(प्रारंभिक परीक्षा : भारतीय राज्यतंत्र और शासन, लोकनीति, अधिकारों संबंधी मुद्दे इत्यादि) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: विवाद निवारण तंत्र तथा संस्थान) |
संदर्भ
नोएडा में एक रेस्टोरेंट मालिक को एक ग्राहक को शाकाहारी बिरयानी की जगह चिकन बिरयानी डिलीवर करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। इस मामले में ‘घातक बीमारी के प्रसार की लापरवाही’ जैसी धारा लगाई गई।
प्रमुख धाराएँ और उनका विश्लेषण
- भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 271
- यह धारा उन कार्यों को दंडित करती है जो लापरवाहीवश किसी जानलेवा बीमारी को फैलाने की आशंका उत्पन्न करते हैं।
- अधिकतम सज़ा : 6 महीने कैद (जमानती अपराध)
- पहले यह भारतीय दंड संहिता (IPC), 1870 की धारा 269 थी।
- भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 272
- यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर बीमारी फैलाने का कार्य करता है, तो यह धारा लागू होती है।
- सजा : 6 महीने तक की सजा (जमानती अपराध)
- पहले यह भारतीय दंड संहिता (IPC), 1870 की धारा 270 थी।
पूर्व में इन धाराओं का प्रयोग (IPC धारा 269/270 - अब BNS धारा 271/272)
कोविड-19 महामारी (2020–2021)
- कई राज्यों ने लॉकडाउन एवं क्वारंटीन उल्लंघन करने वालों पर ये धाराएं लगाईं।
- गायिका कनिका कपूर पर धारा 269 लगाई गई जब उन्होंने संक्रमण के बावजूद सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लिया।
टीबी मरीजों का गैर-अधिसूचित रहना (2018)
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि यदि कोई क्लीनिक टीबी मरीजों की जानकारी सरकार से साझा नहीं करता है तो उस पर IPC 269/270 लगाई जा सकती है।
मिस्टर ‘X’ बनाम हॉस्पिटल ‘Z’ मामला (2003)
इसमें HIV (Human Immunodeficiency Virus) संक्रमित व्यक्ति द्वारा विवाह करने पर धारा 269 लगाने की माँग को सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया और कहा कि सहमति से विवाह होने पर यह लागू नहीं होता है।
शिव कुमार बनाम पंजाब राज्य (2008)
उच्च न्यायालय ने कहा कि खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता संबंधी मामलों में आपराधिक कार्रवाई नहीं की जा सकती है और ऐसे मामलों के लिए खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम, 1954 का प्रयोग उचित है।
ऐसी घटनाओं को रोकने के उपाय
- रेस्टोरेंट और डिलीवरी सेवाओं की सख्त निगरानी
- फूड हैंडलिंग पर प्रशिक्षण
- कानूनी जागरूकता
- शिकायत निवारण प्रणाली