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सिक्योरिटी इंक 

(प्रारंभिक परीक्षा- सामान्य विज्ञान)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास)

संदर्भ

हाल ही में, एक भारतीय अनुसंधान समूह ने नैनो-पदार्थ से अत्यधिक लंबे समय तक स्थायी रहने वाली एवं गैर-विषाक्त ‘सुरक्षा स्याही’ (Security Ink) का विकास किया है।

सुरक्षा स्याही : क्रिया-विधि 

  • वर्तमान में उपलब्ध अधिकांश सुरक्षा स्याहियाँ ल्यूमिनसेंट पदार्थों पर आधारित होती हैं जो उच्च ऊर्जा वाले फोटॉन कणों को अवशोषित करती हैं और कम ऊर्जा वाले फोटॉन कणों का उत्सर्जन करती हैं। इस क्रिया को तकनीकी रूप से ‘डाउनशिफ्टिंग’ (Downshifting) कहा जाता है।
  • इस प्रक्रिया में गुप्त टैग (Covert Tag) दिन के उजाले में अदृश्य होता है किंतु पराबैंगनी (अल्ट्रा-वायलेट) प्रकाश में यह टैग दिखाई देता है। हालाँकि, एकल उत्सर्जन पर आधारित इस टैग की प्रतिकृति सरलता से बनाई जा सकती है। 
  • इस समस्या को दूर करने के लिये ऊर्जन आधारित (Excitation-Dependent) ल्यूमिनसेंट गुणों (डाउनशिफ्टिंग और अपकन्वर्जन) से युक्त प्रकाश उत्सर्जन करने (ल्यूमिनसेंट) वाली स्याही के प्रयोग की सलाह दी जाती है। इसका कारण यह है कि इसमें टैग को डिकोड करने के लिये आवश्यक मापदंडों की संख्या बढ़ा देने से डिकोडिंग और प्रतिकृति की संभावना कम हो जाती है।
  • हालाँकि, वर्तमान में इस उद्देश्य के लिये निर्मित की जाने वाली अधिकांश सामग्री फ्लोराइड आधारित है जो कम समय तक स्थिर रहने वाली और अत्यधिक विषाक्त है।

डाउनशिफ्टिंग (Downshifting)- एक उच्च ऊर्जा वाले फोटॉन कणों का अवशोषण और निम्न ऊर्जा वाले फोटॉन कणों का उत्सर्जन।

अपकन्वर्जन (Upconversion)- निम्न ऊर्जा वाले दो फोटॉन कणों का अवशोषण और एक उच्च ऊर्जा वाले फोटॉन कणों का उत्सर्जन। 

वर्तमान विकास 

  • भारतीय अनुसंधानकर्ताओं द्वारा विकसित स्याही ऊर्जन पर निर्भर गैर-विषाक्त धातु फॉस्फेट पर आधारित है। इसके प्रकाश उत्सर्जक (ल्यूमिनसेंट) गुण तापमान, आर्द्रता और प्रकाश जैसी व्यावहारिक परिस्थितियों के अंतर्गत बहुत लंबी अवधि तक स्थायी रहते हैं। यह ल्यूमिनसेंट सुरक्षा स्याही ‘लैंथेनाइड आयनों’ से युक्त ‘Gd1-xBixPO4‘ नैनो-पदार्थ पर आधारित है।
  • इस स्याही ने अत्यधिक प्रबल डाउनशिफ्टिंग के साथ-साथ अपकंवर्जन प्रकाश उत्सर्जन (ल्यूमिनेसिसेंस) के गुण भी प्रदर्शित किये। साथ ही, स्याही का डाउनशिफ्टिंग ल्यूमिनेसेंस रंग भी ऊर्जन तरंग दैर्ध्य (Excitation Wavelength) पर अत्यधिक निर्भर है जो गुप्त टैग को डीकोड करना मुश्किल कर देता है।
  • इन ल्यूमिनसेंट नैनो-पदार्थ को सरल सह-वर्षण विधि (Co-Precipitation Method) के माध्यम से संश्लेषित किया गया था। इन नैनोकणों और व्यावसायिक रूप से उपलब्ध पी.वी.सी. गोल्ड मीडियम स्याही (PVC Gold Medium Ink) से एक मिश्रण बनाया गया था। 
  • इस मिश्रित स्याही का उपयोग काले कागज पर पैटर्न और अक्षरों को मुद्रित करने के लिये किया गया था। इस स्याही के पैटर्न अलग-अलग ऊर्जन तरंगदैर्ध्य के तहत विभिन्न परिस्थितियों में अधिक स्थिर पाए गए।

लैंथेनाइड आयनों का महत्त्व

  • 'त्रिसंयोजक लैंथेनाइड आयन अत्यधिक समृद्ध ऊर्जा स्तर से युक्त होते हैं जो ‘डाउनशिफ्टिंग’ और ‘अपकन्वर्जन’ के दौरान ल्यूमिनसेंट गुणों को प्रदर्शित करने में सहायक होते हैं। बिस्मथ और लैंथेनाइड आयनों के बीच ऊर्जा हस्तांतरण के परिणामस्वरूप ऊर्जन पर निर्भर डाउनशिफ्टिंग उत्सर्जन होता है।
  • लैंथेनाइड आयनों को उनके उत्कृष्ट डाउनशिफ्टिंग और अपकन्वर्जन ल्यूमिनसेंट गुणों के लिये जाना जाता है।

अनुप्रयोग

  • यह स्याही ब्रांडेड वस्तुओं, बैंक-नोटों, औषधियों, प्रमाण-पत्रों और करेंसी-नोटों (मुद्रा) में जालसाजी को रोकने के लिये अपने अद्वितीय रासायनिक गुणों के कारण स्वचालित रूप से प्रकाश (ल्यूमिनसेंट) उत्सर्जित करती है।
  • जालसाजी का पता लगाने के लिये आमतौर पर प्रकाश उत्सर्जित करने वाली (ल्यूमिनसेंट) स्याही का उपयोग ‘गुप्त टैग’ के रूप में किया जाता है।
  • नैनो विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान, मोहाली के एक अनुसंधान समूह ने इस स्याही का विकास किया है। इसे 'क्रिस्टल ग्रोथ एंड डिज़ाइन' और 'मैटेरियल्स टुडे कम्युनिकेशंस' पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।
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