यह भारत में साइबर-अपराध और इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के मुद्दों से निपटने के लिये प्राथमिक कानून है।
यह केंद्र सरकार को ऑनलाइन सामग्री को ब्लॉक करने और साइबर अपराधी को गिरफ्तार करने का अधिकार प्रदान करती है।
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69A के तहत, प्रौद्योगिकी मत्रांलय को ये अधिकार है कि वो ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म को किसी सामग्री को ब्लॉक करने का हुक्म देने के लिए अधिकृत है।
भारत सरकार ने आईटी अधिनियम की इसी धारा का हवाला देते हुए 59 चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया था।
इस अधिनियम की धारा 69 A के तहत केंद्र सरकार को निम्नलिखित शक्तियाँ प्रदान की गई हैं-
सोशल मीडिया और किसी अन्य वेबसाइट पर आपत्तिजनक सामग्री को हटाने के लिये दिशा निर्देश जारी करना।
भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, भारत की रक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों को सुनिश्चित करने के लिये ऑनलाइन सामग्री को ब्लॉक करने के साथ इन्हें नुकसान पहुँचाने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार करने की शक्ति।
जिन वेबसाइट को जनता के लिए ब्लॉक किया जायेगा उन्हें पूरी प्रक्रिया और नियमों के तहत ही ब्लॉक किया जायेगा और अन्य सुरक्षा उपायों का भी ध्यान रखा जायेगा।
सरकार ने वर्ष 2019 में साइबर अपराधों को नियंत्रित करने के लिये IT ACT 2000 की धारा 69(A) में भी संशोधन किया।
इसके तहत सरकार ने 10 एजेंसियों को किसी भी कंप्यूटर की जाँच करने, उनका डेटा निष्कासित करने तथा अन्य जानकारियाँ प्राप्त करने का अधिकार दिया।
इनमें इंटेलिजेंस ब्यूरो, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, राजस्व आसूचना निदेशालय, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो, नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी, मंत्रिमंडल सचिवालय (रॉ), सिग्नल इंटेलिजेंस निदेशालय (केवल जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर और असम के सेवा क्षेत्रों के लिये) और पुलिस आयुक्त, दिल्ली शामिल हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने 2015 में दिए गए निर्णय में कहा कि केंद्र एक इंटरनेट साइट को ब्लॉक करने के निर्देश (राष्ट्रीय सुरक्षा इत्यादि से सम्बंधित मामलों में) जारी करने के लिए अपनी शक्ति का प्रयोग कर सकता है।
न्यायालय ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा, व्यक्तिगत निजता से ऊपर है।
नोट :
भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 केंद्र सरकार को फोन टैप करने की अनुमति देता है। सुप्रीम कोर्ट ने 1996 में एक फैसला दिया था और कहा था कि सरकार केवल "सार्वजनिक आपातकाल" के मामले में फोन टैप कर सकती है।
लेकिन आईटी एक्ट के सेक्शन 69A के मामले में, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।