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, नीदरलैंड कैंसर संस्थान के शोधकर्ताओं ने लार ग्रंथियों (Salivary Gland) का एक नया स्थान खोजा है।

शोध परिणाम/निष्कर्ष

  • सिर और गर्दन पर विकिरण के दुष्प्रभावों की जांच करने के दौरान शोधकर्ताओं को दो अनपेक्षित क्षेत्र मिले, जो नैज़ोफैरिंक्स (Nasopharynx) के पीछे उद्घाटित हो रहे थे। ये क्षेत्र पहले से ज्ञात प्रमुख लार ग्रंथियों के समान ही थे।
  • नैज़ोफैरिंक्स नाक के पीछे, गले का ऊपरी भाग होता है। यह ग्रसनी का एक हिस्सा है।
  • मानव शरीर में लार ग्रंथि प्रणाली में तीन प्रमुख युग्मित ग्रंथियाँ और 1,000 से अधिक छोटी/गौण ग्रंथियाँ उपस्थित होती हैं, जो पूरे म्यूकोसा (Mucosa) में फैली रहती हैं।
  • ये ग्रंथियाँ निगलने, पाचन, स्वाद, चर्वण और दंत स्वच्छता के लिये आवश्यक लार का स्त्रावण करती हैं।
  • शोध के दौरान नैज़ोफैरिंक्स के पीछे एक द्विपक्षीय संरचना मिली, जो लार ग्रंथियों की विशेषताओं से युक्त थीं। इस ग्रंथि के लिये ‘ट्यूबरियल ग्रंथि’ (Tubarial Glands) नाम प्रस्तावित किया गया है। शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि ये ग्रंथियाँ मुख्य लार ग्रंथियों की चौथी जोड़ी के रूप में मान्य होंगी।
  • प्रस्तावित नाम इसके शारीरिक स्थान पर आधारित है। अन्य तीन ग्रंथियों को पेरोटिड, सबमैंडिबुलर और सबलिंगुअल कहा जाता है।
  • हालाँकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि इन ग्रंथियों को गौण ग्रंथि या प्रमुख ग्रंथि या एक अलग अंग या अंग प्रणाली के एक नए हिस्से के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा।
  • इसके निष्कर्षों को ‘रेडियोथेरेपी और ऑन्कोलॉजी जर्नल’ में प्रकाशित किया गया है।

शोध विधि

  • शोधकर्ताओं के अनुसार ये ग्रंथियाँ कपाल के आधार (Base of the Skull) के अंतर्गत एक दुरूह पहुँच वाले शारीरिक स्थान पर अवस्थित हैं। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसे केवल नासिका एंडोस्कोपी का उपयोग करके ही देखा जा सकता है।
  • सी.टी. स्कैन, एम.आर.आई. और अल्ट्रासाउंड जैसी पारम्परिक इमेजिंग तकनीकों द्वारा इन ग्रंथियों को नहीं देखा जा सकता है।
  • इस क्षेत्र का स्कैन करने हेतु PSMA PET / CT स्कैन नामक एक नए प्रकार के स्कैन का उपयोग किया गया था, जो इन ग्रंथियों का पता लगाने के लिये आवश्यक उच्च संवेदनशीलता और विशिष्टता प्रदान करने में सक्षम था।

इन ग्रंथियों का कार्यscientists

  • शोधकर्ताओं को मानना है कि इन ग्रंथियों का शारीरिक कार्य नैज़ोफैरिंक्स और ऑरोफैरिंक्स को नम और चिकना करना है।
  • हालाँकि, अभी इसकी पुष्टि किये जाने की आवश्यकता है।

इस खोज का महत्त्व

  • शोधकर्ता इस खोज को सिर व गर्दन के कैंसर तथा जिह्वा/जीभ व गले के ट्यूमर वाले रोगियों के लिये अच्छा संकेत मान रहे हैं क्योंकि उपचार के दौरान किसी भी जटिलता से बचने के लिये रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट (विकिरण से कैंसर की चिकित्सा करने वाले) इस क्षेत्र को बायपास करने में सक्षम होंगे। अर्थात् अब शरीर के इस भाग को विकिरण के दुष्प्रभावों से बचाया जा सकेगा, जो बोलने और निगलने जैसी जटिलताएँ उत्पन्न कर सकते हैं।
  • प्रमुख लार ग्रंथियों को विकिरण चिकित्सा करते समय जोखिम से युक्त अंगों के (Organs-at-Risk) रूप में जाना जाता है और उनको रक्षित करने की आवश्यकता होती है।
  • अब खोजी गई इन नई ग्रंथियों को भी रेडिएशन थेरेपी के समय प्रमुख लार ग्रंथियों की ही तरह सुरक्षित रखा जा सकता है।

आगे की राह

शोधकर्ताओं को अब यह पता लगाना है कि इन नई खोजी गई ग्रंथियों को विकिरण देते समय कैसे बचाया जाए ताकि रोगियों पर दुष्प्रभाव कम हो और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर किया जा सके।

प्री फैक्ट :

  • नीदरलैंड कैंसर संस्थान के शोधकर्ताओं ने लार ग्रंथियों (Salivary Gland) का एक नया स्थान खोजा है, जिसे रेडियोथेरेपी और ऑन्कोलॉजी जर्नल’ में प्रकाशित किया गया है।
  • मानव शरीर में लार ग्रंथि प्रणाली में तीन प्रमुख युग्मित ग्रंथियाँ और 1,000 से अधिक छोटी/गौण ग्रंथियाँ उपस्थित होती हैं। ये ग्रंथियाँ निगलने, पाचन, स्वाद, चर्वण और दंत स्वच्छता के लिये आवश्यक लार का स्त्रावण करती हैं।
  • हाल ही में शोध के दौरान नैज़ोफैरिंक्स के पीछे एक द्विपक्षीय संरचना मिली, जो लार ग्रंथियों की विशेषताओं से युक्त थीं। इस ग्रंथि के लिये ‘ट्यूबरियल ग्रंथि’ (Tubarial Glands) नाम प्रस्तावित किया गया है। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसे केवल नासिका एंडोस्कोपी का उपयोग करके देखा जा सकता है।
  • माना जा रहा है कि इन नई ‘ट्यूबरियल ग्रंथियों’ का शारीरिक कार्य नैज़ोफैरिंक्स और ऑरोफैरिंक्स को नम और चिकना करना है।
  • शोधकर्ता ट्यूबरियल ग्रंथियों की खोज को सिर व गर्दन के कैंसर तथा जिह्वा व गले के ट्यूमर वाले रोगियों के लिये अच्छा संकेत मान रहे हैं।
  • विकिरण से कैंसर की चिकित्सा करने वालों को रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट कहा जाता है।
  • प्रमुख लार ग्रंथियों को विकिरण चिकित्सा करते समय जोखिम से युक्त अंगों के (Organs-at-Risk) रूप में माना जाता है और उनको रक्षित करने की आवश्यकता होती है।
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