चर्चा में क्यों?
- भारत ने 4 जुलाई को आभासी प्रारूप में SCO शिखर सम्मेलन की मेजबानी किया।
- यह SCO के राष्ट्राध्यक्षों की 23वीं बैठक थी, इसमें मोदी जी समेत अन्य राष्ट्राध्यक्षों ने वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए चर्चा किया।
शंघाई सहयोग संगठन (SCO)
- शंघाई सहयोग संगठन (SCO) एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतरराष्ट्रीय संगठन है।
- इसका गठन जून 2001 में शंघाई (चीन) में किया गया था।
- SCO के गठन से पहले शंघाई फाइव नाम का एक संगठन था। कज़ाखस्तान, चीन, किर्गिज़स्तान, रूस और ताजिकिस्तान शंघाई फाइव के सदस्य थे।
- वर्ष 2001 में उज़्बेकिस्तान के शामिल होने के बाद शंघाई फाइव का नाम बदलकर शंघाई सहयोग संगठन कर दिया गया।
- 2017 में भारत तथा पाकिस्तान को इस संगठन का सदस्य बनाया गया।
- दुशांबे में आयोजित 2021 की शिखर वार्ता में ईरान को पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल किया गया।
- रूसी तथा मंडारिन SCO की आधिकारिक भाषाएँ हैं।
- यह शंघाई स्पिरिट नामक दर्शन से संचालित होता है, जो कि सद्भाव, सर्वसम्मति से काम करने, दूसरों की संस्कृति का सम्मान करने तथा दूसरों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप ना करने एवं गुटनिरपेक्षता पर बल देता है।
- SCO की अध्यक्षता सदस्य देशों द्वारा रोटेशन के आधार पर एक-एक वर्ष के लिए की जाती है।
- यह संगठन दुनिया की लगभग 42% आबादी, 22% भूमि क्षेत्र और 20% सकल घरेलू उत्पाद का प्रतिनिधित्व करता है।
शंघाई सहयोग संगठन की संरचना
- शंघाई सहयोग संगठन के दो स्थायी निकाय हैं –
- बीजिंग में SCO सचिवालय।
- ताशकंद में क्षेत्रीय आतंकवाद रोधी संरचना की कार्यकारी समिति।
- राष्ट्राध्यक्षों की परिषद् शंघाई सहयोग संगठन में निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था है, यह SCO शिखर सम्मलेन में बैठक करती है।
- सरकार के प्रमुखों की परिषद् संगठन में दूसरी सबसे बड़ी परिषद् है, जो बार्षिक शिखर सम्मेलन का आयोजन करती है तथा संगठन के बजट को मंजूरी प्रदान करती है।
- विदेश मंत्रियों की परिषद् नियमित बैठकें करती है, जो वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों पर चर्चा करती है।
- सचिवालय संगठन का प्राथमिक कार्यकारी निकाय है, यह संगठनात्मक निर्णयों और दस्तावेजों को लागू करता है तथा दस्तावेज डिपॉजिटरी के रूप में भी कार्य करता है।
भारत और SCO
- भारत वर्तमान में रोटेशन के आधार पर SCO की अध्यक्षता कर रहा है।
- थीम-एक सुरक्षित SCO की ओर
- थीम को 2018 SCO शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी द्वारा गढ़ा गया था
- इसमें SECURE सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और व्यापार, कनेक्टिविटी, एकता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए सम्मान और पर्यावरण का प्रतिनिधित्व करता है।
- भारत ने एससीओ के भीतर सहयोग के पांच स्तंभ स्थापित किए हैं जैसे स्टार्टअप और नवाचार, पारंपरिक चिकित्सा, युवा सशक्तिकरण, डिजिटल समावेशन और साझा बौद्ध विरासत।
भारत के लिए महत्व
भूराजनीतिक संतुलन
- यह भारत को मध्य एशिया से जुड़ने के लिये मंच प्रदान कर सकता है।
- रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में; चीन के साथ अमेरिका का सत्ता संघर्ष और ईरान पर प्रतिबंध के मद्देनजर, SCO भारत को सभी पक्षों से जुड़ने में मदद करता है।
- शंघाई स्पिरिट- यह भारत के सद्भाव, दूसरों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने और गुटनिरपेक्षता की विदेश नीति पर जोर देता है।
- sco का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद, अलगाववाद और चरमपंथ के विरुद्ध सहयोगपूर्ण तरीके से कार्य करना है, जो कि भारतीय हितों के अनुकूल है।
द्विपक्षीय जुड़ाव
- यह संगठन भारत को चीन और पाकिस्तान के साथ अपने सम्बन्ध सुधारने में भी मदद कर कर सकता है।
- संगठन के सदस्य देशों में विश्व की लगभग आधी जनसंख्या के निवास करने के कारण भारत को पर्यटन के क्षेत्र में इसका लाभ मिलने की संभावना है।
- वर्तमान में भारत में आने वाले पर्यटकों का लगभग 6 प्रतिशत भाग SCO देशों से आता है, इसे आगे और बढाया जा सकता है।
कनेक्टिविटी
- अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा से कनेक्टिविटी सुगम होगी।
SCO से निपटने में भारत की चुनौतियाँ
- भारत-चीन संबंध में सुधार- SCO दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने हेतु मंच के रूप में प्रयुक्त हो सकता है, हालांकि विगत कुछ समय में चीन और भारत के संबंध आतंकवाद और UNSC में भारत की स्थायी सदस्यता को लेकर बिगड़े हैं।
- चीन ने कई बार मसूद अज़हर और मक्की जैसे आतंकवादियों को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के भारत के प्रस्ताव पर UN में वीटो लगाकर अवरोध उत्पन्न करने का प्रयास किया है, जिससे दोनों देशों के मध्य संबंध खराब हुए हैं।