केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय के निर्देशानुसार भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने के उद्देश्य से देश की पहली सी प्लेन परियोजना के अंतर्गत जल एयरोड्रम स्थापित करने के लिये गुजरात, असम, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की राज्य सरकारों तथा अंडमान और निकोबार के प्रशासन से संभावित स्थानों के प्रस्ताव प्रस्तुत करने का अनुरोध किया है।
सी-प्लेन एक नियत पंखों वाला हवाई जहाज़ है जो पानी पर टेक ऑफ और लैंडिंग के लिये बनाया गया है। इसमें दो मुख्य प्रकार के सीप्लेन हैं: फ्लाइंग बोट और फ्लोट प्लेन। यह गति में हवाई जहाज तथा सुविधाओं के दृष्टिकोण से नाव के समान है।
सी-प्लेन परियोजना के अंतर्गत स्पाइसजेट 14 यात्रियों के बैठने की क्षमता वाले 19 सीटर प्लेन का संचालन करेगी। जिसके लिये स्पाइसजेट ने एक फ्रांसीसी कम्पनी के साथ एक अनुबंध किया है। स्पाइसजेट विगत एक वर्ष से अधिक समय से मुम्बई में अलग-अलग मॉडल के सी-प्लेन का ट्रायल कर रही है तथा दो सी-प्लेन को मुम्बई लाया जा चुका है, जहाँ से उन्हें 31 अक्तूबर को प्रारम्भ करने के उद्देश्य से अहमदाबाद की साबरमती नदी में लाया जाएगा।
प्रस्तावित टर्मिनल को केवडिया के लिमडी गांव में सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड परिसर के 0.51 एकड़ क्षेत्र में विकसित किया जाएगा।
पर्यावरण पर प्रभाव-
पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना, 2006 तथा इसकी संशोधित अनुसूची में जल एयरोड्रम एक सूचीबद्ध परियोजना नहीं है। हालांकि, विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति की राय में इसका प्रभाव हवाई अड्डे के समान हो सकता है।
नर्मदा में प्रस्तावित परियोजना स्थल से दक्षिण-पश्चिम दिशा में 2.1 किमी की अनुमानित हवाई दूरी पर स्थित शूलपनेश्वर वन्यजीव अभयारण्य तथा पूर्व दिशा में 4.7 मीटर की दूरी पर निकटतम आरक्षित वन स्थित है, जो स्थानीय संवेदनशील प्रजातियों के लिये जाना जाता है।
सीप्लेन संचालन के दौरान टेकऑफ़ और लैंडिंग से पानी में विक्षोभ उत्पन्न होगा, जिससे पानी में ऑक्सीजन का मिश्रण अधिक हो जाएगा जिसका सीप्लेन संचालन के आस-पास उपस्थित जलीय पारिस्थितिक तंत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। सीप्लेन संचालन जल में ऑक्सीजन की मात्रा को बढाएगा तथा कार्बन की मात्रा को कम करेगा।
फिलीपींस, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम आदि देशों में भी कई एयरलाइन वाहक कम्पनियों द्वारा सीप्लेन की सुविधा उपलव्ध कराई जाती है।
भारत में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में एक वाणिज्यिक सीप्लेन सेवा जल हंस, दिसंबर 2010 में नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा 10 यात्रियों की क्षमता के साथ एक पायलट परियोजना के रूप में शुरू की गई थी।