चर्चा में क्यों?
हाल ही में, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने नई दिल्ली में द्वितीय कैंसर जीनोम एटलस, 2020 सम्मेलन का उद्घाटन किया।
भारत ने इस सम्मेलन में भारतीय जनसंख्या में प्रचलित कैंसर के सभी प्रकारों के आणविक प्रोफाइल के स्वदेशीकरण, खुले स्रोत और व्यापक डाटाबेस के निर्माण पर बल दिया।
कैंसर जीनोम एटलस
- द कैंसर जीनोम एटलस (TCGA) अमेरिका स्थित राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (NCI) और राष्ट्रीय मानव जीनोम अनुसंधान संस्थान (NHGRI) द्वारा वर्ष 2006 में शुरू की गई एक महत्त्वपूर्ण परियोजना है।
- यह विचार कैंसर के कारण होने वाले अनुवांशिक उत्परिवर्तन (Genetic Mutations) की एक सुव्यवस्थित सूची बनाने से प्रेरित है, जिसके तहत जीन अनुक्रमण तथा जैव सूचना विज्ञान के माध्यम से रोगी के ट्यूमर और रक्त के नमूनों को एकत्रित तथा संसाधित किया जाता है।
- ध्यातव्य है कि यह डाटा दुनिया भर के शोधकर्ताओं के लिये उपलब्ध है और इसका उपयोग कैंसर के निदान, उपचार और रोकथाम के लिये नए समाधान विकसित करने के लिये किया जाता है।
इंडियन कैंसर जीनोम एटलस (ICGA)
- भारत में सी.एस.आई.आर, सरकार की प्रमुख सरकारी एजेंसियों, कैंसर अस्पतालों, प्रमुख हितधारकों के संघ, शैक्षणिक संस्थानों और निजी कम्पनियों के साझेदारों के नेतृत्व में आई.सी.जी.ए. की शुरुआत की गई है।
- आई.सी.जी.ए. का उद्देश्य कैंसर तथा अन्य क्रोनिक बीमारियों के नैदानिक परिणामों में सुधार लाना है।
अन्य तथ्य
- डब्ल्यू.एच.ओ. की विश्व कैंसर रिपोर्ट के अनुसार, 10 भारतीयों में से एक भारतीय अपने सम्पूर्ण जीवनकाल में कैंसर से ग्रसित होता है तथा कैंसर रोग के 15 मरीजों में से एक की मृत्यु हो जाती है।